Speech On Vijay Diwas 2021 भारत ने ब्रिटिशों से आजादी पाने के बाद भी अंदरूनी सुरक्षा के लिए कई युद्ध लड़े हैं। ऐसा ही एक युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच सन 1971 में हुआ। यह युद्ध 13 दिनों तक चला, जिसमें पाकिस्तान के कई सेनिक मारे गए। 16 दिसंबर 1971 में पाकिस्तान की सेना ने आत्मसमर्पण किया और युद्ध को समाप्त करने का आग्रह किया। तब से हर वर्ष भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए 16 दिसंबर को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। स्कूल कॉलेज आदि में विजय दिवस पर भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। बड़े-बड़े नेता विजय दिवस पर भाषण देते हैं। ऐसे में विजय दिवस पर भाषण लिखने और पढ़ने की कला के बारे में जानना जरूरी है। ऐसे में आइये जानते हैं विजय दिवस पर भाषण हिंदी में कैसे लिखें।
विजय दिवस पर भाषण | Speech On Vijay Diwas
सबसे पहले मंच पर पहुंचे और वहां मौजूद मुख्य अतिथि और अन्य लोगों को प्रणाम करें। फिर अपना परिचय दें और उसके बाद अपना भाषण शुरू करें। जैसा की आप सभी जानते हैं कि हम यहां विजय दिवस के अवसर पर इक्कठा हुए हैं। सबसे पहले हम बात करेंगे कि 16 दिसंबर को भारत में विजय दिवस क्यों मनाता है? 16 दिसंबर 1971 को भारत ने 13 दिन की लड़ाई के बाद पाकिस्तान के खिलाफ जंग जीत ली थी। पाकिस्तानी सेना के प्रमुख, जनरल अमीर अब्दुल्ला खान नियाज़ी ने 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों के साथ भारतीय सेना और बांग्लादेश की मुक्ति वाहिनी की संयुक्त सेना के सामने आत्मसमर्पण किया। यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अब तक का सबसे बड़ा सैन्य आत्मसमर्पण भी था। 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारतीय सशस्त्र बलों की जीत का सम्मान करने के लिए हर साल 16 दिसंबर को विजय दिवस मनाया जाता है। इस दिन, भारत देश की रक्षा करने वाले सभी सैनिकों को श्रद्धांजलि दी जाती है।
1971 में इस्लामाबाद सरकार के खिलाफ पूर्वी पाकिस्तान में विद्रोह से युद्ध शुरू हुआ। पाकिस्तानी सेना बांग्लादेशियों और अल्पसंख्यक हिंदू आबादी पर अत्याचार कर रही थी। यह अनुमान लगाया गया है कि पाकिस्तानी सेना द्वारा 3 से 5 लाख नागरिक मारे गए थे, हालांकि बांग्लादेश सरकार यह आंकड़े 30 लाख बताती है। पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया। तब तक बांग्लादेश के 8 से 10 मिलियन लोगों ने देश छोड़ दिया था। 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध शुरू हुआ। युद्ध तब शुरू हुआ जब पाकिस्तान ने 3 दिसंबर 1971 को 11 भारतीय एयरबेस पर हवाई हमले किए। ऐसा पहली बार था जब भारत की तीनों सेनाओं ने एक साथ लड़ाई लड़ी। इंदिरा गांधी ने सेना प्रमुख जनरल सैम मानेकशॉ को पड़ोसी देश के खिलाफ बड़े पैमाने पर युद्ध शुरू करने का आदेश दिया।
युद्ध के परिणामस्वरूप बांग्लादेश का जन्म एक अलग देश के रूप में हुआ, जो उस समय वह पूर्वी पाकिस्तान था। बांग्लादेश में इस दिन को 'बिजॉय डिबोस' के रूप में भी मनाया जाता है, जो पाकिस्तान से देश की औपचारिक स्वतंत्रता का प्रतीक है। युद्ध में 3800 से अधिक सैनिक शहीद हुए। 16 दिसंबर को युद्ध की समाप्ति तक भारत ने 93 हजार युद्धबंदियों को भी पकड़ लिया था। युद्ध के आठ महीने बाद, अगस्त 1972 में, भारत और पाकिस्तान ने शिमला समझौता किया। समझौते के तहत, भारत युद्ध के 93,000 पाकिस्तानी कैदियों को रिहा करने पर सहमत हुआ। बाद में कश्मीर पर भारत के पाकिस्तान के साथ संघर्ष पर बातचीत करने में विफल रहने के लिए समझौते की आलोचना की गई। मुझे यह मंच प्रदान करने के लिए आप सब का धन्यवाद...