भारत की स्वतंत्रता के बाद 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान को लागू किया गया था। इस दिन को चिन्हित करने के लिए इस दिन को गणतंत्र दिवस से रूप में मनाया जाता है। सबसे पहले गणतंत्र दिवस का आयोजन 1950 में ही किया गया था। तभी से हर साल भारत की राजधानी में गणतंत्र दिवस की परेड का आयोजन किया जाता है और इस दिवस को धूम-धाम से मनाया जाता है। हर साल एक मुख्य अतिथि को गणतंत्र दिवस की परेड में हिस्सा लेने के लिए बुलाया जाता है। गणंत्र दिवस की परेड पर समारोह खत्म नहीं होता है इसके बाद बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी का आयोजन किया जाता है और इस प्रकार गणतंत्र दिवस समारोह पूरा होता है।
26 जनवरी के दिन बच्चों से लेकर बड़े तक सुबह जल्दी उठकर गणतंत्र दिवस की परेड देखने के लिए तैयार रहते हैं और सभी लोग अपने परिवार के साथ परेड का लुफ्त उठाते हैं। इस परेड में भारत के सभी सशस्त्र बल, एनसीसी और एनएसएस के साथ कई स्कूलों के बच्चों भी शामिल होते है। इस दिन अपने सैन्य ताकत के साथ भारत लोगों को अपनी विविधता से भरी संस्कृति का भी प्रदर्शन करता है। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको गणतंत्र दिवस परेड के बारे में संपूर्ण जानकारी विस्तार में देगें।
गणतंत्र दिवस का इतिहास
भारतीय संविधान को बनने में 2 साल 11 महीने और 18 दिन का समय लगा था और इसको बनाने वाली समिति की अध्यक्षता डॉ बीआर अंबेडकर द्वारा की गई थी। भारत के संविधान के 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा में अपनाया गया था इसलिए उस दिवस को भारत में संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। उसके बाद 26 जनवरी 1950 में लागू के दिन को भारत में गणतंत्र दिवस के रूप में मनया जाता है। बता दें कि इस भारत के संविधा का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए पहले सत्र का आयोजन 9 दिसंबर 1946 में हुए था और उसके बाद से समिति का गठन किया गया और डॉ. बीआर अंबेडकर इसका अध्यक्ष चुना गया और समिति के सदस्यों ने मिलकर संविधान का निर्माण किया। इसी उपलब्धि को मनाने के लिए गणतंत्र दिवस की आयोजन किया जाता है।
गणतंत्र दिवस का महत्व
गणतंत्र दिवस भारत की स्वतंत्रा और यहां के निवासियों की व्यक्तिगत भावना के लिए महत्वपूर्ण है। और एक लोकतांत्रित देश होने के नाते ये दिवस लोगों सो प्राप्त सरकार चुनने के अधिकार कि शक्ती के बारे में भी याद दिलाता है। गणतंत्र दिवस को उस समय की तत्कालीन सरकार द्वारा अवकाश घोषित किया गया था और गणतंत्र दिवस परेड की शुरुआत की गई थी जिसे आप और हम हर साल टीवी पर देखते हैं। इसके अलावा 26 जनवरी का ही दिन था जब कांग्रेस द्वारा 1930 में पूर्ण स्वाराज की घोषणी की गई थी। जिसका मतलब था औपनिवेशक शासन से भारत की स्वतंत्रता।
गणतंत्र दिवस परेड
हर साल दिल्ली के राजपथ पर गणतंत्र दिवस की मनाया जाता है। जिसको लेकर पूरा भारत हर्ष और उल्लास से भरा होता है, सभी के घर के टीवी खुला जाते हैं जो लोग इस में शामिल होना चाहते हैं वह सभी इस समारोह शामिल होने राजपथ पर पहुंचते हैं।
गणतंत्र दिवस समारोह की शुरुआत राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय ध्वज को फैराने से की जाती है। इस पूरी परेड की व्यवस्था का कार्य रक्षा मंत्रालय द्वारा किया जाता है। गणतंत्र दिवस परेड में हर साल एक मुख्य अतिथि को आमंत्रित किया जाता है। प्राप्त जानकारी से पता चलता है कि इस साल (2023) आयोजित होने वाली गणतंत्र दिवस परेड में मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सिसी को आमंत्रित किया गया है। यानी इस साल की परेड की सोभा मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सिसी द्वारा बढ़ाई जाएगी। पूरी परेड का संचालन भारत के राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है जिनके स्वागत के प्रधानमंत्री और भारत के रक्षा मंत्री पहले ही स्थान पर उपस्थित होते हैं।
गणतंत्र दिवस की परेड से पहले एक प्रथा है जिसे हमेशा ही पूरा किया जाता है। समारोह के आयोजन से पहले भारत के प्रधानमंत्री और तीनों सेना के उच्च अधिकारी इंडिया गेट शहीदों को श्रद्धांजली देने पहुंचते हैं। भारत के प्रधानमंत्री द्वारा अमर जवान ज्योती पर एक रिंगलेट(फूल) लगाकर भारत के सुरक्षा के लिए अपनी जान न्योछावर करने वाले शहीदों को श्रद्धांजली देते हैं। इसके बाद राजपथ पर 21 तोपो की सलामी के ध्वाजरोहण और राष्ट्रगान के साथ परेड की शुरुआत की जाती है।
सैन्य शक्ति का पदर्शन
गणतंत्र दिवस के माध्यम से भारत अपनी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करता है और इसके साथ भारत की विविधताओं सी भरी सांस्कृति को प्रदर्शित करता है। जहां रह राज्य अपनी परंपरा और संस्कृति को एक झांकी के माध्यम से प्रदर्शित करता है। ये समय और इन झांकियों की सूंदरता बहुत मोहक होती है।
समारोह में वीर सैनिकों को परमवीर चक्र, अशोक चक्र और वीर चक्र से सम्मानित किया जाता है। परेड के दौरान वीरता पुरस्कार विजेता सैन्य जीपों में राष्ट्रपति को सलामी देते हैं और एक के बाद एक भारती की तीनों सेनाएं, सशस्त्रत बल, पुलिस और राष्ट्रीय कैडेट कोर द्वारा मार्च पार्सट की शुरुआत और इसमें सेना के सभी रेजिमेंट शामिल होते हैं और अपने अपने अंदाज में मार्च करते राजपथ पर आगे बढ़ते जाते हैं। इसके बाद सभी राज्यों की झांकियां निकाली जाती है जिसमें हर राज्य का पारंपरिक नृत्य भी शामिल होता है और हर राज्य के गीत से वातवर्ण और खुशनुमा हो जाता है।
जिन बच्चों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के सम्मानित किया गया है वह रंग-बिरंगे सजे हुए हाथियों पर सवार होकर परेड देखने आए दर्शकों के सामने से गुजरते हैं। गणतंत्र दिवस की शुरुआत के जैसा ही इसका समापन भी होता है जहां डेयर डेविल मोटर साइकिल की सवारी और भारतीय वायु सेना के लड़ाकुन विमानों द्वारा राजपथ पर एक फ्लाईपास्ट किया जाता है जहां फाइटर एयरक्राफ्य पायलट वायु में अपनी कलाबाजी प्रदर्शित करते हैं।
भारत के सभी राज्यों की राजधानी में भी छोटे पैमैने पर गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन किया जाता है।
बीटिंग द रिट्रीट समारोह
गणतंत्र दिवस समारोह यानी 26 जनवरी के 29 जनवरी तक चार दिवसीय बीटिंग द रिट्रीट का आयोजन किया जाता है। इसका आयोजन शाम में विजय चौक पर किया जाता है। इस समारोह के मुख्य अतिथि भारत के राष्ट्रपति होते हैं। वह इस समारोह में राष्ट्रपति के अंगरक्षकों द्वारा अुरक्षित कैवेलरी यूनिट में आते हैं। और पीबीजी कमांडर द्वारा यूनिट को राष्ट्रीय सलामी के लिए कहा जाता है।
बीटिंग द रिट्रीट समारोह में सेना की हर रेजीमेंट का सैन्य बैंड, पाइप, ड्रम, बगलर्स और ट्रम्पेटर्स का प्रदर्शन करता है, जिसमें देश भक्ति के कुछ चुनिंदा गानों की ट्यून बजाई जाती है। इसके बाद सारे बैंड द्वारा सारे जहां से अच्छा की धून बजाई जाती है और वह मार्च करते हुए आगे बढ़ते चले जाते हैं। शाम के ठीक 6 बजते ही राष्ट्रीय ध्वक को नीचे सम्मानपूर्वक नीचे उतारा जाता है और राष्ट्रगान से इस समारोह को पूरा किया जाता है।
बीटिंग द रिट्रीट सदियों पूरानी परंपरा है जहां युद्ध के शाम होते ही सैनिक लड़ना बंद कर देते थे और अपने-अपने ध्वज को नीचे उतार कर युद्ध स्थान के मैदान से हट जाते थें।
प्रवासी भारतीय दिवस कब मनाया जाता है, जानिए इतिहास और महत्व
फोटोग्राफर बनने वालों के लिए Nikon India ने निकाली 1 लाख की स्कॉलरशिप, ऐसे करें आवेदन