पश्चिम बंगाल दुर्गा पूजा, बंगाल टाइगर और अपनी सांस्कृती के लिए बहुत अधिक जाना जाता है। अन्य भारतीय राज्यों की तरह बंगाल भी बेहद खूबसूरत राज्य है। हर साल लाखों लोग दुर्गा पूजा देखने के लिए बंगाल जाया करते हैं। बंगाल में दुर्गा पूजा सबसे महत्वपूर्ण पूजा है इसी के साथ ये राज्य फाइन आर्ट्स के लिए भी जाना जाता है। भारत के बड़े छोटे क्षेत्र वाले राज्यों में इस राज्य का स्थान 13वें स्थान पर है। इस राज्य की आबादी की बात करें तो भारत की सबसे अधिक जनसंख्या वाले राज्यों में पश्चिम बंगाल चौथे स्थान पर आता है। भारत में मुगल सम्राज्य के बाद ब्रिटश ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपने अधीन कर लिया। पश्चिम बंगाल स्वतंत्रता आंदोलन का मुख्य केंद्र था। ब्रिटिश शासन में भारत की राजधानी पहले कोलकत्ता थी लेकिन बाद में राजधानी को दिल्ली शिफ्ट कर दिया गया। कोलकत्ता से राजधानी को दिल्ली शिफ्ट करने के पीछे मुख्य कारण यह था की दिल्ली भारत के केंद्र में स्थित है और यहां से शासन चलाना आसान था जिस वजह से राजधानी को दिल्ली शिफ्ट किया गया। भारत की स्वतंत्रता में बंगाल के कई लोगों ने अहम भूमिका निभाई है। और इस बारे में सभी को जानना जरूरी है। आजादी के बाद 1947 में बंगाल विभाजन धार्मिक आधार पर हुआ था। पश्चिम बंगाल हिंदू आबादी वाला राज्य बना और दूसरा क्षेत्र पूर्वी बंगाल जो मुस्लिम-बहुल प्रांत बना जिसे पूर्वी पाकिस्तान कहा गया लेकिन बाद में 1971 की बार में वह बांग्लादेश के तौर पर उभर के सामने आया। इस तरह भारत की स्वतंत्रता में योगदान देने वालों को याद करना आवश्यक है। भारत के इस 76वें स्वतमत्रता दिवस पर आइए जाने पश्चिम बंगाल के स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में।
1). बिपिन चंद्र पाल
बिपिन चंद्र पाल का जन्म 7 नंवबर 1858 में हुआ था। वह एक भारतीय राष्ट्रवादी, स्वतंत्रता सेनानी, लेखक और समाज सुधारक थें। लाल बाल पाल तिगड़ी के पाल के रूप में जाने जाते हैं। इस तिगड़ी में लाला लाजपत राय और बाल गंगाधर तिलक शामिल हैं। श्री अरबिंदो के साथ पाल ने स्वदेशी की शुरूआत की थी। पाल को भारत में क्रांतिकारी विचार के जनक के तौर पर भी जाना जाता है। उसी दौरान पाल ने इंडियन नेशनल कांग्रेस में शामिल हुए। बिपिन चंद्र पाल को पूर्ण स्वराज की मांग की थी। श्री अरबिंदो के द्वारा पाल को राष्ट्रवाद के सबसे शक्तिशाली पैगम्बर की उपाधी दी गई। इसी के साथ वह बंगाल के विभाजन के भी पूरी तरह से खिलाफ थे।
2). श्री अरबिंदो
योग गुरु, महार्षि, पत्रकार, कवि और स्वतंत्रता सेनानी श्री अरबिंदो का जन्म 15 अगस्त 1872 में हुआ था। उन्होंने अंग्रेजों के अत्याचार के खिलाफ भारत की स्वतंत्रता आंदोलन में अपना योगदान दिया। श्री अरबिंदो ने पाल के साथ मिलकर स्वदेशी की शुरूआत की थी।
3). सैयद बदरुद्दुजा
सैयद बदरुद्दुजा का जन्म 4 जनवरी 1900 में हुआ था। इन्हें मुख्य तौर पर खिलाफत आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन के लिए जाना जाता है। ये ब्रिटिशों से भारत की पूर्ण रूप से आजादी चाहते थें।
4). बरिंद्र कुमार घोष
बरिंद्र कुमार घोष को बरीन घोष के नाम से भी जाना जाता है। इनका जन्म 5 जनवरी 1880 में हुआ था। वह भारत के बड़े क्रांतिकारी और पत्रकार थें। उनहोंने जुगांतर बंगाली वीकली पत्र की शुरूआत की। बरिंद्र कुमार श्री अरबिंदो के छोटे भाई थे।
5). मातंगिनी हाजरा
मातंगिनी हाजरा का जन्म 19 अक्टूबर 1870 में हुआ था। वह एक क्रांतिकारी थी जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता में योगदान दिया। इन्हें मुख्य तौर पर सविनय अवज्ञा आंदोलन, चौकीदारी टैक्स बंद आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए जाना जाता है। इसी के साथ मातंगिनी हाजरा को क्रांतिकारी के साथ साथ उनके मानवीय कार्यों के लिए भी जाना जाता है।
6). बीना दास
बीना दास का जन्म 24 अगस्त 1911 में हुआ था। वह महिला स्वतंत्रता सेनानियों में से एक है। 1932 में हुए दीक्षांत समारोह के दौरान बीना दास ने गवर्नर स्टेनली जैक्सन की हत्या करने का प्रयत्न किया था। जिसकी वजह से उन्हें गिरफ्तार किया गया और उन्हें 9 साल की सजा सुनाई गई। लेकिन उन्हें जल्दी रीहाई मिली और वह उसके बाद कांग्रेस में शामिल हुई। जहां उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया और इस वजह से उन्हें फिर एक बार जेल जाना पड़ा।