Life Story Of Kargil Hero Captain Vikram Batra: कारगिल युद्ध के नायक विक्रम बत्रा से जुड़े रोचक जानकारी

Kargil Vijay Diwas 2023; Life Story Of Kargil Hero Captain Vikram Batra: कारगिल युद्ध में भारत को जीत दिलाने वाले कैप्टन विक्रम बत्रा जिनकी वीरता के किस्से सबकी जुबान पर है। भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ष 1999 में जम्मू और कश्मीर के कारगिल में युद्ध लड़ा गया था। भारतीय सरकार को मिली जानकारी के अनुसार ऑपरेशन विजय लॉन्च किया गया ताकि भारत की सीमा से पाकिस्तान की सेना को खदेड़ा जा सके। कारगिल का ये युद्ध करीब 40 से 60 दिन तक चला। इंडियन आर्मी ने कारगिल युद्ध माइनस 10 डिग्री के तापमान में लड़ा था। इस युद्ध के दौरान कई वीर जवान ने अपनी जान का बलिदान दिया था। उसी में से एक थें कैप्टन विक्रम बत्रा, जिन्हें उनके योगदान के लिए परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।

Kargil Vijay Diwas 2023: कारगिल युद्ध के नायक विक्रम बत्रा से जुड़े रोचक जानकारी

कारगिल युद्ध के दौरान सबसे मुश्किल पॉइंट 5140 और पॉइंट 4875 था, जिसपर कब्जा करना सबसे मुश्किल और सबसे जरूरी था। इस पॉइंट पर कब्जा कर भारतीय सेना वापस भारतीय सीमा पर अधिकार प्राप्त कर सकती थी। इस पॉइंट पर वापस कब्जा प्राप्त करने और भारत को जीत दिलाने के लिए विक्रम बत्रा को भेजा गया था। अपनी जान की परवाह किए बिना विक्रम बत्रा ने पॉइंट 4875 को वापस में कब्जे में लेने का फैसला किया और अपनी डेल्टा कंपनी के साथ इस अभियान को अंजाम दिया।

इसी अभियान के दौरान ही अपनी अभूतपूर्व वीरता का परिचय देते हुए कैप्टन विक्रम बत्रा वीरगती को प्राप्त हुए। ऑपरेशन विजय की सफलता को 26 जुलाई को घोषित किया गया था और तभी से कारगिल के इस युद्ध में वीरगति को प्राप्त करने वाले सभी अफसरों के योगदान को याद करते हुए हर साल कारगिल विजय दिवस (26 जुलाई) मनाया जाता है। कारगिल विजय दिवस पर आइए विक्रम बत्रा के अभूतपूर्व योगदान को याद करते हुए उनके जीवन से जुड़े कुछ फैक्ट्स के बारे में जाने।

बता दें की कारगिल युद्ध दो महीने तक चला था, जिसके सभी पॉइंट पर एक के बाद एक भारतीय सेना अपना कब्जा वापिस प्राप्त कर रही थी। इस पूरे युद्ध में लगभग 527 भारतीय सैनिकों ने अपनी जान का बलिदान दिया था।

कैप्टन विक्रम बत्रा से जुड़े कुछ तथ्य

1. कैप्टन विक्रम बत्रा का जन्म 9 सितंबर 1974 में हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में हुआ था। उनके पिता गिरधारी लाल बत्रा सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल और मां कमल कांता बत्रा स्कूल टीचर थी। विक्रम बत्रा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपनी मां से ही ली है। उसके बाद विक्रम बत्रा ने डीएवी स्कूल और सीनियर सेकेंडरी स्कूल पालमपुर से अपनी आगे की पढ़ाई पूरी की।

2. विक्रम बत्रा पढ़ाई के साथ-साथ स्पोर्ट्स में ही अच्छे थे। उन्होंने यूथ पार्लियामेंट कंपटीशन, दिल्ली में अपने स्कूल का प्रतिनिधित्व टेबल टेनिस और कराटे के साथ अन्य खेलों में भी किया।

3. विक्रम बत्रा ने डीएवी कॉलेज, चंडीगढ़ से बीएससी मेडिकल साइंस में प्रवेश लिया। कॉलेज की पढाई के दौरान वर्ष 1995 में विक्रम बत्रा का मर्चेंट नेवी शिपिंग हेडक्वार्टर में काम करने के लिए चुना गया। लेकिन विक्रम ने देश के लिए कुछ करने और आर्मी ज्वाइन करने के लिए इस मौके को छोड़ दिया।

4. कंबाइंड डिफेंस सर्विसेज- सीडीएस की पढाई के साथ- साथ विक्रम ने पंजाब विश्वविद्यालय में एमए अंग्रेजी कोर्स में प्रवेश लिया। वह सुबह ट्रैवल्स एजेंसी में ब्रांच मैनेजर के तौर पर काम करते थे और शाम में कॉलेज की क्लास लेते थे।

5. वर्ष 1996 में विक्रम बत्रा ने सीडीएस की परीक्षा पास कर जुन (1996) में देहरादून की इंडियन मिलिट्री एकेडमी को ज्वाइन किया।

6. 6 दिसंबर 1997 में 19 महीनों की आईएमए की ट्रेनिंग के बाद लेफ्टिनेंट के पद पर इंडियन आर्मी में आए।

7. विक्रम बत्रा को 13वीं बटालियन जम्मू और कश्मीर राइफल्स में कमीशन किया गया। विक्रम की पहली पोस्टिंग जम्मू कश्मीर के बारामुला जिले में हुई थी।

8. 1998 में विक्रम को इन्फैंट्री स्कूल, मध्य प्रदेश के महू में यंग ऑफिसर कोर्स की ट्रेनिंग के लिए भेजा गया। इस कोर्स को पूरा कर विक्रम को अल्फा ग्रेडिंग के रूप में सम्मानित किया गया। जिसके बाद उन्होंने अक्टूबर 1998 में सोपोर बारामुला में वापस तैनाती ज्वाइन की।

9. जनवरी 1999 में विक्रम कमांडो कोर्स के लिए बेलगाम कर्नाटक गए। जहां ये कमांडो कोर्स करीब दो महीने तक चला और कोर्स के अंत में उन्हे हाईएस्ट ग्रेडिंग- इंस्ट्रक्टर ग्रेड से सम्मानित किया गया।

10. होली की छुट्टी के बाद विक्रम ने सोपोर में 13 जेएके राइफल्स वापस ज्वाइन किया और 192 माउंटेन ब्रिगेड के तहत कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियान का कार्यकाल पूरा किया।

11. 5 जून 1999 में एकाएक आई युद्ध की खबर से डिप्लोमेट ने अपने निर्देश बदल कर बटालियन को द्रस की और आगे बढ़ने के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए।

12. 6 जून 1999 बटालियन 13 जम्मू और कश्मीर राइफल्स द्रस पहुंची। जिसे 56 माउंटेन ब्रिगेड की तरह रखा गया और इसे रिजर्व फोर्स के रूप में तैनात किया गया।

13. पॉइंट 5140 पर वापस कब्जा करने के काम 13 जेएके राइफल्स को दिया गया। जिसमें ब्रावो कंपनी लेफ्टिनेंट संजीव जामवाल और डेल्टा कंपनी लेफ्टिनेंट विक्रम बत्रा ने मिलकर पॉइंट 5140 पर वापस भारत का कब्जा हासिल किया।

14. प्वाइंट 5140 के बाद विक्रम बत्रा को प्वाइंट 4875 को कब्जा करने के दूसरे अभियान पर भेजा गया। ये प्वाइंट समुद्र तल से 17000 फुट ऊपर था जिसको कब्जा करने का सारा जिम्मा विक्रम बत्रा पर था।

15. 7 जुलाई 1999 में अभियान को पूरा करने के दौरान एक ऑफिसर को बचाने की कोशिश के दौरान काउंटर अटैक में उनकी जान चली गई लेकिन भारतीय सेना ने प्वाइंट 4875 पर विजय हासिल की।

deepLink articlesKargil Vijay Diwas 2023: मिलिए डॉक्टर अनिल से जो घायल जवानों के लिए बने थे हनुमान

deepLink articlesKargil Vijay Diwas 2023 : कारगिल युद्ध के शहीदों की सूची

For Quick Alerts
ALLOW NOTIFICATIONS  
For Daily Alerts

English summary
Vikram Batra who fought in Kargil war an capture the highest point 4875. Vikram Batra who made India pround. lets know some facts about him.
--Or--
Select a Field of Study
Select a Course
Select UPSC Exam
Select IBPS Exam
Select Entrance Exam
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
Gender
Select your Gender
  • Male
  • Female
  • Others
Age
Select your Age Range
  • Under 18
  • 18 to 25
  • 26 to 35
  • 36 to 45
  • 45 to 55
  • 55+