राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस का महत्त्व तकनीकी प्रगति की याद दिलाना है क्योंकि प्रौद्योगिकी लोगों को संगठित रहने, संवाद करने और उत्पादकता बढ़ाने में मदद करती है। इसके साथ ही ये हमें नई अंतर्दृष्टि भी प्रदान करती है जो कि हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह लेख आपको राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस पर निबंध लिखने में मदद कर सकता है। या फिर अगर वाद-विवाद के लिए तैयारी कर रहे हैं, तो आपको जरूर मदद मिलेगी।
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस कब मनाया जाता है?
भारत में प्रत्येक वर्ष 11 मई को 'राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस' मनाया जाता है। इस दिवस की शुरुआत 11 मई 1999 को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने की थी। जिसका उद्देश्य भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की वैज्ञानिक और तकनीकी उपलब्धियों को याद करना है। हालांकि हर साल, 'भारतीय प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड' भारत के वैज्ञानिकों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उनके योगदान के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित करते हुए ये दिवस मनाता है।
भारतीय प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड
'भारतीय प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड' भारत सरकार का एक सांविधिक निकाय है जो प्रौद्योगिकी विज्ञान विभाग के अधीन कार्य करता है। इसके अलावा, यह व्यापक घरेलू अनुप्रयोगों के लिए स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के व्यावसायीकरण या आयातित प्रौद्योगिकियों के अनुकूलन के लिए भारतीय औद्योगिक प्रतिष्ठानों और अन्य एजेंसियों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
गौरतलब है कि 1996 में अपनी स्थापना के बाद से, टीडीबी ने प्रौद्योगिकियों के व्यावसायीकरण के लिए 300 से अधिक कंपनियों को वित्त पोषित किया है। और हर साल 'राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस' के अवसर टीडीबी तीन श्रेणियों के तहत राष्ट्रीय पुरस्कारों, एमएसएमई पुरस्कारों और स्टार्टअप पुरस्कारों के तहत प्रौद्योगिकियों के व्यावसायीकरण के लिए राष्ट्रीय पुरस्कारों के लिए आवंटित करता है।
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस पर निबंध, वाद विवाद के लिए बिंदु
• 11 मई 1998 को, भारत ने राजस्थान में सेना के पोखरण परीक्षण रेंज में सफलतापूर्वक परमाणु परीक्षण किया था। ऐसा करते हुए भारत 'परमाणु क्लब' में शामिल होने वाला छठा देश बन गया।
• 1998 में उसी दिन, भारत ने अपने पहले स्वदेशी विमान हंसा-3 का परीक्षण किया जिसने बेंगलुरु में उड़ान भरी। विमान निगरानी, पायलट प्रशिक्षण और अन्य टोही उद्देश्यों के लिए था। उस दिन सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल त्रिशूल का सफल परीक्षण किया गया था।
• परीक्षणों का नेतृत्व स्वर्गीय ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने किया, जो कि एक एयरोस्पेस वैज्ञानिक थे और आगे चलकर भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति बने। भारत में पहला परीक्षण 1974 में, कोड-नाम "स्माइलिंग बुद्धा" का हुआ था। जिसके बाद भारत में परमाणु परीक्षण दूसरा उदाहरण था।
• एक ही दिन में कई तकनीकी प्रगति के साथ, भारत सरकार ने 11 मई को 'राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस' के रूप में घोषित किया। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस पर आधिकारिक रूप से हस्ताक्षर किए थे। पहला राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस 1999 में मनाया गया था।
• तब से, प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) प्रत्येक वर्ष एक कार्यक्रम आयोजित करता है जहां भारत के राष्ट्रपति वैज्ञानिकों को उनके योगदान के लिए पुरस्कार प्रदान करते हैं। विभिन्न सेमिनार और कार्यशालाएं भी आयोजित की जाती हैं।
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस 2022 थीम
इस वर्ष का थीम - "सतत भविष्य के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी में एकीकृत दृष्टिकोण" है। वैश्विक महामारी के कम होते प्रभाव को देखते हुए, इस वर्ष का उत्सव पिछले वर्षों से भिन्न हो सकता है। वहीं राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस 2021 की थीम "सतत भविष्य के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी" रखी गई थी।
प्रौद्योगिकी का महत्व
आज के दौर में प्रौद्योगिकी देश के विकास के साथ-साथ लोगों के जीवन का भी एक महत्वपूर्ण अंग बन गई है। शिक्षा, व्यवसाय जैसे कई अन्य क्षेत्रों में, प्रौद्योगिकी अहम भूमिका निभा रही है। जिससे की लोग अपने घर बैठकर अपनी इच्छा अनुसार काम कर पा रहे हैं। सोचिए अगर यह तकनीक नहीं होती तो हमारा जीवन कैसा होता?
प्रौद्योगिकी ने हमें जीवन के उच्च स्तर को प्राप्त करने में सक्षम बनाया है और लोगों को नौकरी की व्यापक संभावनाएं प्रदान की हैं। तकनीक की मदद से लोग इंटरनेट का उपयोग कर सकते हैं, जो इसके बिना संभव नहीं होता। वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान, प्रौद्योगिकी ही एकमात्र ऐसा साधन था जिसने हमें दुनिया के साथ जोड़े रखने में मदद की। नतीजतन, हम सभी 11मई का दिन प्रौद्योगिकी के लिए समर्पित करते हैं जो कि हमारे वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के काम और परिष्कृत प्रौद्योगिकियों के लिए आभार व्यक्त करता है।
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस पर निबंध स्पीच के लिए बिंदु
• दुनिया में लगभग 3.8 बिलियन सोशल मीडिया उपयोगकर्ता हैं।
• यहां हर मिनट में लगभग 570 वेबपेज बनाए जाते हैं।
• रेडियो को 50 मिलियन श्रोताओं तक पहुंचने में 38 साल लगे, जबकि वेब को केवल चार साल लगे।
• 2019 के आंकड़ों के अनुसार, लोग अपने जीवन के लगभग दस साल टेलीविजन देखने में बिताते हैं। जब कि नेटफ्लिक्स, प्राइम वीडियो और अन्य वीडियो स्ट्रीमिंग ऐप्स का उपयोग बढ़ सकता है।
• टेक्नोफोबिया, किसी भी अन्य फोबिया की तरह ही एक डर है जो कि लोगों को तकनीक से होता है।