करतारपुर कॉरिडोर गुरुद्वारा डेरा बाबा नानक, गुरदासपुर, पंजाब, भारत को गुरुद्वारा दरबार साहिब, लाहौर, पाकिस्तान को आपस में जोड़ता है। ये एक सीमा मुक्त धार्मिक गलियारा है। इस गलियारे की आधरशीला दोनों देशे को प्रधानमंत्री द्वारा रखी गई थी। भारत के प्रधानमंत्री द्वारा भारतीय पक्ष में और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री द्वारा पाकिस्तान पक्ष की आधारशिला रखी थी। इस गलियारे का निर्माण नवंबर 2018 में शुरू किया गया था और गुरु नानक जी की 550वीं जयंती से पहले इसे पुरा किया गया। करतारपुर कॉरिडोर की स्थापना 9 नवंबर 2019 में हुई थी। सर्वप्रथम इस गलियारे का प्रस्ताव पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ द्वारा रखा गया था। जिसे 2018 में पूरा किया गया। करतारपुर कॉरिडोर वीजा मुक्त सीमा पार धार्मिक गलियारा है जो सिखों के लिए महत्वपूर्ण है। जहां हर साल लाखों श्रद्धालु पहुंचते है। विशेषकर गुरु नानक जयंती के अवसर पर। आइए करतारपुर कॉरिडोर के बारे में जाने।
करतारपुर कॉरिडोर का इतिहास और महत्व
करतापुर साहिब गुरुद्वारे की स्थापना सिखों के प्रथम गुरु और सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी द्वारा की गई थी। ये वही गुरुद्वारा था जहां गुरु नानक जी ने अपने जीवन के करीब 18 साल बिताए थे और इसी गुरुद्वारे में उन्होंने अपनी अंतिम सांस भी ली थी। करतारपुर गुरुद्वारा रावी नदी की बाढ़ में बह गया था। उसके बाद महाराजा रणजीत सिंह द्वारा नए गुरुद्वारा के निर्माण किया गया जिसे आज गुरुद्वारा डेरा बाबा के नाम से जाना जाता है। गुरुद्वारा डेरा बारा लाहौर से करीब 3 से 4 किमी दूर है तो भारत से इसकी दूरी करीब 120 किमी। गुरुद्वारा डेरा बारा सिख धर्म के लोगों के लिए सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थान है यही कारण है कि इस कॉरिडोर का निर्माण किया गया ताकि देश भर के सिख अपनी तीर्थ यात्रा के लिए विजा मुक्त होकर अपने धार्मिक स्थल की यात्रा कर सकें।
सर्वप्रथम इस कॉरिडोर का प्रस्ताव भारत और पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ द्वारा प्रस्तावित किया गया था।
इसके बाद 2018 में भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री द्वारा करतारपुर कॉरिडोर की आधारशिला रखी गई। सबसे पहले 26 नवंबर 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भारतीय पक्ष की आधारशिला रखी गई। उसके दो दिन बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान पक्ष की आधारशिला रखी। करतारपुर कॉरिडोर की स्थापना 9 नवंबर 2019 में हुई थी। 2019 में गुरु नानक जी की 550 वीं जयंती पर के समय तक इस पूरा किया गया था।
करतारपुर कॉरिडोर का डिजाइन
करतारपुर कॉरिडोर निर्माण के लिए पाकिस्तान सरकार द्वारा 400 एकड़ से अधिक भूमि का अधिग्रहण किया गया था। करतापुर कॉडिरोड का मुख्य परिसर पहले 4 एकड़ में बनना था जिसे बाद में विस्तर कर 42 एकड़ में किया गया। इसी के साथ गरुद्वारा परिसर में अंतराष्ट्रीय स्तर के होटल, दो व्यवसायिक क्षेत्र, सैकड़ों अपार्टमेंट, कार पार्किंग, पावर ग्रिड स्टेशन, सूचना केंद्र और सीमा सुविधा क्षेत्र बनाया गया है।
करतापुर कॉरिडोर का उद्घाटन
करतापुर कॉरिडोर का स्थापना के बाद इसका उद्घाटन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा किया गया था। इस समारोह में लगभग 12,000 तीर्थयात्री शामिल हुए थें। इससे पहले 1 नवंबर को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री द्वारा एक ट्विट किया गया था जिसमें उन्हें लिखा था कि उद्घाटन समारोह और 12 नवंबर 2019 की गुरु नानक जी की जंयती के लिए आये सिख तीर्थयात्रियों से किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाएगा। इसी के साथ एक साल तक पासपोर्ट की आवश्यकता को भी माफ किया गया। इसके बाद भारत सरकार द्वारा घोषणा की गई कि दोनों देशों के बीच हुए समझौते के अनुसार तीर्थयात्रियों को पासपोर्ट की आवश्यकता नहीं होगी।
करतापुर कॉरिडोर से जुडे़ तथ्य
1. करतारपुर साहिब गुरुद्वारा पाकिस्तान में रावी नदी के तट पर स्थित है।
2. 26 नवंबर, 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गुरदासपुर में करतापुर कॉरिडोर की आधारशिला रखी गई थी जो कि करतारपुर कॉरिडोर की शुरुआत का प्रतीक है। इसके दो दिन बाद 28 नवंबर 2018 पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान खान ने पाकिस्तान पक्ष की आधारशिला रखी थी।
3. लगभग 4.10 किमी लंबा हाईवे, डेरा बाबा नानक को गुरदासपुर-अमृतसर हाईवे के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय सीमा से जोड़ता है।
4. सर्वप्रथम इस कॉरिडोर का प्रस्ताव 1999 में, पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा रखा गया था।
5. कोविड के चलते 2020 में इस कॉरिडोर को बंद किया गया था। जो बाद में 2021 में वापस खोला गया था।
6. करतारपुर कॉरिडोर के माध्यम से करतापुर साहिब गुरुद्वारा की तिर्थ यात्रा वीजा मुक्त यात्रा है।
7. सिखों के लिए करतारपुर साहिब एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।