Republic Day 2023: वर्ष 1950 से हर साल 26 जनवरी को पूरे जोश, उत्साह और गर्व के साथ राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर मुख्य आयोजन नई दिल्ली के कर्त्तव्य पथ (पहले राजपथ) होता है। इसमें भारतीय सेना की शानदार परेड निकलती है, साथ ही विभिन्न राज्यों की संस्कृति को प्रदर्शित करती हुई झांकियां भी शामिल होती हैं।
आगामी 26 जनवरी 2023 को संपूर्ण भारत देश 74वां गणतंत्र दिवस मनाएगा । विगत वर्षों की तरह इस वर्ष भी दिल्ली में मुख्य आयोजन होगा। इसमें भारतीय सेना के तीनों अंगों के साथ भारतीय सांस्कृतिक विविधता की झलक भी देखने को मिलेगी । भव्य परेड से बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी पर एक नजर।
इसलिए चुनी गई 26 जनवरी
ब्रिटिश राज से स्वतंत्रता पाने के बाद डॉ भीम राव अंबेडकर के नेतृत्व में ड्राफ्टिंग कमेटी ने नए संविधान की रचना की। भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ, जिसके तहत भारत को स्वतंत्र संप्रभु गणराज्य घोषित किया गया। 26 जनवरी का चयन इसलिए किया गया, क्योंकि इसी दिन सन् 1930 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अंग्रेजों की गुलामी से निकलने के लिए पूर्ण स्वराज पाने की घोषणा की थी। इस तरह यह स्वतंत्र भारत के संविधान को अंगीकार करने का दिन है। इसीलिए इस दिन पूरे देश में देशभक्ति की भावना के साथ यह पर्व मनाया जाता है।
ध्वजारोहण के बाद वीरों का सम्मान
इस अवसर पर नई दिल्ली स्थित इंडिया गेट के पास सर्वप्रथम भारत के राष्ट्रपति राष्ट्रीय झंडा फहराते हैं। ध्वजारोहण के बाद 21 तोपों की सलामी के साथ राष्ट्रगान गाया जाता है। जिन शहीदों ने देश के लिए अपनी जान की कुर्बानी दी, उनके प्रति पूरे देश की ओर से श्रद्धांजलि प्रकट करने के लिए भारत के प्रधानमंत्री अमर जवान ज्योति पर पुष्पवक्र अर्पित करते हैं । फिर सेना के तीनों अंगों में बहादुर सैनिकों को परमवीर चक्र, अशोक चक्र, महावीर चक्र और वीर चक्र से सम्मानित किया जाता है। जिन बच्चों ने विपरीत स्थितियों में साहस का परिचय देते हुए आम नागरिकों की जीवनरक्षा की उन्हें भी सम्मानित किया जाता है। इसके बाद कर्तव्य पथ पर भव्य परेड आयोजित की जाती है, परेड में सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करने के अतिरिक्त भारत की विविधतापूर्ण संस्कृति की भी झलक दिखती है।
निकलती है शानदार परेड
परेड की शुरुआत गैलेंट्री अवार्ड्स विजेताओं से होती है। विजेता सैन्य जीपों में खड़े होकर राष्ट्रपति को सैल्यूट करते हैं। इसके बाद भारत की सैन्य शक्ति का प्रदर्शन किया जाता है। विभिन्न रेजिमेंट्स के सैन्य दलों से भारत के राष्ट्रपति सैल्यूट स्वीकारते हैं। फिर सशस्त्र बलों, पुलिस और नेशनल कैडेट कोर की मार्च-पास्ट परेड से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें होती है। अंत में भारतीय वायु सेना के फाइटर जेट्स जनपथ पर उड़ान भरते हैं, तब परेड का समापन होता है।
करोडों लोग देखते हैं आयोजन
गणतंत्र दिवस परेड का लाइव टेलीकास्ट और वेबकास्ट किया जाता है, जिसे पूरी दुनिया में करोड़ों लोग टीवी और मोबाइल पर देखते हैं। आयोजन समाप्त होने के बाद एक्सक्लूसिव फुटेज 'वीडियो ऑन डिमांड' के तौर पर उपलब्ध रहता है। देश के सभी राज्यों की राजधानियों में जो समारोह मनाए जाते हैं, उनमें राज्यपाल झंडा फहराते हैं। जिला मुख्यालयों, कस्बों, पंचायतों में भी कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।
बीटिंग द रिट्रीट से समारोह का समापन
गणतंत्र दिवस समारोह से जुड़े जब सारे कार्यक्रम पूरे हो जाते हैं तो 29 जनवरी की शाम को 'बीटिंग द रिट्रीट' सेरेमनी होती है, जो गणतंत्र दिवस कार्यक्रमों के समाप्त होने की आधिकारिक घोषणा है। 26 से 29 जनवरी तक सभी महत्वपूर्ण सरकारी इमारतों को रोशन रखा जाता है। ड्रमर सोलो परफॉर्मेंस भी देते हैं, जिसे ड्रमर्स कॉल कहते हैं। बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी में 'सारे जहां से अच्छा...' की धुन बजाते हुए बैंड वापस अपने मूल स्थानों की ओर मार्च करते हैं। शाम के ठीक छह बजे राष्ट्रध्वज को उतारा जाता है और राष्ट्रगान गाया जाता है। इस तरह गणतंत्र दिवस के आयोजनों का औपचारिक समापन होता है।
परेड से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें
→ 1950 और 1954 के बीच गणतंत्र दिवस की परेड दिल्ली में क्रमशः इरविन स्टेडियम(अब नेशनल स्टेडियम), किंग्सवे (कर्त्तव्यपथ), लाल किले और रामलीला मैदान में आयोजित की गई थी।
→ कर्त्तव्यपथ, राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक का लगभग तीन किमी. का रास्ता है। यहीं पर ही सन् 1955 से हर साल गणतंत्र दिवस पर परेड का आयोजन होता है। ब्रिटिश शासन में इस सड़क का नाम किंग्सवे हुआ करता था, जोकि तत्कालीन ब्रिटेन के सम्राट जॉर्ज पंचम के सम्मान में रखा गया था। आजादी के बाद इस सड़क का नाम बदलकर राजपथ कर दिया गया। पिछले साल इस मार्ग का नाम राजपथ से बदलकर कर्त्तव्यपथ कर दिया गया।
→ भारत के राष्ट्रपति के आगमन के बाद ही गणतंत्र दिवस परेड आरंभ होती है। राष्ट्रपति की सवारी के बॉडीगार्ड्स ही सबसे पहले राष्ट्रध्वज को सलामी देते हैं। राष्ट्रगान होता है और फिर 21 तोपों की सलामी दी जाती है।