Mothers Day Special Story: मदर्स डे यानी मां के लिए निर्धारित खास दिन। (Mothers Day Date 2023) इस वर्ष मदर्स डे 2023 में 14 मई को मनाया जा रहा है। अभी तक हमने केवल इंसानों में मां और बच्चे के संबंध (Mother Child Relations) की कहानी सुनी हैं। मदर्स डे के इस अवसर (Occasion of mother's day) पर हम आपको जीवों जानवरों में मां और बच्चे के प्रेम की कहानी (Mothers Child Relations In Animals) बताएंगे।
यहां कैसे एक मां अपने बच्चे के लिए स्पेशल (World Best Mothers) होती है, ये बताया जायेगा। जब एक बच्चे की जान की बात आ जाए तो कैसे मां अनूठी और हैरतनाक हो जाती है। जीवजगत यानी जानवरों में कुछ ऐसी मांएं हैं जिनकी मदरिंग टेकनीक बेहद अनूठी और हैरतनाक है। आइये जानते हैं इनके बारे में...
मदर्स डे पर जिराफ की कहानी
जिराफ माँ को अपने नवजात शिशु के साथ पेश आते देख आप दांतों तले ऊँगली दबा लेंगे। आप हो सकता है इसे दुनिया की सबसे निष्ठुर माँ भी कह दें. जैसे ही इसका नवजात शिशु माँ के पेट से नीचे गिरता है, वह घबरा जाता है क्योंकि यह आठ फुट की ऊँचाई से गिरता है। जिराफ माँ एक बार इसे पुचकारती है लेकिन फिर तुरंत ही कसकर लात से ठोकर मारती है तो शिशु बेचारा दो-तीन फुट दूर जा गिरता है। लडखडाकर वह मासूम दोबारा उठने की कोशिश करता है तो माँ फिर उसके पास पहुंचकर उसी तरह लात जमा देती है। अबतक शिशु अपने पैर पर खड़ा होना सीख लेता है। यही तो माँ चाहती है। आज की दुनिया में बच्चे का खुद के पैर पर खड़ा होण कितना जरुरी है यह समझना कोई मुश्किल काम नहीं।
मदर्स डे पर मुर्गी की कहानी
ये अपनी जिम्मेदारी को बहुत गंभीरता से लेती हैं। इन्हें अपने अंडों को कठोर बनाने के लिए अपनी डाइट में कैल्शियम कार्बोनेट की अत्यधिक मात्रा का सेवन करना पड़ता है। अगर डाइट सही नहीं मिलती तो इनके शरीर में मौजूद हड्डियों के क्षऱण से अंडों का खोल बनता है, जिससे ये बेचारी बेहद दुर्बल हो जाती हैं।लेकिन बच्चे की भलाई के लिए इन्हें सब मंजूर है।
मदर्स डे पर शिकारी चींटियों की कहानी
मैडागास्कर में पाई जाने वाली ब्लड सकिंग चींटी एडेटोमिरमैंट अपने बच्चों के प्रति अलग अंदाज में प्यार दिखाती है। जब रानी चींटी लार्वा को जन्म देती है तब वह खुद और मजदूर चींटियां उसमें छेद करके उनका तरल हीमोलिम्फ (खून जैसा) में चूसती हैं। वैज्ञानिकों का भी उनके इस डरावने स्नेह पर अचरज होता है, लेकिन उनका मानना है कि चींटियों में फ्लूइड ट्रांसफर सोशल बिहेवियर है।
मदर्स डे पर ग्रे व्हेल की कहानी
आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए पैसिफिक महासागर के ठंडे पानी में रहने वाली ग्रे व्हेल हजारों मील की दूरी तय करके मैक्सिको के समुद्र तट के पास आती है। यहां ये अपने बच्चों को शांति से अपना पौष्टिक दूध पिला पाती हैं। इनके दूध में ५३ फीसदी वसा रहती है। इस दौरान लंबे समय तक इन्हें भूखा रहकर बच्चों के लिए पौष्टिक दूध भी तैयार करना पड़ता है। प्रसव होने तक ये कई बार 8 टन तक वजन खो देती हैं।
मदर्स डे पर मकड़ी की कहानी
मकड़ियों की कुछ प्रजातियां अपने अंडे देने के बाद एग कुकून को जाल में सुरक्षित रखती है। फिर जब बच्चे निकलने लगते हैं, तो भूखी मकड़ी अपने कुछ बच्चों को खा जाती है, फिर दूसरे बच्चों के लिए पौष्टिक सूप जैसा पदार्थ तैयार करती हैं, जिसे खाकर वे मजबूत होते हैं। जबये बच्चे एक महीने के हो जाते हैं तो मां मकड़ी गोलमोल होकर उनके लिए जगह बनाती है। ये बच्चे उस पर टूट पड़ते हैं और अपना जहर व डाइजेस्टिव एंजाइम्स उसमें इंजेक्ट करके उसे मार डालते हैं फिर उसे खा लेते हैं। इसके बाद ये बच्चे भी आपस में एक दूसरे को खाने लगते हैं। जो कमजोर होता है वो मारा जाता है और ताकतवर बच जाता है।
मदर्स डे पर पॉयजन फ्रॉगकी कहानी
पॉयजन ऐरो फ्रॉग मां अपने बच्चों के पालन पोषण के लिए इतने जतन कहती है कि आप जानकर हैरान हो जाएंगे। ये एक बार में 5 अंडे देती हैं।जब अंडे फूट जाते हैं तो एक एक टैडपोल को पीठ पर बैठाकर पेड़ की सबसे ऊंची शाखाओं पर ले जाती है। इसके बाद वह तालाब की खोज में निकलती है और हर टैडपोल को अलग तालाब या पानी के गड्ढे में छोड़कर आती है। इसकी सुपरमॉम ड्यूटी यहीं खत्म नहीं होती। इसके बाद हर टैडपोल को यह 6 से 8 हफ्ते तक अपने अंडे खिलाती है ताकि वे ताकतवर बनें। इन्हें (बच्चों को) दूर दूर और अलग अलग रखने का मकसद यही है कि ये एक दूसरे को न खा जाएं।
मदर्स डे पर ऑक्टोपस की कहानी
ऑक्टोपस मां कई मायनों दुनिया की दूसरी माताओं से बिल्कुल अलग होती है। ऐसा त्याग करने वाली माता का दूसरा उदाहरण नहीं मिलेगा। ऑक्टोपस मां एक बार में दो लाख तक अंडे दे सकती है। इन्हें अपने अण्डों की एक माह तक निगरानी करनी पड़ती है और इस दौरान यह अण्डों के पास से हिलती तक नहीं। चाहे भूख से इनकी हालत कितनी भी खराब हो जाए, फिर भी नहीं। कई बार तो ये क्षुधा मिटाने के लिए अपनी ही भुजाओं को खा डालती हैं, लेकिन बच्चों को अकेला नहीं छोड़ती। अंडे फूटने पर उनमें से बच्चे निकलकर इधर-उधर बहने लगते हैं, इस बीच मां ज्यादातर भूख से और कई बार दुर्बल होने की वजह से दुश्मन का शिकार होकर मर जाती है।