Russian Luna-25 Mission: हाल में रूस और भारत ने कुछ दिनों के अंतराल अपने-अपने स्पेश क्राफ्ट चंद्रमा के गहन अध्ययन के लिए भेजा, लेकिन भारत का चंद्रयान-3 इतिहास रचने के बस कुछ कदम ही दूर है, तो वही रूस का लूना-25 क्रैश हो चुका है। लेकिन क्या आपने ये सोचने की कोशिश की कि आखिर इसके पीछे मुख्य वजह क्या थी, लूना-25 क्यों क्रैश हो गया? काफी बुद्धजीवियों के मन में ये सवाल कील की तरह चुभ रहे होंगे तो आइए डालते हैं इस पर एक नजर और जानते हैं कि आखिर ऐसा क्यों हुआ?
दरअसल, लूना-25 जो एक छोटी कार के आकार का रोबोट था, जिसने सोयुज रॉकेट के जरिए टेकऑफ किया था। बीते बुधवार को वह चंद्रमा की कक्षा में दाखिल भी हो गया था और आज यानी सोमवार को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर इसके लैंडिंग की पूरी योजना थी। लेकिन एक दिन पहले ही इसकी उम्मीदों पर पानी फिर गया और ये मिशन अधूरा रह गया। इससे रूस को काफी बड़ा झटका लगा है। रूस की अंतरिक्ष एजेंसी का कहना है कि लूना-25 प्रपोल्शन मैनूवर के समय चंद्रमा की सतह से टकरा गया था, जिसकी वजह से ये दुर्घटना का शिकार हो गया और क्रैश हो गया। बता दें, तकनीकी खराबी आने के बाद करीब 10 घंटे तक लूना-25 के साथ कोई संपर्क नहीं हो पाया था।
एजेंसी का कहना है कि चंद्रमा की सतह से टकराने के चलते यह नियंत्रण से बाहर हो गया था और फिर इससे संपर्क भी टूट गया। 47 सालों का सपना लिए यह मिशन रूस का पहला चंद्र लैंडिंग मिशन था, जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की योजना बना रहा था, लेकिन अब ये टूट चुका है। अब 47 सालों का इंतजार और भी अधिक लंबा होने वाला है। हालांकि, दुनियाभर के वैज्ञानिक भी इसके क्रैश होने की चर्चा में लगे हुए हैं।
अगर लूना-25 की सफल लैंडिंग हो जाती तो क्या होता?
रूस ने उम्मीद जताई थी कि अगर उसका ये मिशन सफल होता और लूना-25 सफलता पूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग कर लेता तो ये एक साल तक चट्टान और धूल के नमूने एकत्र करता, जिससे चंद्रमा के बारे में अधिक जानकारी मिल पाती। वैज्ञानिकों का मानना है कि स्थायी रूप से छाया वाले ध्रुवीय क्रेटरों में पानी का जमाव हो सकता है, जिससे जमे पानी को भविष्य के खोजकर्ता हवा और रॉकेट ईंधन में बदल सकते थे। साथ ही चंद्रमा की सतह की मौलिक संरचना के साथ-साथ इसके कमजोर वायुमंडलीय आवरण, प्लाज्मा और कण पदार्थ को जांच की जा सकती थी, लेकिन अब रूस की ये उम्मीद और अधिक समय लेने वाली है।