Rajasthan Diwas 2023: राजस्थान दिवस क्यों मनाया जाता है, क्या है इसका इतिहास, जाने आधुनिक राजस्थान के बारे में

Rajasthan Diwas 2023: राजस्थान को राजाओं और वीरों की भूमि माना जाता है। यहां से कई ऐतिहासिक वीर गाथाओं की शुरुआत हुई है। आज राजस्थान अपनी परंपरा, संस्कृति और खूबसूरती के लिए जाना जाता है। राजस्थान भारत का सबसे बड़ा राज्य है। जिसे एक खूबसूरत ट्रैवल डेस्टिनेशन के तौर पर देखा जाता है। हर साल लाखों घरेलू और विदेशी पर्यटक राजसी का आनंद लेने राजस्थान जाते हैं। इस साल राजस्थान अपना 73 वां राजस्थान दिवस मना रहा है।

राजस्थान की भूमि विशाल किलों, आश्चर्यजनक महलों, विविध संस्कृतियों, मनोरम व्यंजनों का एक रंगीन मिश्रण है। ये एक बीहड़ तो है लेकिन आकर्षक परिदृश्य के बीच स्थित है। इसकी पिंक और ब्लू सिटी की सुंदरता मनमोहक है। संस्कृति और इतिहास की झलक देखने वाले लोगों के लिए राजस्थान उनकी लिस्ट में टॉप पर आता है। आइए आपको आज राजस्थान के पुराने इतिहास से लेकर आज से आधुनिक समय के बारे में बताएं।

राजस्थान दिवस क्यों मनाया जाता है, क्या है इसका इतिहास, जाने आधुनिक राजस्थान के बारे में

राजस्थान

राजाओं की भूमि कहलाने वाला ये राज्य भारत के सबसे रंगीन राज्यों में से एक है। आपने इसकी पिंक सिटी और ब्ल्यू सिटी के बारे में तो सुना ही होगा। इन दोनों शहरों की मात्र कुछ तस्वीरें आपको राजस्थान जाने के लिए मजबूर कर सकती है। इस राज्य में इतना कुछ छुपा हुआ है कि आप इसे कुछ दिन में देख ही नहीं सकते हैं। जितना बड़ा ये राज्य है उससे भी अधिक बड़ा इस राज्य का इतिहास है। यहां आपको महल, हवेलियां, झीलें, रेत के टीले आदि सब देखने को मिलता है। राजस्थान भारत का सबसे बड़ा राज्य है जो भारत के कुल क्षेत्रफल का 10.4 प्रतिशत हिस्सा कवर करता है। राजस्थान केवल अपने इतिहास के लिए ही नहीं जाना जाता है अब इस राज्य को आधुनिक राज्य के तौर पर भी देखा जाता है। आइए पहले इसके इतिहास के बारे में जाने।

कब मनाया जाता है राजस्थान दिवस

राजस्थान राज्य का गठन 30 मार्च 1949 में हुआ था। इसी दिन को चिन्हित करने के लिए प्रत्येक वर्ष राजस्थान दिवस मनाया जाता है। इसी समय में "राजपूताना" को भारत में विलय किया गया था। राजस्थान का इतिहास 5000 वर्ष पुराना है। आपको बता दें कि राजपुताना नाम ब्रिटिशों द्वारा इस क्षेत्र कि निर्भरताओं का प्रबंधन करने के लिए अपनाया गया था। इस नाम से पहले इसका नाम "गुजराठा" हुआ करता था। गुजराठा का अर्थ है गुर्जरों द्वारा संरक्षित भूमि। वीरों की ये भूमि पहले गुजराठा फिर राजपुताना और आज का राजस्थान है। इस समय काल में हुए मुगलों और बाहरी लोगों के आक्रमण और लड़ाईयों ने इस राज्य को ढेरों ऐतिहासिक वीर गाथाओं से भर दिया है।

इस राज्य में भूतपूर्व उन्नीस रियासतें, दो प्रमुख रियासतें और अजमेर-मेरवाड़ा का ब्रिटिश जिला शामिल है। जिसमें जैसलमेर, मारवाड़ (जोधपुर), अलवर और धुआंधार (जयपुर), बीकानेर और मेवाड़ (चित्तौड़गढ़), राजपूत रियासतें के साथ भरतपुर और ढोलपुर जो जाटो के अधिन थी और टोंक रियासत पठानों के अधीन थी।

क्या है राजस्थान का प्राचीन इतिहास

कई विशेषज्ञों का मानना है कि राजस्थान के कुछ हिस्से सिंधु घाटी सभ्यता के हिस्से थे। वहीं 1998 में उत्तर पश्चिम राजस्थान के कालीबंगा में हुई खुदाई के दौरान हड़प्पा काल की मानव बस्तियों के भी अस्तित्व सामने आए। मौर्य साम्राज्य से लेकर गुप्त साम्राज्य और गुप्त साम्राज्य से लेकर मुगल काल और ब्रिटिश शासन काल तक राजस्थान शासकों का क्षेत्र रहा है।

मध्यकालीन राजस्थान का इतिहास क्या है

मध्यकालीन समय में राजस्थान को स्वर्ण युग माना जाता था। इस दौरान संघर्ष भी देखा गया है और मुगलों और राजपूतों में विश्वास स्थापित करने के लिए वैवाहिक संबंधों की स्थापना भी देखी गई है। जब बात आती है राजपूतों और मुगलों के बीच वैवाहिक संबंध स्थापित करने की तो हर किसी के ध्यान में केवल एक ही नाम आता है और वो है जोधा अकबर का। जहां बादशाह अकबर ने राजपूत शासकों का विश्वास हासिल करने के लिए उनके साथ वैवाहिक संबंध स्थापित किए। उन्होंने आमेर के महाराजा की बेटी राजपूत राजकुमारी जोधाबाई से विवाह किया। यह एक महान कदम था जिससे मुगलों और राजपूतों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध की स्थापना हुई।

लेकिन ऐसा नहीं है कि मुगल शासन के कोई खिलाफ नहीं था। राजा उदय सिंह जिनके द्वारा उदयपुर शहर की स्थापना की गई थी, मुगल शासन के पूरी तरह से खिलाफ थे। उन्होंने मुगलों के साथ लगातार युद्ध किया और उनकी मृत्यु के बाद ये युद्ध उनके पुत्र महाराणा प्रताप द्वारा जारी रखा गया। जब बात आती है राजस्थान के इतिहास की तो राजस्थान के राजा हेमू को कैसे भूला जा सकता है। हेमू नाम से जानें जाने वाले राजा हेमचंद्र विक्रमादित्य जिन्होंने 1553 में अजमेर के पहले विद्रोह में अपनी अहम भूमिका निभाई थी और अफगानों को हराया था।

राजस्थान में ब्रिटिश शासन

भारत में 70 साल तक ब्रिटिश का शासन रहा है। ईस्ट इंडिया कंपनी के आने के साथ ही देश के परिदृश्य में बदलाव होने शुरू हुआ और देखते ही देखते स्थिति खराब होने लगी। उस दौरान राजस्थान को "राजपूताना" के नाम से एक नई पहचान मिली थी। ब्रिटिश के आने के बाद राजपूत राजाओं ने उनके आधिपत्य और बाहरी मामलों पर ब्रिटिश के नियंत्रण को स्वीकार किया। उसके बाद से समय के साथ सभी में विद्रोह की चिंगारी ने जन्म लिया और देश को 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त हुई। स्वतंत्रता प्राप्त होने के बाद राजस्थान राज्य का गठन हुआ और इस राज्य को अपना नाम "राजस्थान" मिला। आइए अब इतिहास से बाहर निकल कर आधुनिक राजस्थान के बारे में जानें और समझे आज के राजस्थान को।

पर्यटन में राजस्थान

जैसा की आपको हमने बताया कि राजस्थान पर्यटकों की श्रेणी में आने वाला सबसे पहला राज्य होता है। जहां वह जाना चाहते हैं। यहां की संस्कृति और इतिहास यहां के संघर्ष और समृद्धि को प्रदर्शित करता है। ये राज्य भारत के सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक है जहां आपको कई दिलचस्प कहानियों के साथ सुंदर नजारों का आंदन प्राप्त होता है और यहां के खाने का लुत्फ उठाने का अवसर भी। राजस्थान में स्थित 6 किलो को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है। वह स्थल क्रमशः चित्तौड़गढ़ किला, कुंभलगढ़ किला, रणथंभौर किला, गागरोन किला, आमेर किला और जैसलमेर किला है।

इतिहास से हट कर बात करें तो ये राज्य अपने मेलों, त्योहारों, धार्मिक स्थल, हस्तशिल्प क अपनी कला, ग्रामीण और पर्यावरण-पर्यटन, वास्तुकला और हेरिटेज होटल के शाही अंदाज से अपनी तरह पर्यटकों को आकर्षित करता है।

राजस्थान में सिंगापुर का योगदान

वर्ष 2016 में आईई सिंगापुर ने "स्मार्ट शहरी समाधान और पर्यटन विकास में सिंगापुर और राजस्थान कंपनियों के बीच सहयोग को सुविधाजनक बनाने" के लिए राजस्थान सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।

इसी साल के अक्टूबर महीने में सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सीन लुंग ने उदयपुर में एक पर्यटन कौशल प्रशिक्षण केंद्र का शुभारंभ किया। ये प्रशिक्षण केंद्र सिंगापुर के इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल एजुकेशन सर्विसेज द्वारा तैयार किया गया था।

राजस्थान में शुरू किए गए प्रमुख क्षेत्र

• राजस्थान पड़ोसी देशों में भारत के लगभग 40 प्रतिशत बाजार तक की पहुंच रखता है।

• राजस्थान में राष्ट्रीय राजमार्गों का तीसरा सबसे बड़ा नेटवर्क।

• ये राज्य भारत का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है।

• तिलहन, तोरिया और सरसों के उत्पादन में भारत में पहले स्थान पर है और लहसुन, पोषक मोटे अनाज, धनिया और जीरा का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।

• गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने सितंबर 2022 में जैसलमेर में सीमा पर्यटन विकास कार्यक्रम के तहत श्री तनोट मंदिर परिसर परियोजना का शिलान्यास और भूमि पूजन किया।

• जुलाई 2022 में, एनटीपीसी रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड ने 10 GW अल्ट्रा मेगा रिन्यूएबल एनर्जी पावर पार्क के विकास के लिए राजस्थान सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

• अगस्त 2022 में, श्री नरेंद्र सिंह तोमर, कृषि और किसान कल्याण मंत्री ने केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (CAZRI) में चार नई सुविधाओं का उद्घाटन किया, जो भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत 60 से अधिक वर्षों से उत्कृष्ट सेवाएं प्रदान कर रहा है।

• अगस्त 2022 तक राजस्थान की कुल स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता 36,113.09 मेगावाट थी। जिसमें से 3,937.36 मेगावाट केंद्रीय उपयोगिताओं के तहत और 8,890.35 मेगावाट राज्य उपयोगिताओं के तहत थी। वहीं 23,285.38 मेगावाट निजी क्षेत्र के तहत थी। कुल स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता में से 14,102.19 मेगावाट थर्मल द्वारा, 1,941.93 मेगावाट हाइड्रो द्वारा और 21,454.16 मेगावाट अक्षय ऊर्जा द्वारा योगदान दिया गया।

• राजस्थान राज्य भारत में सीमेंट-ग्रेड चूना पत्थर का अग्रणी उत्पादक है। चूना पत्थर का उत्पादन अप्रैल 2020 से फरवरी 2021 में 66.26 मिलियन टन पर पहुंच गया।

• राजस्थान के प्रमुख क्षेत्रों में से क्षेत्र पर्यटन भी है। 2021 में 219.88 मिलियन घरेलू पर्यटक और 0.34 मिलियन विदेशी पर्यटक राजस्थान यात्रा के लिए पहुंचे थे।

• जुलाई 2022 तक में राज्य में छह अधिसूचित विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) थे।

• जुलाई 2022 में, सरकार ने अधिक कनेक्टिविटी प्रदान करने और गतिशीलता में सुधार के लिए तरंगा हिल-अंबाजी-अबू रोड नई रेल लाइन के निर्माण को मंजूरी प्रदान की।

• राजस्थान मंत्रिमंडल ने राज्य में फिल्म निर्माण गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान फिल्म पर्यटन प्रोत्साहन नीति 2022 को मंजूरी दी।

• FY22 में राजस्थान से प्लाईवुड और संबद्ध उत्पादों का कुल निर्यात 625.35 मिलियन अमेरिकी डॉलर (6.47%) रहा।

• खनन और खनिज प्रसंस्करण राज्य के लिए एक अन्य प्रमुख क्षेत्र है। वित्त वर्ष 22 में जिंक और जिंक से बने उत्पादों का निर्यात 367.67 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचा।

• फरवरी 2021 में राज्य में उत्पादित सभी खनिजों का मूल्य 1,479.95 करोड़ रुपये (202.45 मिलियन अमेरिकी डॉलर) था।

• 2020 में राज्य में कुल 12,698 करोड़ रुपये (1.71 बिलियन अमेरिकी डॉलर) के निवेश के साथ 40 निवेश के इरादे दर्ज किए गए थे।

राजस्थान के प्रमुख उद्योग

• सीमेंट
• पर्यटन
• कपड़ा
• आईटी और आईटीईएस
• मिट्टी के पात्र
• हस्तशिल्प
• रासायनिक
• संगमरमर
• इस्पात

राजस्थान का कृषि क्षेत्र और खनिज उत्पादन

राजस्थान नौ कृषि जलवायु क्षेत्रों और विभिन्न प्रकार की मिट्टी के साथ एक कृषि अर्थव्यवस्था है। ये अर्थव्यवस्था खेती के दौरान काफी सहायक साबित होती है। इतना ही नहीं राज्य में लगभग 82 प्रकार के खनिज उपलब्ध है। इसमें से 57 खनिजों का व्यवसायिक उत्पादन किया जाता है। इसी कारण से राजस्थान भारत का दूसरा सबसे बड़ा खनिज उत्पादक है। इसके साथ ये राज्य संगमरमर, ग्रेनाइट और बलुआ पत्थर जिना प्रयोग आयामी और सजावट के कार्य में किया जाता है, उसके उत्पादन के लिए भी महत्वपूर्ण है।

राजस्थान में शिक्षण संस्थानों की संख्या

• केंद्रीय विश्वविद्यालय -1
• राज्य विश्वविद्यालय - 26
• निजी विश्वविद्यालय - 52
• फार्मेसी कॉलेज - 139
• इंजीनियरिंग कॉलेज (एआईसीटीई अनुमोदित) - 226
• प्रबंधन संस्थान - 79
• औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान - 1600+
• पॉलिटेक्निक संस्थान - 226
• कौशल आधारित विश्वविद्यालय - 2

आपको बता दें की इंजीनियरिंग और मेडिकल की कोचिंग के लिए राजस्थान का कोटा शहर बहुत ही मशहूर माना जाता है। हर साल कई छात्र इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज में प्रवेश प्राप्त करने के लिए कोटा के कोचिंग इंस्टीट्यूट में प्रवेश लेते हैं।

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English summary
Rajasthan Diwas 2023: Rajasthan is considered the land of kings and heroes. Many historical heroic stories have started from here. Today Rajasthan is known for its tradition, culture and beauty. Which is seen as a beautiful travel destination. Every year millions of domestic and foreign visit Rajasthan to enjoy the majestic. Every year Rajasthan celebrates its foundation day on 30 March. This year Rajasthan is celebrating its 73rd foundation day.
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