भारत विविधताओं से भरा देश है। जैसे-जैसे आप एक जगह से दूसरी जगह जाते है आपको हर एक स्थान पर एक नई भाषा, नई सभ्यता और सांस्कृति देखने को मिलती है। भारत में समय समय पर कई युद्ध हुए है। कई सालों तक इस देश ने गुलामी भी झेली है कभी मुगलों की तो कभी ब्रिटिश समाज की। भारत का इतिहास बहुत बड़ा है। जिसकी बातें कभी खत्म ही नहीं हो सकती है। वैसे ही भारत में कई ऐसी स्थान थे जो एस समय पर फलते-फुलते थे और आज इस शहरों का नामों निशान नहीं है। न जाने कितने ऐसे शहर है जो आज इस मिट्टी में छुपे हुए हैं। जिन्हें पुरातत्वविद ढुंढ़ने का प्रयास कर रहे हैं। कुछ शहरों को ढुंढ़ा भी जा चुका है और कुछ की तलाश अभी बाकि है। इन सबमें सबसे ज्यादा चर्चा द्वारका नगरी की है जो श्री कृष्ण के जाने के बाद पानी में डूब गई थी। पुरात्तवविदों ने इस शहर की तलाश शुरू की तो इस शहर या उस समय से संबंधित की साक्ष्य प्राप्त किए गए जिनका संबंध द्वारका से बताया गया है। इस शहर की तलाश आज भी जारी है और इसके साक्ष्य जमीन के साथ पानी में भी खोजे जा रहे हैं। उसी प्रकार से कई अन्य शहर भी है जिन्हे खोजा जा रहा है। आपको बता दें की ये पुरात्तवविद केवल 3700 ईसा पूर्व पूराने खोए हुए शहरों ही खोज है। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको भारत के उन खोए हुए शहरों के बारे में बताएं जिन्हें काफी समय पहले खोजा गया था। आइए इन खोये हुए शहरों के बारे में जाने।
1. राखीगढ़ी (हरियाणा)
राखीगढ़ी शहर सिंधु घाटी सभ्यता की सबसे बड़ी और पुरानी बस्तियों में से एक है। ये बस्ति हरियाणा के हिसार में स्थित है। ये उस स्थान पर स्थित थी जहां कभी सरस्वती नदी बहा करती थी जो 2000 ईसा पूर्व तक में पूरी तरह से सूख चुकी थी। इस शहर के साक्ष्य प्राप्त होने पर यहां खुदाई 1969 में शुरू की गई इस स्थान की खुदाई 2021 में भी कई गई थी। समय पर समय पर इस स्थान की खुदाई की जाती रहती है। राखीगढ़ी में 11 टीले हैं जिन्हें आरजीआर 1 से 11 तक का नाम दिया गया है। राखीगढ़ी की खुदाई में भी अन्य सभ्यताओं की खुदाई की तरह की सड़कें, धातु, मूर्तियां आदि प्राप्त की गई थी। साथ ही आपको बता दें की इस खुदाई के बारे में ज्यादा लोगों को जानकारी नहीं दी गई थी।
2. सांची (मध्य प्रदेश)
मध्य प्रदेश में स्थित खोया हुआ शहर सांची भारत के प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थानों में से एक है। सांची मुख्य रूप से अपने स्तूपों और अशोक स्तंभ की ग्रीक और बौद्ध शैली के लिए जाना जाता है। ये स्थान जातक कथाओं और बुद्ध के जीवन के कई दृश्यों को चित्रित करता है। सांची की शुरुआत तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के स्पूतों के साथ हुई थी जो उन्नीसवीं सदी में बौद्ध धर्म के पतन के बाद खत्म हुई और ये शहर भी। जिसे बाद में फिर से खोजा गया है।
3. लोथल (गुजरात)
लोथल शहर सिंधु घाटी सभ्यता के सबसे प्रमुख शहरों में से एक शहर है। लोथल शहर की खोज 1954 में की गई थी और बाद में वर्ष 1955 से इस शहर की खुदाई का कार्य भारतीय पुरातत्व सोसायटी द्वारा शुरू कर दिया गया था। ये शहर सालों पहले बाढ़ में मिट गया था। लेकिन अब खुदाई में कुएं, नालियां और पक्के फर्श जैसी कई संरचनाएं देखी जा सकती है। ये शहर भारत के सबसे पुराने खंडहरों में से एक है।
4. धोलावीरा (गुजरात)
सिंधु घाटि सभ्यता के कई बस्तियों है जिसमें कई शहर खो चुके हैं। इनमें से एक शहर धोलवीरा है। इस शहर के जानकारी प्राप्त होने पर जब यहां खुदाई की गई तो वहां जलाशय, सीढ़ीदार कुआं, मनके, मुहरें, सोना, चांदी, गहने, बर्तन, जानवरों की हड्डियां आदि जैसे कई अवशेष प्राप्त हुए थें। खुदाई में प्राप्त जानकारी से पता चलता है कि एक समय पर ये शहर 1200 वर्षों के लिए संपन्न महानगर था। धोलावीरा गुजरात के रण ऑफ कच्छ में स्थित है और घुमने की एक बेहतरीन जगह भी है।
5. सारनाथ (उत्तर प्रदेश)
सारनाथ ही वह स्थल है जहां गौतम बुद्ध ने सर्वप्रथम धर्म की शिक्षा दी थी। इस स्थल को हिरण पार्क के नाम से भी जाना जाता है। ये स्थान चार प्रमुख बौद्ध तीर्थ स्थानों में से एक है। इस स्थान पर 259 ईसा पूर्व अशोक सम्राट द्वारा बड़ा सा धमेखा स्तूप का निर्माण करवाया गया था साथ ही आपको बता दें की यहां कई सारी बौद्ध संरचनाएं भी प्राप्त की गई है। माना जा रहा है कि ये संरचनाएं तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से 11 शताब्दी सीई के बीच जोड़ी गई हैं। सारनाथ वारणसी से करीब 10 किलोमीटर दूर है।
6. श्रावस्ती (उत्तर प्रदेश)
श्रावस्ती शहर अपने समय के समृद्ध शहरों में से एक था। इस शहर की स्थापना वैदिक काल में राजा श्रावस्त द्वारा की गई थी इसलिए इसका नाम भी उन्हीं के नाम पर रखा गया था। इस शहर में गौतम बुद्ध ने अपने जीवन का एक बड़ा समय व्यतीत किया है। इसके साथ ही आपको बता दें की ये शहर जैन धर्म के संस्थापक के जन्म स्थान के तौर पर भी जाना जाता है। इस शहर की खोज 1863 में सर अलेक्जेंड कनिंघम द्वारा की गई थी।
7. द्वारका (गुजरात)
द्वारका भारत के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। ये नगरी भगवान श्री कृष्ण द्वारा बसाई गई नगरी थी, जिसे उन्होंने सागर के बीच में बसाया था जो बाद में पानी में डूब गई। पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण के जाने के बाद ये नगरी अपने आप ही पानी में डूब गई। इसके बाद द्वारका 6 बार जलमग्न हो चुकी है आज के समय में स्थापित द्वाराका 7वां शहर है। इस शहर की खोज के द्वारा प्राप्त किए गए साक्ष्य बेट द्वारका में पाए गए हैं। इसके अलावा पानी के अंदर कई ऐसे पत्थर पाए गए है जो वर्गाकार और आयताकार के है जिन पर अभी रिसर्च जारी है। साथी ही आपको बता दे की कई अन्य ऐसे अवेशष बेट द्वारा से प्राप्त किए गए है जो भगवान कृष्ण की पवित्र नगरी द्वारका के समय के संबंधित बताए जा रहे हैं।
8. कालीबंगन (राजस्थान)
सिंधु घाटी सभ्यता में कई बस्तियां थी जिसमें से एक कालीबंगन भी है जो राजस्थान में स्थित है। कालीबंगन की खोज इटानियन इंडोलॉजिस्ट लुइगी पियो टेसिटोरी द्वारा की गई थी। इस शहर की खुदाई 1969 में की गई थी। इस स्थान की खुदाई से पता चला है की ये सबसे पुराना कृषि क्षेत्र हुआ करता था। यहां कृषि से संबंधित कई साक्ष्य प्राप्त किए गए। जिससे कालीबंगन के सबसे पुराने कृषि क्षेत्र होने का प्रमाण मिलता है। इतना ही नहीं खुदाई में इस जगह पर कई अग्नि वेदी भी मिली। इससे जानकारी मिलती है कि हड़प्पावासी आग की कर्मकांड की पूजा किया करता थे। खुदाई में प्राप्त हुई अग्नि वेदियों ने इसे और खास बना दिया था। इसके बाद खुदाई में प्राप्त हुए साक्ष्यों को रखने के लिए कालीबंगन पुरातत्व संग्रहालय की स्थापना की 1993 में की गई।
9. मुजिरिस (केरला)
मुजिरिस शहर केरला में स्थित है जो एक खोया हुआ शहर है जिसे खोजा गया है। पुरातत्वविदों द्वारा इस शहर की खुदाई किए जाने पर वहां से यमन, मिस्र, रोमन और पश्चिम एशिया के देशों से संबंधित कई कलाकृतियां प्राप्त की गई है। इस स्थान की खोज सबसे बड़ी पुरातत्व खोजों में से एक है। मुजिरिस की खोज के प्रोजेक्ट को पट्टनम उत्खनन के रूप में भी जाना जाता है। मुजिरिस शहर पहली शताब्दी ईसा पूर्व में भारत के सबसे महत्वपूर्ण बंदरगाहों में से एक था क्योंकि ये व्यापारिक बंदरगाह था।
10. नागार्जुनकोंडा (आंध्र प्रदेश)
आंध्र प्रदेश में स्थित नागार्जुनकोंडा शहर इक्ष्वाकु राजवंश की पुर्व राजधानी था और बौद्ध शहर भी। इस शहर की खुदाई के दौरान यहां से स्तूप, विहार, मंडपम, मंदिर और बौद्ध खंडहर के साथ भगवान बुद्ध के जीवन के कई सफेद संगमरमर का चित्रण सामने आया। इसके अलावा इस खुदाई में कई शिलालेख और कलाकृतियां भी प्राप्त की गई है। इस खंडहर की खोज 1926 में एक शिक्षक एस वेंकटरामय्या द्वारा की गई थी। आपको बता दें की नागार्जुनकोंडा शहर का एक बड़ भाग नागार्जुन सागर के नीचे स्थित है।
11. विजयनगर (कर्नाटका)
उत्तरी कर्नाटका में स्थित विजनगर शहर भारत के खोए हुए शहरों में से एक है। ये शहर आज हम्पी के नाम से भी जाना जाता है जो यूनेस्कों की विश्व धरोहर की सूची में शामिल है। 1500 ईस्वी में इस प्राचीन शहर में करीब 5 लाख के आस-पास निवासी रहा करते थे। ये शहर पेंकिंग-बीजिंग के बाद दुनिया का सबसे बड़ा शहर था। इस शहर पर बाद में मुगल सेना ने कब्जा किया और इस शहर को नष्ट कर दिया। लेकिन इस खूबसूरत शहर के बचे हुए अवशेषों को आज इस यूनेस्कों ने अपनी विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया हुआ है। आपको बता दें कि पौराणिक कथाओं की बात करें तो इस शहर का जिक्र रामायण में किष्किन्धा के रूप में मौजूद है।
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