भारतीय सेना में कई रेजिमेंट है, लेकिन जाट रेजिमेंट की बात ही कुछ अलग है। 'जाट बलवान जय भगवान' उदघोष करने वाली जाट रेजीमेंट भारतीय सेना की सबसे पुरानी रेजिमेंट है। इस रेजिमेंट का इतिहास पुराना होने के साथ ही वीरता के लिए जाना जाता है।
1795 में अपनी स्थापना के बाद से जाट बलवानों ने हर युद्ध में अपनी वीरता का परचम लहराया है। जिसके लिए अब तक इस रेजिमेंट के नाम 41 युद्ध सम्मान दर्ज हो चुके हैं। बता दें कि जाट रेजिमेंट में मुख्य रूप से पश्चिमी यूपी, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के हिंदू जाटों की ही भर्ती की जाती है।
कारगिल युद्ध में जाट रेजिमेंट ने छुड़ाए थे पाकिस्तान के छक्के
1999 में पाकिस्तान की कायरना हरकत से हुए कारगिल युद्ध में जाट रेजिमेंट की पांच बटालियनों ने हिस्सा लिया था। इन पांच बटालियनों में क्रमश: 4, 8, 12, 17 और 18 जाट सैनिक शामिल थे। युद्ध के दौरान सभी बटालियनों को अलग-अलग काम सौपें गए थे।
4 जाट सैनिकों की बटालियन
4 जाट सैनिकों की बटालियन 26 जून 1998 को युद्ध के मैदान कारगिल पहुंची थी। उस समय काफिले की आवाजाही देखकर केवल कुछ देर के लिए पाकिस्तानियों ने नेशनल हाईवे पर फायरिंग बंद कर दी थी।
8 जाट सैनिकों की बटालियन
23 मई 1999 को 8 जाट सैनिकों की बटालियन को शेर खान नामक ऊंचाई पर कब्जा करने का काम सौंपा गया। जिसमें सफलता हासिल करने के लिए बटालियन ने करीब 25 दुश्मन सैनिक मारे थे।
12 जाट सैनिकों की बटालियन
कर्नल समीर बिसारिया के नेतृत्व में 12 जाट सैनिकों वाली बटालियन ने दुश्मन सैनिकों का पता लगाया और पाकिस्तानियों को नियंत्रण रेखा पर रोका।
17 जाट सैनिकों की बटालियन
17 जाट सैनिकों वाली बटालियन को पीटी 4875 पर कब्जा करने का काम सौंपा गया था। जिसके रास्ते में आने वाले 22 दुश्मन सैनिकों को बटालियन ने मार गिराया था। बाद में, इस 17 जाट वाली बटालियन को सीओएएस यूनिट से सम्मानित किया गया। उन्हें एक महावीर चक्र, चार वीर चक्र समेत अन्य कई मेडल दिए गए।
18 जाट सैनिकों की बटालियन
18 जाट सैनिकों वाली बटालियन को कारगिल युद्ध के लिए रिजर्व रखा गया था। इस बटालियन ने जब युद्ध लड़ने के लिए पहाड़ी पर जाना शुरू किया था। उसके कुछ दिनों बाद ही युद्ध विजय की घोषणा हो गई थी। इस बटालियन को बटालिक सेक्टर में रखा गया था।
जाट रेजिमेंट संग्रहालय
जाट रेजीमेंट सेंटर में 2.7 एकड़ क्षेत्र में फैला संग्रहालय जाट वीरों की वीरता की यादों को संभाले हुए है। इसमें कारगिल की दुर्गम पहाड़ियों और भारतीय सैनिकों के निचले स्थानों पर खड़े होने का भी चित्रात्मक वर्णन है। इसके अलावा, यहां युद्ध में प्रयोग होने वाले शस्त्रों को भी रखा गया है। जाट संग्रहालय में जाट रेजिमेंट के आजादी से पहले और आजादी के बाद के इतिहास को दो वर्गों में बांटा गया है।