भारत वर्ष 1950 से आज तक हर साल गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को मनाता आया है। 26 जनवरी 1950 में ही भारत का संविधा लागू किया गया था और इस दिवस को बहुत हर्ष और उल्लास के साथ मनाया गया था। पहले गणतंत्र दिवस समारोह पर मुख्य अतिथि के तौर पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो को बुलाया गया था वहीं राजपथ पर गणतंत्र दिवस की परेड में मुख्य अतिथि के रूप में पाकिस्तान के पहले गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मोहम्मद को आमंत्रित किया गया था। गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि को आमंत्रित करने की प्रथा 1950 से चली आ रही है। उसी तरह गणतंत्र दिवस 2023 के अवसर मुख्य अतिथि के रूप में मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी को आमंत्रित किया गया है।
आपको बता दें कि भारत में गणतंत्र दिवस समारोह में सबसे महत्वपूर्ण गणतंत्र दिवस की परेड होती है जिसमें भारत अपने सशस्त्र बलों की ताकत और भारत की विविधताओं से भरी संस्कृती का प्रदर्शन करता है। गणतंत्र दिवस की परेड को देखने के लिए बच्चें से बड़े तक सुबह उठ तैयार रहते हैं ताकि परेड का एक हिस्सा भी उनसे मिस न हो जाए। गणतंत्र दिवस की तैयार जोरो पर है कर्त्वय मार्ग पर परेड की रिहर्सल भी शुरु हो चुकी है और इस परेड में भाग लेने वाले सभी लोग तैयारी में जुटे हैं। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको गणतंत्र दिवस की परेड से जुड़े तथ्यों के बारे में बताएंगे। आइए जाने -
गणतंत्र दिवस परेड से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य
1. गणतंत्र दिवस परेड का आयोजन दिल्ली में स्थिप राजपथ पर किया जाता है, जिसका संचालन राष्ट्रपति द्वारा और गणतंत्र दिवस की परेड की व्यवस्था भारत के रक्षा मंत्रालय द्वारी की जाती है। लेकिन शुरुआती समय में यानी 1950 से 1954 तक गणतंत्र दिवस परेड राजपथ की जगह इरविन स्टेडियम जिसे नेशनल स्टेडियम कहा जाता है, किंग्सवे, रामलीला मैदान और लाल किला में आयोजित की जाती थी। राजपथ पर परेड की शुरुआत 1955 से हई जिस दौरन मुख्य अतिथि के रूप में पाकिस्तान के पहले गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मोहम्मद को आमंत्रित किया गया था।
2. हर साल गणतंत्र दिवस समारोह पर एक मुख्य अतिथि को बुलाया जाता है। ये एक परंपरा सी बन गई है, जिसे हर साल निभाया जाता है। कई बार इस दिवस पर दो या दो से अधिक महमान भी शामिल हुए हैं। वर्ष 1950 से 2020 तक लागातार कोई न कोई मुख्य अतिथि के रूप में इस परेड में शामिल हुआ है। केवल 2021 और 2022 के दौरान कोरोना महामारी की ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई कि गणतंत्र दिवस की परेड के दौरान कोई मुख्य अतिथि नहीं था। इस बार (2023) फिर इस प्रथा को आगे बढ़ाते हुए मुख्य अतिथि के रूप में मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी को आमंत्रित किया गया है। भारत और मिस्र के बीच हमेशा से ही संबंध अच्छे रहे हैं लेकिन इस साल भारत और मिस्र अपने डिप्लोमेटिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है। ये अवस इस कारण से और भी खास हो जाता है।
3. गणतंत्र दिवस परेड की शुरुआत राष्ट्रपति द्वारा झंडा फहराने से की जाती है। राष्ट्रीय ध्वज फहराने के तुरंत बाद राष्ट्रगान बजाया जाता है और राष्ट्रगान के समय पर भी 21 तोपों की सलामी फायरिंग की जाती है। आपको बता दें की 21 तोपों की समाली 7 तोपों द्वारा तीन-तीन के राउंड में की जाती है, इन तोपों को 25 पॉन्डर्स के रूप में माना जाता है। 3 राउंड की फायरिंग में हर फायरिंग में एक दम सटीक 52 सेकंड का अंतर होता है। साथ ही आपको बता दें सलामी के लिए प्रोयग की जाने वाली इन तोपों का निर्माण 1941 में किया गया था।
4. गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने वाले रेजिमेंट और अन्य प्रतिभागियों को परेड की सूचना और उनके उसमें शामिल होने के बारे में पहले ही सूचित किया जाता है ताकि वह परेड की तायैारी कर सकें। प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रतिभागी परेड की तैयारी महीनों पहले शुरू कर देते हैं और परेड में शामिल होने वाले सभी रेजीमेंट अपने संबंधित स्थान पर ही परेड की तैयारी करते हैं। साल के अंत में यानी की दिसंबर के महीने तक में ये सभी दिल्ली आते हैं और फिर कर्तव्य मार्ग पर परेड की तैयारी की जाती है।
5. हर साल परेड में शामिल होने वाले सभी प्रतिभागी परेड के लिए बहुत मेहनत और परिश्रम करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि परेड की तैयारी के लिए करीब 600 घंटों का अभ्यास किया जाता है। ताकि उस दौरान किसी भी प्रकार की चुक न होए।
6. गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने वाले सभी उपकरणों के रख-रखाव के लिए इंडिया गेट परिसर में एक विशेष शिवर तैयार किया जाता है, जहां टैंक, बख्तरबंद वाहनों आदि जैसे कई उपकरण रखे जाते हैं। आपको बता दें कि इन उपकरणों की जांच 10 चरणों में की जाती है जिसमें सफेदी का कार्य भी शामिल होता है।
7. गणतंत्र दिवस की परेड की तैयारी के दौरान परेड में शामिल होने वाला हर समूह करीब 12 किलोमीटर की दूरी तक करता है, लेकिन 26 जनवरी की परेड के दिन ये दूरी केवल 9 किलोमीटर की होती है।
8. परेड में शामिल होने वाले समूह में से किसी एक समूहों को सर्वश्रेष्ठ मार्चिंग ग्रुप की उपाधि से नवाजा जाता है। 9 किलोमीटर के इस रास्ते में जजों को बैठाया जाता है जो 200 मापदंडों के आधार पर अपना फैसाला सुनाते हैं और उसके आधार पर बेस्ट मार्च करने वाले समूह को सम्मानित किया जाता है।
9. 26 जनवरी गणतंत्र दिवस परेड में भारत की सैन्य शक्ति के प्रदर्शन के अलावा भारत के विभिन्न राज्यों की झांकिया भी निकाली जाती है ताकि अपने देख की संस्कृती और परंपरा को दिखाया जा सकें। परेड में शामिल हुई सभी झांकियां 5 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलती है और इस बात का विशेष ध्यान दिया जाता है कि दो झांकियों के बीच आवश्यक अंतर रहे।
10. परेड में भाग लेने वाली झांकिया केवल राज्यों की ही नहीं होती है इसमें मंत्रालयों की झांकिया भी शामिल की जाती है।
11. सैन्य शक्ति प्रदर्शन और झांकियों के प्रदर्शन के बाद समय आता है वायु सेना का। जिसमें फ्लाईपास्ट की जाती है। ये बहुत आकर्षक होता है क्योंकि इसमें वायु सेना के पायलट एयरक्राफ्ट के माध्यम से कई तरफ की फॉर्मेशन आकाश में देखने को मिलती है। ये विमान अलग-अलग केंद्रों से उडाए जाते हैं। जो राजपथ पर फ्लाईपास्ट का अद्भुत दृश्य प्रदर्शित करते हैं।
आपको बता दें कि गणतंत्र दिवस परेड में होने वाले सभी गतिविधियों को पहले से निर्धारित किया जाता है और ध्यान दिया जाता है कि इस दौरान किसी भी प्रकार की गलती न होए।
12. गणतंत्र दिवस में शामिल हुई सभी झांकिया परेड के बाद लाल किले के परिसर में रखी जाती है जहां 26 जनवरी से ही भरत पर्व की शुरुआत होती है जो 31 जनवरी तक चलता है। इस दौरान लोग जाकर राज्यों की झांकियों को करीब से देख और फोटो भी ले सकते हैं।
परेड की इसी खूबसूरती और प्रतिभागियों द्वारा की जा रही मेहनत को दखने के लिए देश के सभी निवासी टीवी पर परेड देखने के लिए तैयार हो जाते हैं। देश में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं होगा जो परेड न देखे। देश भक्ति की भावना को सही मायने में इस परेड में दिखाया जाता है। जहां दिल्ली की ठंड में जहां फिलहाल 1 से 2 डिग्री का तापमान है दर्ज किया गया है आने वाली समय में ठंड कम होगी या बढ़ेगी कोई सोच नहीं सकता है वहां गणतंत्र दिवस समारोह में स्कूल के बच्चे और अन्य सभी प्रतिभागी मार्च कर रहे होंगे।