भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल का नाम भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। 31 अक्टूबर को उनकी जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस का आयोजन न केवल उनके योगदान को श्रद्धांजलि देने के लिए किया जाता है, बल्कि भारत की अखंडता और एकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भी मनाया जाता है।
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सरदार पटेल का योगदान
सरदार वल्लभभाई पटेल को 'लौह पुरुष' कहा जाता है, और यह उपाधि उन्हें उनके अदम्य साहस, दृढ़ता, और निस्वार्थ सेवा के लिए दी गई थी। 1947 में भारत के स्वतंत्र होने के बाद देश को एकजुट रखने की जिम्मेदारी सरदार पटेल पर थी। भारत को उस समय करीब 562 रियासतों में विभाजित किया गया था। इन रियासतों को एकीकृत करना बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य था, लेकिन सरदार पटेल की अद्वितीय कूटनीति और दृढ़ निश्चय के कारण यह असंभव कार्य संभव हो सका। उन्होंने सफलतापूर्वक इन सभी रियासतों का भारत में विलय कराया, जिससे भारत एक एकीकृत राष्ट्र बना।
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राष्ट्रीय एकता दिवस का महत्त्व
सरदार पटेल का यह महान कार्य भारत की एकता और अखंडता का आधार बना। उनके इस योगदान को सम्मानित करने के लिए 2014 से हर वर्ष उनकी जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन देशभर में एकता और अखंडता के महत्व को रेखांकित करने वाले कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें दौड़, संगोष्ठी, सांस्कृतिक कार्यक्रम और व्याख्यान शामिल होते हैं।
राष्ट्रीय एकता दिवस हमें यह याद दिलाता है कि विभिन्नता में एकता ही हमारे देश की सबसे बड़ी ताकत है। सरदार पटेल ने जीवनभर राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए जो प्रयास किए, उन्हें यह दिवस मनाने के माध्यम से आज की पीढ़ी के सामने प्रस्तुत किया जाता है।
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सरदार वल्लभभाई पटेल न केवल एक महान नेता थे, बल्कि भारत की एकता के सूत्रधार भी थे। उनकी दूरदर्शिता और अद्वितीय नेतृत्व ने देश को एकजुट किया और हमें एक सशक्त राष्ट्र प्रदान किया। राष्ट्रीय एकता दिवस उनके उन महान कार्यों और आदर्शों की याद दिलाता है, जो हमें आज भी प्रेरित करते हैं कि हम एकजुट रहकर राष्ट्र की सेवा करें और उसकी अखंडता बनाए रखें।