Mothers Day Essay Speech In Hindi 2022: इस साल मदर्स डे कब है 2022 में नहीं पता तो बता दें कि मदर्स डे 2022 में 8 मई को है। लोग मदर्स डे पर निबंध (Mother's Day Essay) या मदर्स डे भाषण (Mother's Day Speech) की तैयारी कैसे करें इसे लेकर काफी चिंतित रहते हैं। इसलिए हम मदर्स डे पर निबंध कैसे लिखें या मदर्स डे पर भाषण कैसे लिखें, इसकी जानकारी लेकर आए हैं। गूगल ट्रेंड्स में मदर्स डे की हार्दिक शुभकामनाएं, मदर्स डे शायरी, मदर्स डे फोटो, मदर्स डे कोट्स, मदर्स डे इमेज, मदर्स डे वॉलपेपर, मदर्स डे स्टेटस और मदर्स डे ग्रीटिंग कार्ड्स टॉप पर बने हुए हैं। इस पेज पर आपको मदर्स डे से जुड़े फैक्ट्स और मदर्स डे की शायरी और मदर्स डे कोट्स का लिंक भी मिलेगा, जिसकी मदद से आप अपनी मां को मदर्स डे की हार्दिक बधाई देकर स्पेशल फील करवा सकते हैं। तो आये जानते हैं मदर्स डे पर सबसे बेस्ट निबंध/भाषण की तैयारी कैसे करें...
मदर्स डे निबंध भाषण
जब आप किसी स्टेज पर जाएं तो सबसे पहले बोलें, आप सभी को मदर्स डे की हार्दिक शुभकामनाएं, मैं बड़ा सौभाग्यशाली हूं जो आपने मुझे मातृत्व दिवस पर दो शब्द बोलने का मौका दिया। उसके बाद आप नीचे दिए गए पैराग्राफ को पढ़ना शुरू करें...
सुरक्षा कवच बनी मां
संकट का समय हो या खुशी का मौका मां एक पनाह सी होती है। आपदा में जीवन सहजने वाली देवी और खुशी के समय बच्चों के एहसासों को समझने वाली प्यारी सी दोस्त बन जाती है। तभी तो कोरोना इंफेक्शन के दौर में भी मां अपने बच्चों की सुरक्षा और सेहत के लिए पूरी तरह मुस्तैद है। बच्चों के मन के मिजाज को समझने से लेकर तबीयत का ख्याल तक हर मोर्चे पर डटी है। ऑनलाइन स्कूलिंग के चलते इन दिनों घर की स्कूल बन गया है। कोविड-19 से बचाव के लिए अपनाई गई सोशल डिस्टेंसिंग ने अपने आंगन को ही को ही खेल का मैदान बना दिया है। ऐसे में माओं की जिम्मेदारी बढ़ी हुई है। वह समय के तकाजे को समझ रही है और अपने बच्चों का सुरक्षा कवच बनी हुई है।
हर मोर्चे पर डटी है मां
छुट्टियों में इस बार ना नानी के घर और ना ही कोई हॉलिडे ट्रिप, बच्चे घर तक सिमट गए हैं। ऐसे में मां उनकी इम्यूनिटी से लेकर मन की सेहत तक सब कुछ संभालने में जुटी हुई है। कम से कम ऑप्शंस में भी बच्चों को उनकी पसंद का कुछ पकाकर खिला रही है। आउटडोर एक्टिविटीज ना होने पर लूडो सांप सीढ़ी शतरंज और कैरम जैसे खेल खेलकर बच्चों को ऐसा माहौल देने की कोशिश कर रही है। इतना ही नहीं इस महामारी से जूझते हुए बच्चों को हर परिस्थिति में हिम्मत से जीने का सबक भी दे रही हैं। अपने बच्चों के लिए कोरोना की मुसीबत के इस वक्त में मां जाने कितने ही मोर्चों पर डटी हुई है।
सेहत का रख रही ध्यान
मां का मन सबसे ज्यादा बच्चों की सलामती की चिंता करता है। उनकी सेफ्टी को लेकर डरा सहमा रहता है। बड़ी से बड़ी बीमारी में भी खुद की जरा भी परवाह न करने वाली मां का दिल बच्चों की छोटी सी तकलीफ से भी परेशान हो जाता है। अब जब कदम कदम पर इंफेक्शन का खतरा बना हुआ है। मांओं के मन में फिक्र भी बढ़ गई है। कोरोना संक्रमण फैलने की चिंताओं के बीच इन दिनों देश ही नहीं दुनिया के हर हिस्से की मां अपने बच्चों की सेहत को लेकर डरी डरी सी है। पर मां तो मां होती है, भय में भी बच्चे के बचाव के करना नहीं भूलती। आजकल घरों पर बच्चों के सेहतमंद खानपान और देश की लाइफ स्टाइल को लेकर मांएं काफी कुछ कर रही है। कोरोना इंफेक्शन के बचाव का सबसे अहम उपाय इम्युनिटी का स्ट्रांग होना है। मां बहुत प्यार से बच्चों की इम्युनिटी मजबूत करने के जतन कर रही हैं। कड़वा काढ़ा पिलाना हो या घर का खाना खाने की आदत डालना, मां कोई रियायत नहीं दे रही है। स्नेह और शक्ति के प्यार के मेल से बच्चों को इस तकलीफ देह समय में स्वास्थ्य रहने की हर कवायद कर रही है। इस आपदा से लड़ते हुए यह हौसला देने वाली बात है कि जीवन देने वाली मां जीवन सहेजने में भी पीछे नहीं रहती। हालत चाहे जैसे हो अपने बच्चों की सेहत की हिफाजत करने से नहीं चूकती।
मन को दे रही मजबूती
हर पल इन्फेक्शन के भय से घेर देने वाली कोरोना महामारी में बच्चों भी तनाव और अवसाद से गुजर रहे हैं। पर मां का साथ उनका मनोबल मजबूत कर रहा है। वह अपने बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रख रही है। यह भी परेशानी के दौर में मां से ज्यादा बच्चों के मन को कौन समझ सकता है। अब जब बाहर खेलने जाना मना है, स्कूल बंद है, घर में भी खुलकर खेलने और चीजों को छूने तक की मनाई है। तब मां ही उनकी दोस्त बनी हुई है। अपने बच्चों को सहज और सकारात्मक परिवेश दे रही है, ताकि बच्चों का मन प्रसन्न रहे। इस बीमारी के फैलने की फिक्र की बदौलत अपने मन में आए भय को छुपाकर भी बच्चों को मुस्कुराहट दे रही है। लॉकडाउन में बच्चे कई बंधन में बांध गए हैं। पहले स्कूल ट्यूशन और खेल के मैदान तक उनका शेड्यूल बिजी रहता था। अब यह घर बंदी उनके लिए घुटन का कारण बनी रही है। लेकिन देखने में आ रहा है कि मां इस चुनौतीपूर्ण समय में भी परवरिश के मोर्चे पर वॉरियर्स की तरह डटी ही हैं। यूं तो मां हर समय ही अपने बच्चे के मन को थामने का काम करती है, उनकी गोद हर डर को दूर दूर रखने वाला आसरा होती है, पर इस अजब अंजानी आपदा से लड़ते हुए भी उनका यह जज्बात दिख रहा है। जो बच्चों के मन को मजबूती दे रहा है।
स्वच्छता की सीख
मनमौजी बनकर जीते बच्चों की जिंदगी इन दिनों ठहरी हुई है, लेकिन इस ठहराव में भी बार-बार हाथ धोकर, खांसी आने पर मुंह कवर करना, अपनी ही आंखों और मुंह हाथों को ना छूना और खाने पीने की चीजों की साफ-सफाई का ख्याल रखना, जैसी बातें बच्चों को हैरान परेशान भी कर रही है। ऐसे में मां अपने बच्चों को सहजता से स्वच्छता का पाठ पढ़ा रही हैं। उन्हें जागरूक कर रही हैं। वैसे भी साफ-सफाई से रहने सधी हुई लाइफ स्टाइल अपनाने और खुद को संभालने के संस्कार बच्चों को मां ही देती है। ऐसे पाठ ही जिंदगी की बुनियाद पक्की करते हैं। इंफेक्शन के चलते बने हालातों में मां इन बातों का ध्यान रख रही हैं। कोरोना के खतरे से वाकिफ है, इसलिए घर के अंदर हर तरह की एतिहात बरत रही है और बच्चों को हाइजीन के मायने समझा रही हैं।
जीवन जीने का पाठ
मां के मन का जज्बा बच्चों की जिंदगी को सुरक्षित रखने और बनाने संवारने का काम हर हालत में कर सकता है। चाहे जितनी जद्दोजहद हो मां बच्चों को जीवन जीने का पाठ पढ़ा दे ही देती हैं। आज की तकलीफ को कल का सबक बनाना आने वाली मां लॉकडाउन में भी बच्चों के विचार और व्यक्तित्व को कई पहलुओं पर स्ट्रांग बना रही हैं। आजकल बच्चों की फिजिकल एक्टिविटीज ना के बराबर है, तो मां बच्चों को घर के छोटे-मोटे काम कराना सिखा रही है। अचानक आई इस आपदा में घर में मौजूद अपनों से कम्युनिकेट करने और जुड़ाव बनाए रखने की सीख दे रही है। बच्चों के मन में अपने घर आंगन से जुड़े रहने का भाव भर रही हैं। इस मुश्किल समय में बच्चों के मन और भावनाओं को सही दिशा दे रही हैं इस तरह की सुख सुविधा में पल बढ़ रहे बच्चों को महत्व समझा रही है हर समय मन का नहीं किया जा सकता इस बात की सहज शिकारी ता पैदा कर रही हैं। बच्चों को संघर्ष करने की सीख दे रही। मां जानती समझती है कि कोरोना आपदा तो एक दिन बीत ही जाएगी, पर ऐसा पाठ बच्चों की जिंदगी की नींव मजबूत बनाएंगे। आने वाले कल में उन्हें हर परिस्थितियों से जूझने की हिम्मत देगा।
बड़े होने पर भी बनी रहती है मां की चिंता है हमारे प्रति
बचपन में ही नहीं युवा होने पर यहां तक की प्रौढ़ावस्था में भी मां अपनी संतान के लिए चिंतित रहती है। जरा सी कोई तकलीफ देखी नहीं कि उसे दूर करने के जतन में जुट जाती है। तो कोरोना प्रकोप के चलते वह कैसे नहीं चिंतित होगी। इन दिनों बहुत कुछ पूछ जान रही है और अपनी जरूरी सलाह भी दे रही है कि तुम लोग बार-बार साबुन से हाथ धो रहे हो ना बाहर बहुत जरूरी हो तो ही निकलना और निकलना तो मास्क जरूर लगाना। ध्यान रखना बच्चों घर से खेलने वाली चलने जरा खांसी जुकाम हो तो तुलसी अदरक काली मिर्च का काढ़ा बनाकर पी लेना। दूध में हल्दी डालकर पीते रहोगे तो बीमारी होगी ही नहीं। इन दिनों वे चीजें खाओ जो शरीर को बीमार होने से लड़ने में ताकत देती है। एक दूसरे का ध्यान रखना प्यार से रहना। हां मां की ऐसी अनगिनत हिदायतें रोज फोन पर मिल जाती है। वह मां ही है जिसका आंचल दूर रहकर भी हमारे सिर पर होता है ताकि हम कुशल प्रसन्न रहें।
अंत में सभी का धन्यवाद जरूर करें...
हैप्पी मदर्स डे...