हर साल गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को मनाया जाता है। 26 जनवरी 1950 में भारत का संविधान लागू किया गया था। इसी दिन को चन्हित करने के लिए हर साल गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। जिसमें कई तरह के कार्यक्रमों को आयोजन किया जाता है और भारत की संस्कृति और विविधताओं को प्रदर्शित किया जाता है साथ ही भारत की सैन्य शक्ति का भी प्रदर्शन किया जाता है। इस समारोह का समापन बीटिंग रिट्रीट समारोह के साथ किया जाता है।
बीटिंग रिट्रीट का आयोजन 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस की शाम से शुरू किया जाता है और 29 जनवरी तक इसका आयोजन किया जाता है। ये 4 दिवसीय कार्यक्रम है। जिसके मुख्य अतिथि भारत के राष्ट्रपति होते हैं। ये एक पुरानी पारंपरिक प्रथा है जो शुरु से चली आ रही है। इसमें भारत की सभी सेनाओं के म्यूजिकल बैंड संगीत और म्यूजिक ट्यून बजाई जाती है। आइए इस दिवस के बारे में आपको बीटिंग रिट्रीट के बारे में बताएंगे।
बीटिंग रिट्रीट क्या है?
बीटिंग रिट्रीट एक बहुत पुरानी सैन्य परंपरा है। जहां सैनिक प्रतिदिन शाम में एक तय समय पर रिट्रिट की अवाज सुन कर युद्ध रोक अपने सारे हथियारों को लेकर युद्ध के मैदान से हट जाते थें। इतना ही नहीं रिट्रिट की अवाज के बाद झंडें को भी उतार लिया जाता था। ठीक उसी तरह आज भी बीटिंग रिट्रीट को शाम को आयोजित किया जाता है।
बस फर्क इतना है कि अब इसे एक उत्सव की तरह मनाया जाता है। भारत में हर साल गणतंत्र दिवस की शाम से बीटिंग रिट्रीट समारोह का आयोजन किया जाता है। जो अगले चार दिन तक चलता है। ये चार दिवसीय कार्यक्रम होता है। जिसमें हर रेजिमेंट का म्यूजिकल बैंड हिस्सा लेता है और कई तरह की धून बजाई जाती है।
भारत में बीटिंग रिट्रीट की शुरुआत कैसे हुई
जैसा की आपको ऊपर के लेख में बताया गया है कि इस समारोह का आयोजन गणतंत्र दिवस की शाम को किया जाता है बीटिंग रिट्रीट से गणतंत्र दिवस का समापन किया जाता है। ये गणतंत्र दिवस की एक महत्वपूर्ण परंपरा है जिसे देश का हर व्यक्ति टीवी पर देखता है। इसमें देश भक्ती गानों की धून बजाई जाती है, जिसमें सबसे मुख्य "सारे जहां से अच्छा हिंन्दुस्तान हमारा" की भी धून होती है। इस समारोह के बारे में और अधिक जानने लिया अब ये जानन आवश्यक है कि इसकि शुरुआत भारत में किस प्रकार की गई।
ये तब की बात है जब 1950 में इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ और प्रिंस फिलिप भारत के दौरा पर आए थें। भारत के पहले प्रधानमंत्री ने उनके इस यात्रा को खास बनाने के लिए कुछ अलग और शानदान करने का सोचा जिसमें उन्होंने उस समय के भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट्स को आमंत्रित किया ताकि इस आयोजन को लेकर कुछ किया जा सकें। इस बात की जानकारी पर मेजर रॉबर्ट्स बीटिंग रिट्रीट के कार्यक्रम का सुझाव पेश किया। जो सैनिकों बैंडों के द्वारा तैयार की जाएगी। इन दोनों महमानों के लिए भारत की यात्रा खास बनाने के लिए बीटिंग रिट्रीट का आयोजन किया जिसमें सैनिक बैंड़ों द्वारा गानों की धून बजाई गई।
आधिकारिक तौर पर कब अपनाया गया
वर्ष 1955 से बीटिंग रिट्रीट को गणतंत्र दिवस के दिन शुरू किया और इस समारोह को तभी से गणतंत्र दिवस के हिस्से के तौरा पर मान्यता प्राप्त हुई और तब से हर वर्ष इस समारोह का आयोजन किया जाता है। जिस प्रकार गणतंत्र दिवस पर भारत में मुख्य अतिथि के तौर पर अन्य देशों के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या अन्य राजनीतिज्ञों को आमंत्रित करना गणतंत्र दिवस की प्रथा बनी, उसी तरह से बीटिंग रिट्रीट भी 1955 से आधिकारिक तौर पर गणतंत्र दिवस की एक प्रथा बन गई है। जिसका आयोजन हर साल किया जाता है और गणतंत्र दिवस का समापन इस समारोंह के साथ किया जाता है।
बीटिंग रिट्रीट समारोह का आयोजन गणतंत्र दिवस की शाम से शुरू होता है और अगले 4 दिन तक हर शाम को किया जाता है। यानी 26 जनवरी से शुरू होकर 29 जनवरी तक चलता है। इस दिवस पर मुख्य अतिथि भारत के राष्ट्रपति होते हैं। जिसके उनके अंगरक्षकों द्वारा अंभरक्षित किया जाता है। इस समारोह में भारत की तीनों सेनाओं के के हर रेजिमेंट का बैंड शामिल होता है, जिसमं पाइप, ड्रम, बिगुल और तुरही जैसे कई म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बजाए जाते हैं और इसे कार्यक्रम की शुरुआत होती है। कार्यक्रम का समापन ठीक शाम 6 बजे राष्ट्रीय ध्वज को पूरे सम्मान के साथ उतार कर किया जाता है।