President Ram Nath Kovind Speech On 73rd Republic Day 2022
भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज 25 जनवरी को 73वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित किया। गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति का भाषण शाम सात बजे आकाशवाणी के सभी केंद्रों और दूरदर्शन के सभी चैनलों पर प्रसारित किया गया। राष्ट्रपति का गणतंत्र दिवस पर भाषण हिंदी और अंग्रेजी समेत सभी क्षेत्रीय भाषाओं में दूरदर्शन के क्षेत्रीय चैनलों द्वारा प्रसारित किया गया। आकाशवाणी के क्षेत्रीय नेटवर्क पर रात 9 बजाकर 30 मिनट पर गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति का भाषण का क्षेत्रीय भाषा में प्रसारण किया गया।
President Ram Nath Kovind Speech Live Updates
तिहत्तरवें #गणतंत्रदिवस की पूर्व संध्या पर, देश और विदेश में रहने वाले आप सभी भारत के लोगों को मेरी हार्दिक बधाई! हम सबको एक सूत्र में बांधने वाली भारतीयता के गौरव का यह उत्सव है। गणतन्त्र दिवस का यह दिन उन महानायकों को याद करने का अवसर भी है जिन्होंने स्वराज के सपने को साकार करने के लिए अतुलनीय साहस का परिचय दिया तथा उसके लिए देशवासियों में संघर्ष करने का उत्साह जगाया। दो दिन पहले, 23 जनवरी को हम सभी देशवासियों ने 'जय-हिन्द' का उद्घोष करने वाले नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 125वीं जयंती पर उनका पुण्य स्मरण किया है। स्वाधीनता के लिए उनकी ललक और भारत को गौरवशाली बनाने की उनकी महत्वाकांक्षा हम सबके लिए प्रेरणा का स्रोत है। हम अत्यंत सौभाग्यशाली हैं कि हमारे संविधान का निर्माण करने वाली सभा में उस दौर की सर्वश्रेष्ठ विभूतियों का प्रतिनिधित्व था। वे लोग हमारे महान स्वाधीनता संग्राम के प्रमुख ध्वज-वाहक थे। आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करने के मूल कर्तव्य को निभाते हुए हमारे करोड़ों देशवासियों ने स्वच्छता अभियान से लेकर कोविड टीकाकरण अभियान को जन-आंदोलन का रूप दिया है। ऐसे अभियानों की सफलता का बहुत बड़ा श्रेय हमारे कर्तव्य-परायण नागरिकों को जाता है। सन 1930 में महात्मा गांधी ने देशवासियों को 'पूर्ण स्वराज दिवस' मनाने का तरीका समझाया था। यथाशक्ति रचनात्मक कार्य करने का गांधीजी का यह उपदेश सदैव प्रासंगिक रहेगा। गांधीजी चाहते थे कि हम अपने भीतर झांक कर देखें, आत्म-निरीक्षण करें और बेहतर इंसान बनने का प्रयास करें, और उसके बाद बाहर भी देखें, लोगों के साथ सहयोग करें और एक बेहतर भारत तथा बेहतर विश्व के निर्माण में अपना योगदान करें।
मुझे यह कहते हुए गर्व का अनुभव होता है कि हमने कोरोना-वायरस के खिलाफ असाधारण दृढ़-संकल्प और कार्य-क्षमता का प्रदर्शन किया है। अनगिनत परिवार, भयानक विपदा के दौर से गुजरे हैं। हमारी सामूहिक पीड़ा को व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। लेकिन एकमात्र सांत्वना इस बात की है कि बहुत से लोगों की जान बचाई जा सकी है। कोविड महामारी का प्रभाव अभी भी व्यापक स्तर पर बना हुआ है, अतः हमें सतर्क रहना चाहिए और अपने बचाव में तनिक भी ढील नहीं देनी चाहिए। हमने अब तक जो सावधानियां बरती हैं, उन्हें जारी रखना है। कोविड महामारी के खिलाफ लड़ाई में वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों द्वारा बताई गई सावधानियों का पालन करना आज हर देशवासी का राष्ट्र-धर्म बन गया है। यह राष्ट्र-धर्म हमें तब तक निभाना ही है, जब तक यह संकट दूर नहीं हो जाता। कठिन परिस्थितियों में लंबे समय तक काम करके, यहां तक कि मरीजों की देखभाल के लिए अपनी जान जोखिम में डाल कर भी डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिक्स ने मानवता की सेवा की है। लोगों को रोजगार देने तथा अर्थ-व्यवस्था को गति प्रदान करने में छोटे और मझोले उद्यमों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हमारे इनोवेटिव युवा उद्यमियों ने स्टार्ट-अप ईको-सिस्टम का प्रभावी उपयोग करते हुए सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। जन-संसाधन से लाभ उठाने यानि डेमोग्राफिक डिविडेंड प्राप्त करने के लिए, हमारे पारंपरिक जीवन-मूल्यों एवं आधुनिक कौशल के आदर्श संगम से युक्त राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिये सरकार ने समुचित वातावरण उपलब्ध कराया है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि विश्व में सबसे ऊपर की 50 'इनोवेटिव इकॉनोमीज़' में भारत अपना स्थान बना चुका है।
यह उपलब्धि और भी संतोषजनक है कि हम व्यापक समावेश पर जोर देने के साथ-साथ योग्यता को बढ़ावा देने में सक्षम हैं। पिछले वर्ष ओलंपिक खेलों में हमारे खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन से लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई थी। उन युवा विजेताओं का आत्मविश्वास आज लाखों देशवासियों को प्रेरित कर रहा है। हाल के महीनों में, हमारे देशवासियों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में अपनी प्रतिबद्धता और कर्मठता से राष्ट्र और समाज को मजबूती प्रदान करने वाले अनेक उल्लेखनीय उदाहरण मुझे देखने को मिले हैं। उनमें से मैं केवल दो उदाहरणों का उल्लेख करूंगा। भारतीय नौसेना और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड की समर्पित टीमों ने स्वदेशी व अति-आधुनिक विमानवाहक पोत 'आई.ए.सी.-विक्रांत' का निर्माण किया है जिसे नौसेना में शामिल किया जाना है। ऐसी आधुनिक सैन्य क्षमताओं के बल पर, अब भारत की गणना विश्व के प्रमुख नौसेना-शक्ति-सम्पन्न देशों में की जाती है। ऐसे उदाहरण से मेरा यह विश्वास दृढ़ होता है कि एक नया भारत उभर रहा है - सशक्त भारत और संवेदनशील भारत। मुझे विश्वास है कि इस उदाहरण से प्रेरणा लेकर अन्य सक्षम देशवासी भी अपने-अपने गांव एवं नगर के विकास के लिए योगदान देंगे। हरियाणा के भिवानी जिले के सुई गांव में उस गांव से निकले कुछ प्रबुद्ध नागरिकों ने संवेदनशीलता और कर्मठता का परिचय देते हुए 'स्व-प्रेरित आदर्श ग्राम योजना' के तहत अपने गांव का कायाकल्प कर दिया है। अपने गांव यानि अपनी मातृभूमि के प्रति लगाव और कृतज्ञता का यह एक अनुकरणीय उदाहरण है।
भारत के जो लोग अपने परिश्रम और प्रतिभा से जीवन की दौड़ में आगे निकल सके हैं उनसे मेरा अनुरोध है कि अपनी जड़ों को, अपने गांव-कस्बे-शहर को और अपनी माटी को हमेशा याद रखिए। आज, हमारे सैनिक और सुरक्षाकर्मी देशाभिमान की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। हमारे सशस्त्र बल तथा पुलिसकर्मी देश की सीमाओं की रक्षा करने तथा आंतरिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए रात-दिन चौकसी रखते हैं ताकि अन्य सभी देशवासी चैन की नींद सो सकें। जब कभी किसी वीर सैनिक का निधन होता है तो सारा देश शोक-संतप्त हो जाता है। पिछले महीने एक दुर्घटना में देश के सबसे बहादुर कमांडरों में से एक - जनरल बिपिन रावत - उनकी धर्मपत्नी तथा अनेक वीर योद्धाओं को हमने खो दिया। इस हादसे से सभी देशवासियों को गहरा दुख पहुंचा। प्रतिकूल परिस्थितियों में भारत की दृढ़ता का यह प्रमाण है कि पिछले साल आर्थिक विकास में आई कमी के बाद इस वित्त वर्ष में अर्थ-व्यवस्था के प्रभावशाली दर से बढ़ने का अनुमान है। देशप्रेम की भावना देशवासियों की कर्तव्य-निष्ठा को और मजबूत बनाती है। चाहे आप डॉक्टर हों या वकील, दुकानदार हों या ऑफिस-वर्कर, सफाई कर्मचारी हों या मजदूर, अपने कर्तव्य का निर्वहन निष्ठा व कुशलता से करना देश के लिए आपका प्राथमिक और सबसे महत्वपूर्ण योगदान है।
सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर के रूप में, मुझे यह उल्लेख करते हुए प्रसन्नता हो रही है कि यह वर्ष सशस्त्र बलों में महिला सशक्तीकरण की दृष्टि से विशेष महत्वपूर्ण रहा है। इक्कीसवीं सदी को जलवायु परिवर्तन के युग के रूप में देखा जा रहा है और भारत ने अक्षय ऊर्जा के लिए अपने साहसिक और महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के साथ विश्व-मंच पर नेतृत्व की स्थिति बनाई है। हमारा स्वतंत्रता संग्राम हमारी गौरवशाली ऐतिहासिक यात्रा का एक प्रेरक अध्याय था। स्वाधीनता का यह पचहत्तरवां वर्ष उन जीवन-मूल्यों को पुनः जागृत करने का समय है जिनसे हमारे महान राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरणा मिली थी। हमारी सभ्यता प्राचीन है परन्तु हमारा यह गणतंत्र नवीन है। राष्ट्र निर्माण हमारे लिए निरंतर चलने वाला एक अभियान है। जैसा एक परिवार में होता है, वैसे ही एक राष्ट्र में भी होता है कि एक पीढ़ी अगली पीढ़ी का बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत करती है। मुझे विश्वास है कि इसी ऊर्जा, आत्म-विश्वास और उद्यमशीलता के साथ हमारा देश प्रगति पथ पर आगे बढ़ता रहेगा तथा अपनी क्षमताओं के अनुरूप, विश्व समुदाय में अपना अग्रणी स्थान अवश्य प्राप्त करेगा।
गणतंत्र दिवस 2022
भारत आज अपना 73वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। भारत को ब्रिटिश राजतंत्र से पूर्ण स्वराज 26 जनवरी 1950 को तब मिली जब भारत का संविधान लागू हुआ और भारत एक संप्रभु गणराज्य बना। यह दिन एक विशेष स्थान रखता है, क्योंकि आज ही के दिन भारत का संविधान लागू हुआ था। गणतंत्र दिवस समारोह आमतौर पर 24 जनवरी को शुरू होता है, लेकिन इस साल से 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती से गणतंत्र दवस समारोह शुरू किया गया है। परंपरा के मुताबिक गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद राष्ट्र को संबोधित करते हैं।
73वें गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति का अभिभाषण
राष्ट्रपति राम नाथ कोविड आज 25 जनवरी 2022 को शाम 7 बजे राष्ट्र को संबोधित करेंगे। राष्ट्रपति कोविंद के भाषण का आकाशवाणी के सभी राष्ट्रीय चैनलों पर सीधा प्रसारण किया जाएगा और दूरदर्शन के सभी चैनलों पर हिंदी में प्रसारण किया जाएगा। हिंदी भाषण के बाद अंग्रेजी संस्करण का प्रस्तुत किया जाएगा। एक बार अंग्रेजी और हिंदी संस्करण पूरा होने के बाद, राष्ट्रपति भाषण को क्षेत्रीय भाषाओं में प्रसारित किया जाएगा। क्षेत्रीय भाषा के संस्करण भी आकाशवाणी द्वारा अपने संबंधित चैनलों पर रात 9:30 बजे से प्रसारित करेगा। गणतंत्र दवस पर राष्ट्रपति का भाषण प्रेस सूचना ब्यूरो इंडिया या डीडी नेशनल के यूट्यूब चैनल पर लाइव देखा जा सकता है।
73वां गणतंत्र दिवस 2022 परेड
इस साल देश में कोविड-19 की स्थिति के कारण गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने वालों की संख्या 5 से 8 हजार रह गई है। इससे पहले करीब सवा लाख लोग परेड में शामिल होते थे। पिछले साल के बाद इस साल भी 26 जनवरी की परेड में कोई मुख्य अतिथि शामिल नहीं होगा। यह लगातार दूसरा वर्ष है जब देश में कोविड-19 की स्थिति को देखते हुए गणतंत्र दिवस परेड में कोई विदेशी मुख्य अतिथि शामिल नहीं हो रहा है।
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