National Science Day 2024 Speech Essay In Hindi/राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर भाषण निबंध हिंदी में कैसे लिखें: भारत में हर साल 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। नेशनल साइंस डे 2024 की थीम ''विकसित भारत के लिए स्वदेशी तकनीक'' रखी गई है। नेशनल साइंस डे इसलिए मनाया जाता है क्योंकि 28 फरवरी 1928 को महान भारतीय वैज्ञानिक सर सीवी रमन ने 'इफेक्ट' की खोज की थी, जिसे 'रमन इफेक्ट' नाम से भी जाना जाता है। महान वैज्ञानिक सर सीवी रमन को 1930 में फिजिक्स के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
देशभर के सभी स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर भाषण, विज्ञान प्रदर्शनी, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं, व्याख्यान आदि जैसी विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। जो छात्र राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2023 पर निबंध या भाषण लिखना चाहते हैं, वह नीचे दिए गए राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर भाषण निबंध ड्राफ्ट की मदद ले सकते हैं।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2024 पर भाषण निबंध (National Science Day Speech Essay Idea For Students Kids)
माननीय अतिथि और मेरे प्यारे दोस्तों आप सबको मेरा प्रणाम, राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर यह मंच पाकर बेहद सम्मानित महसूस कर रहा हूं। यह तो हम सभी जानते हैं कि भारत में हर साल 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। लेकिन क्या आप वास्तव में जानते हैं कि हम हर साल 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस क्यों मनाते हैं? राष्ट्रीय विज्ञान दिवस महान भारतीय वैज्ञानिक सर चंद्रशेखर वेंकट रमन द्वारा 'रमन इफेक्ट' के आविष्कार की याद में मनाया जाता है।
28 फरवरी को सर रमन ने 1928 में रमन इफेक्ट का आविष्कार किया था। विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए, सर रमन को वर्ष 1930 में फिजिक्स में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। तब से हर साल इस दिन को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है। हम विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए हमेशा उन्हें याद रखेंगे।
सर सीवी रमन का जन्म 7 नवंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में हुआ था। उनके पिता फिजिक्स और गणित के विद्वान थे। उन्होंने सेंट अलॉयसियस एंग्लो-इंडियन हाई स्कूल, विशाखापत्तनम में अध्ययन किया। 1904 में उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से बीएससी की डिग्री प्राप्त की और पहले स्थान हासिल कर फिजिक्स में स्वर्ण पदक जीता।
सन 1907 में उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से एमएससी की डिग्री पूरी की। 1907 से 1933 तक उन्होंने इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ़ साइंस में कोलकाता में काम किया और भौतिकी में विभिन्न विषयों पर शोध किया। 28 फरवरी 1928 को रमन ने प्रकाश के प्रकीर्णन पर केएस कृष्णन के साथ इस प्रयोग का नेतृत्व किया।
अपनी सेवानिवृत्ति के बाद, रमन ने बैंगलोर में रमन शोध संस्थान की स्थापना की। सर सीवी रमन का 21 नवंबर 1970 को निधन हो गया। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगों को हमारे दैनिक जीवन में विज्ञान के महत्व के बारे में जागरूक करना और विज्ञान प्रौद्योगिकी के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना है। इसी के साथ मैं अपना भाषण समाप्त करता हूं और आप सबको धन्यवाद देता हूं।
NATIONAL SCIENCE DAY 2023 HISTORY SIGNIFICANCE IMPORTANCE IN HINDI
सीवी रमन का पूरा नाम सर चंद्रशेखर वेंकट रमन है। इनका जन्म 7 नवंबर 1888 को हुआ और 21 नवंबर 1970 बैंगलोर में निधन हुआ। विज्ञान के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के लिए सीवी रमन को भारत रत्न और नोबल समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। इस दिन 1928 में भारत के प्रमुख वैज्ञानिक सीवी रमन ने 'रमन इफ़ेक्ट' का आविष्कार किया।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2024 की थीम क्या है?
नेशनल साइंस डे 2024 की थीम ''विकसित भारत के लिए स्वदेशी तकनीक'' रखी गई है।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य क्या है?
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को विज्ञान के महत्व के बारे में जागरूक करना और विज्ञान प्रौद्योगिकी के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना है। इसके अलावा, इस दिन का उद्देश्य विज्ञान और तकनीक को प्रसिद्ध करने के साथ ही देश के नागरिकों को इस क्षेत्र मौका देकर नई ऊंचाइयों को हासिल करना भी है।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का इतिहास क्या है ?
1986 में नेशनल काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी कम्युनिकेशन (NCSTC) ने 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में घोषित किया। भारत सरकार की मंजूरी के बाद पहला राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 1987 में मनाया गया।
सीवी रामन कौन है ?
भारत रत्म से सम्मानित प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ सीवी रमन का जन्म 7 नवंबर 1888 को तमिलनाडु में हुआ था।
सीवी रमन सिद्धांत क्या है?
सर सीवी रमन ने 1928 में खोज की थी कि जब रंगीन प्रकाश की किरण किसी तरल में प्रवेश करती है, तो उस तरल द्वारा बिखरे हुए प्रकाश का एक अंश एक अलग रंग का होता है। तब पता चला कि इस बिखरी हुई रोशनी की प्रकृति मौजूद नमूने के प्रकार पर निर्भर थी।