Basant Panchami 2022 History Significance बसंत पंचमी का पर्व 5 फरवरी 2022 को मनाया जाएगा। वसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा का मुहूर्त सुबह 07:07 बजे से दोपहर 12:35 बजे तक है। हिंदू पंचाग के अनुसार, वसंत पंचमी मध्याह्न काल दोपहर 12:35 बजे होगा। वसंत पंचमी के ठीक चालीस दिन बाद होली आती है, इसलिए बसंत पंचमी होली की तैयारी का प्रतीक भी माना गया है। वसंत पंचमी का त्योहार ज्ञान, संगीत और कला की देवी मां सरस्वती को समर्पित है। इस दिन स्कूलों और कॉलेजों में के साथ साथ छात्र मंदिरों में देवी सरस्वती की पूजा करते हैं। वसंत पंचमी को श्री पंचमी और सरस्वती पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। आइये जानते हैं, बसंत पंचमी क्यों मनाई जाती है, बसंत पंचमी पर सरस्वती की पूजा क्यों की जाती है और बसंत पंचमी सरस्वती पूजा से जुड़ी पौराणिक कथा क्या है?
बसंत ऋतुराज हैं, परंतु क्यों ? यह विचारणीय विषय है। समस्त ऋतुएं अपने क्रम से आती हैं और वर्ष में सबको दो-दो माह का समय मिलता है जबकि मुख्य रुप से तीन ऋतुएं गर्मी, बरसात एवं जाड़ा होती हैं। शीत ऋतु के अवसान के उपरांत बसंत का आगमन होता है। माघ शदी पंचमी तिथि को हम बसंतोत्त्सव के रुप में मनाते हैं। वास्तव में यह उत्सव बसंत ऋतु का शुभारंभ होता है। इसे हम इस प्रकार भी कह सकते हैं कि बसंत पंचमी के आगमन की प्रथम सूचना है। जिस प्रकार किसी राजा-महाराजा के आगमन पर उनके अधीनस्थ सेवक जो पहले से ही अपने सेवा स्थल पर उपस्थित होते हैं। वे महाराज के आगमन की घोषणा उच्च स्वर में करके सभी दरबारियों सेवकों को सचेत कर देते हैं, जिससे कोई किसी प्रकार की त्रुटि न कर बैठे और महाराज का कोप भाजन बने। इसी प्रकार बसंत पंचमी का उत्सव महाराज बसंत के आगमन की घोषणा करती है।
बसंत पंचमी का पौराणिक महत्त्व भी अधिक श्रेयस्कर है। सृष्टि कत्र्ता प्रजापति चतुर्मुख भगवान ब्रह्मदेव के मुखारविन्द से इसी परम पावन दिवस पर ज्ञान और विज्ञान तथा विद्या की अधिष्ठात्री देवी भगवती सरस्वती का प्राकट्य हुआ था। अतः ज्ञानाराधक समस्त प्राणी जगत अपनी आराधय देवी के जन्मोत्त्सव के रुप में इस उत्सव का भव्य आयोजन करते हैं, जिसमें मां वाणी का पूजन अर्चन यज्ञ हवन एवं विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक आयोजन आयोजित किए जाते हैं। पुरातन मान्यतानुसार इस दिन लोग बसंती रंग के नूतन वस्त्र धारण करते हैं, बसंती पुष्पों से माता की सज्जा एवं पूजन करते हैं, बसंती रंग के मिष्ठान से भोग लगाकर प्रसाद रुप में वितरण करते हैं तथा बसंती रंग की वस्तुओं यथा पीली धातु स्वर्ण या पीतल, पीले वस्त्र, पीला अन्न (चने की दाल), पीले पुष्प, पीला कंद (हल्दी) आदि का दान करते हैं।
एक पौराणिक कथा के अनुसार, कालिदास ने अपनी पत्नी के परित्याग से दुखी होकर नदी में डूबकर आत्महत्या करने की योजना बनाई। वह ऐसा करने ही वाले थे कि तभी देवी सरस्वती जल से बाहर निकलीं और कालिदास को उसमें स्नान करने को कहा। उसके बाद उनका जीवन बदल गया और उन्हें ज्ञान का आशीर्वाद मिला और वह एक महान कवि बन गए। साहित्य जगत में भी बंसत पंचमी का विशेष महत्त्च माना जाता है, उसका प्रथम कारण तो माता सरस्वती का जन्मदिन ही है। इसके अतिरिक्त इसी परम पावन तिथि में हिन्दी जगत के महान आदित्य महाप्राण सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' का भी जन्म हुआ था। समस्त हिन्दी जगत के साहित्यकार कहीं सरस्वती पूजन तो कहीं निराला जयंती के रुप में उत्सव का आयोजन पूर्व मनोयोग के साथ करते हैं।
यदि हम बसंत शब्द की शाब्दिक संरचना पर ध्यान दें तो हमें आभास होता है-बस-अन्त, अर्थात् बुराईयों विद्रपताओं, विकृतियों, प्राचीनताओं, रुढ़ियों, उदासीनता, आलस्य निष्क्रियता, दीर्ध सूत्रता, कुष्ठा आदि का अंत और सद्गुणों से युक्त नवीनताओं से सम्पन्न जीवन का शुभारंभ। बसंत में यही सब कुछ तो हमें प्रकृति में देखने को मिलता है। एक और बात है जो बड़े सौभाग्य की है कि हमारी पृथ्वी का प्रादुर्भाव एवं भारतीय नववर्ष का शुभारम्भ भी इसी काल में अर्थात् बसंत ऋतु में ही है- चैत्र शुक्ला प्रतिपदा। जो हमें 'पुनर्पुनर्नवीनोभव' की प्रेरणा प्रदान करता है। बसंत ही एक ऐसी सुहावनी ऋतु है जिसमें न सर्दी का कष्ट है न गर्मी का और न वर्षा की पीड़ा, अपितु वातावरण की मन-मोहक छवि अति आनंद दायिक होती है। जीवन में नवीनतापरक प्रगति की द्योतक होती है। अपनी असीमित विशिष्ट श्रेष्ठताओं के कारण ऋतुराज कही जाती है। जो पूर्णतः सार्थक एवं सिद्ध है।
बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं संदेश
बहारो में बहार बसंत, मीठा मौसम मीठी उमंग,
रंग बिरंगी उड़ती आकाश में पतंग,
तुम साथ हो तो है इस ज़िंदगी का और ही रंग।
हैप्पी बसंत पंचमी!
उड़े पतंग आसमान में सबकी निराली,
पीली, लाल, हरी, नीली और काली,
आओ मिलकर हम सब वसंत मनाएं,
द्वार पर अपने रंगीली रंगोली सजाएं।
बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
किताबों का साथ हो, पेन पर हाथ हो,
कोपिया आपके पास हो,पढाई दिन रात हो,
जिंदगी के हर इम्तिहान में आप पास हो।
बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
लेके मौसम की बहार,आया बसंत ऋतू का त्योहार,
आओ हम सब मिलके मनाये,दिल में भर के उमंग और प्यार।
बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
सरसों के पीले-पीले फूल खिले,
बरसे रंग पीला आसमान से,
सबके जीवन में महके सुगंध,
आपको बसंत पंचम की बधाई।
बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
माँ सरस्वती का बसंत है त्योंहार,
आपके जीवन में आये सदा बहार,
सरस्वती द्वार आपके विराजे हरपल,
हर काम आपका हो जाये सफल।
बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
सरस्वती पूजा का यह प्यारा त्यौहार,
जीवन में खुशी लाएगा अपार,
सरस्वती विराजे आपके द्वार,
शुभकामनाएं हमारी करें स्वीकार।
बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
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