RAVIDAS JAYANTI 2022 संत रविदास जयंती पर भाषण निबंध इतिहास महत्व दोहा कोट्स

RAVIDAS JAYANTI 2022 Date Speech Essay History Significance Quotes Doha हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास की पूर्णिमा को संत रविदास जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष रविदास जयंती 2022 में 16 फरवरी, बुधवार को मनाई जा रही है।

By Careerindia Hindi Desk

RAVIDAS JAYANTI 2022 हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास की पूर्णिमा को संत रविदास जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष रविदास जयंती 2022 में 16 फरवरी, बुधवार को मनाई जा रही है। संत रविदास का जन्म 1377 सीई वारणसी, उत्तर प्रदेश में माघ पूरनमासी को हुआ। गुरु रविदास एक प्रसिद्ध संत थे, भक्ति आंदोलन के साथ साथ आध्यात्मिकता और जातिवाद के खिलाफ लोगों को जागरूक करते थे। भक्त उन्हें रैदास, रोहिदास और रूहिदास के नाम से भी बुलाते थे। संत रविदास की माता का नाम कलसा देवी और पिता का नाम संतोख दास था। संत रविदास ने अंपने जीवनकाल में लोगों के बीच भेदभाव को दूर करने का अथक प्रयास किया और हमेशा सद्भाव और शांति से रहने की शिक्षा दी।

RAVIDAS JAYANTI 2022 संत रविदास जयंती पर भाषण निबंध इतिहास महत्व दोहा कोट्स

गुरु रविदास जयंती पर निबंध भाषण इतिहास महत्व
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, गुरु रविदास का जन्म माघ महीने में पूर्णिमा के दिन) में हुआ था, यही वजह है कि माघ पूर्णिमा पर संत रविदास की जयंती मनाई जाती है। गुरु रविदास का जन्म 1377 सीई में वाराणसी (उत्तर प्रदेश) में हुआ। गुरु रविदास एक भारतीय रहस्यवादी, कवि, समाज सुधारक और आध्यात्मिक गुरु थे। गुरु रविदास ने भक्ति आंदोलन के दौरान भक्ति गीतों, छंदों, आध्यात्मिक शिक्षाओं के रूप में उल्लेखनीय योगदान दिया। उन्होंने 40 कविताएं भी लिखीं, जो सिख धर्म का पवित्र ग्रंथ है। उन्होंने मुख्य रूप से जाति व्यवस्था का विरोध किया, सांप्रदायिक सद्भाव, आध्यात्मिक स्वतंत्रता को बढ़ावा दिया और समानता का समर्थन किया। श्री गुरु रविदास का जन्मस्थान उनके सभी अनुयायियों के लिए विशेष महत्व रखता है, वह मीरा बाई के आध्यात्मिक मार्गदर्शक भी थे।

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, संत रविदास के अनुयायी उनकी जयंती पर पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और उनके जीवन की शिक्षाओं से प्रेरणा लेते हैं। संत रविदास जी के जीवन में कई घटनाएं घटी हैं, जो एक आदर्श और शांतिपूर्ण जीवन जीने का तरीका सिखाती है। उनके अनुयायी इस दिन को एक वार्षिक उत्सव के रूप में मनाते हैं और उनके जन्म स्थान पर लाखों भक्त इकट्ठा होते हैं। इस दिन कई भव्य उत्सव आयोजित किए जाते हैं और संत रविदास की झांकी निकाली जाती है और उनके दोहे पढ़े जाते हैं। साथ ही रविदास की झांकी में भजन कीर्तन किए जाते हैं और उनके छंदों से लोग प्रेरणा लेते हैं।

रविदास संत कैसे बने? संत रविदास के बारे में प्रचलित कथा के अनुसार कहा जाता है कि एक बार वह अपने मित्र के साथ खेल रहे थे। अगले दिन संत रविदास जी उसी स्थान पर आए, लेकिन उनके मित्र वहां नहीं थे। जब रविदास ने उनकी तलाश शुरू की तो उन्हें इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि उनके दोस्त मर चुके हैं। जब उन्हें यह समाचार मिला तो उन्हें बहुत पीड़ा हुई और वह उस स्थान पर गए जहां उनके मित्रों की लाश पड़ी थी। वह उनके पास गए और धीरे से कहा कि यह खेलने और सोने का समय नहीं है, यह सुनते ही उसका दोस्त उठ खड़ा हुआ। तब से रविदास को संत मना लिया गया। ऐसा माना जाता है कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि संत रविदास को बचपन से ही अलौकिक शक्तियां प्राप्त थीं और लोग उसी दिन से उनकी शक्तियों पर विश्वास करने लगे थे।

समय बीतने के साथ, उन्होंने अपना अधिकांश समय भगवान राम और भगवान कृष्ण की पूजा में बिताना शुरू कर दिया और धार्मिक कर्मों का पालन करके एक संत बन गए। माघ पूर्णिमा के दिन अलौकिक शक्तियों से परिपूर्ण संत रवि दास की जयंती मनाई जाती है। कहा जाता है कि वह बचपन से ही लोगों के जूतों की मरम्मत करते थे। उन्होंने हमेशा धर्म, जाति और पंथ के आधार पर दूसरों के बीच भेदभाव न करने की शिक्षा दी। लोग आज भी उनकी शिक्षाओं का पालन करते हैं और उनसे सबक लेते हैं। आइए जानते हैं उनकी जयंती पर कुछ ऐसे दोहे जिनका महत्व आज भी सबसे अच्छा माना जाता है।

संत रविदास के दोहे
मन चंगा तो कठौती में गंगा
ब्राह्मण मत पूजिए जो होवे गुणहीन, पूजिए चरण चंडाल के जो होने गुण प्रवीन
मन ही पूजा मन ही धूप, मन ही सेऊं सहज स्वरूप
रविदास जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच, नकर कूं नीच करि डारि है, ओछे करम की कीच
रैदास कहै जाकै हदै, रहे रैन दिन राम, सो भगता भगवंत सम, क्रोध न व्यापै काम

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English summary
RAVIDAS JAYANTI 2022 Date Speech Essay History Significance Quotes Doha : According to the Hindu calendar, Sant Ravidas Jayanti is celebrated on the full moon of Magh month. This year Ravidas Jayanti is being celebrated on 16 February, Wednesday in 2022. Sant Ravidas was born in 1377 CE on Magha Poornamasi in Varanasi, Uttar Pradesh. Sant Ravidas's mother's name was Kalasa Devi and father's name was Santokh Das. Sant Ravidas during his lifetime tried to make people aware against casteist discrimination and always taught to live in harmony and peace.
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