मध्य प्रदेश भारत के केंद्र मे स्थित है। मध्य प्रदेश राज्य भारत में दूसरे स्थान का सबसे बड़े क्षेत्र वाला राज्य है। इस राज्य की अबादी की बात करें तो ये 5 स्थान पर सबसे बड़ी अबादी वाला राज्य है। विश्व में सबसे अधिक जनसंख्या वाले उपराष्ट्र में ये 9वें स्थान पर आता है। शुरूआत में इस राज्य पर मुगलों का कब्जा था उसके बाद इस पर मराठाओं का अधिकार हुआ। तीसरे आंग्लो-मराठा युद्ध के बाद इस राज्य पर अंग्रेजो का अधिकार हो गया। 1857 की क्रांति के समय पूरे उत्तर भारत में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह चल रहा था। इस विरोध का नेतृत्व तात्या टोपे ने किया था। लेकिन उस दौरान कुछ राजा थे जो अंग्रेजों के साथ मिले थे जिसकी वजह से इस क्रांति को कुचल दिया गया। बाद के दिनों में जब एक बार फिर से स्वतंत्रता आंदोलन की चिंगारी सुलगने लगी तो कई ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे जो स्वतंत्रता की मांग के लिए आगे आए। भारत में कई आंदोलनों की शुरूआत भारत के मध्य क्षेत्र से हुई थी। जो आज की तिथि में मध्य प्रदेश है। इसी के साथ वहां से कई वीरों ने देश भक्ति का सच्चा प्रदर्शन करते हुए आजादी के लिए लड़ाई लड़ी। इस राज्य का गठन भारत की आजादी के बाद 1956 में किया गया था। आज इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष पर हम आपको मध्य प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में बताएंगे जिन्होंने भारत की आजादी में अपना योगदान दिया है। आइए जाने उन शूरवीर योद्धाओं के बारे में-
1). चंद्रशेखर आजाद
चंद्रशेखर सीताराम तिवारी जिन्हें चंद्रशेखर आजाद के नाम से जाना जाता है का जन्म 23 जुलाई 1906 में हुआ था। वह भारतीय क्रांतिकारी थे। इन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल के बाद उनके द्वारा बनाई गई हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन को दूबारा शुरू किया और उसके नाम में थोड़ा सा बदलाव कर नया नाम हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन दिया। गांधी द्वारा चलाए असहयोग आंदोलने के रूकने के बाद आजाद को बहत निराशा हुई। इसी के बाद वह राम प्रसाद बिस्मिल से मिले और उनके साथ काम करना शुरू किया। मुख्य तौर पर फंड एकत्रित करने के लिए ये लोग ब्रिटिश सरकार का माल लूटा करते थे। कोकोरी ट्रेन लूट में इन्हीं का हाथ था। इस तरह इस क्रांतिकारी वीर ने भारत को आजादी दिलाने के लिए कई कार्य किए।
2). रविशंकर शुक्ला
मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रविशंकर शुक्ला का जन्म 2 अगस्त 1877 में हुआ था। वह नेशनल इंडियन कांग्रेस के नेता थे। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता आंदोलनों में अपना योगदान दिया था। रविशंकर शुक्ला हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने पर जोर देते थे। इस लिए उन्होंने कई हिंदी सम्मेलनों में भाद भी लिया। इसी के साथ उन्होंने बरारी हींदी साहित्य सम्मेलन का पहला सत्र 1918 में राजपूर में रखा।
3). तात्या टोपे
तात्या टोपे का जन्म 16 फरवरी 1814 में हुआ। वह 1857 की क्रांति का हिस्सा रहे हैं। जब 1857 की क्रांति हुई तो मध्य भारत और उत्तर भारत का नेतृत्व उनके द्वारा किया गया था। लेकिन अन्य राजा जो अंग्रेजों के समर्थक थे उन्होंने ब्रिटिश सरकार की सहायता की जिस वजह से इक क्रांति को कुचल दिया गया।
4). रानी अवंती बाई
भारत की वीरांगना रानी अवंती बाई का जन्म 16 अगस्त 1831 में हुआ था। रानी अवंती रामगढ़ की रानी थी वह लोधी राजपुत समुदाय से थीं। 1857 में हुई क्रांति में उनका योगदान अतुलनीय था। वह इस क्रांति में 4000 सैनिकों के साथ उतरी थी।
5). तांत्या भील
तांत्या भील जिन्हें तांत्या मामा के नाम से भी जाना जाता है का जन्म 26 जनवरी 1842 में हुआ था। तांत्या भील, भील आदिवासी समुदाय से थे। 1857 में हुई क्रांति की वजह से अंग्रेजों ने लोगों के जीवन के तरीकों को और मुश्किल बना दिया था। उनके द्वारा लगातार बड़े अपराधों को देखते हुए ब्रिटिष सरकार ने उन्हें 1874 में दूसरी बार गिरफ्सार किया और 3 दिन बाद गिरफ्त से भाग कर उन्होंने अपने आप को पूरी तरह से खुद को एक डकैत के रूप में ढ़ाल लिया। 1889 में उनकी मृत्यु फांसी के सजा से हुई।
6). झलकारी बाई
झलकारी बाई का जन्म 22 नवंबर 1830 में हुआ था। इन्होंने 1857 में हुए विद्रोह में अपना योगदान दिया था। वह झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की महिला सेना की हिस्सा थी। युद्ध के दौरान रानी को बचाने के लिए झलकारी बाई ने खुद को रानी बताते हुए युद्ध किया ताकि झांसी की रानी वहां से बच के आसानी से निकल सकें।