Kargil Vijay Diwas 2023; Life Story of Real Kargil Hero Sanjay Kumar: कारगिल युद्ध की शुरुआत 1999 में हुई थी। इस युद्ध पर विजय पाने के लिए भारतीय सेना ने बहुत कड़ी मेहनत की थी। कई वीर जवानों ने अपनी जान देश के नाम न्योछावर की। वहीं कुछ योद्धाओं को उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए भारत से सर्वोच्च सैन्य पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। परमवीर चक्र से अभी तक केवल 21 लोगों को सम्मानित किया जा चुका है, उसमें से 4 योद्धा कारगिल युद्ध पर विजय प्राप्त करने वाले हैं।
कारगिल युद्ध 1999 में हुआ था और इस पर एलओसी कारगिल फिल्म 2003 बनाई गई थी। ये एक ऐसी फिल्म है, जिसमें न सिर्फ बॉलिवुड बल्कि साउथ इंडस्ट्री के भी कई दिग्गज कलाकार शामिल रहे हैं। कारगिल पर बनी इस फिल्म में सभी वीर जवान शामिल रहे हैं। इसमें परमवीर चक्र और कारगिल वीर संजय कुमार का किरदार अभिनेता सुनिल शेट्टी ने निभाया है। आइए 24वें कारगिल विजय दिवस (24th Kargil Vijay Diwas) पर आपको बताएं कारगिल युद्ध के रियल हीरो संजय कुमार के बारे में...
सेना में हुए संजय कुमार शामिल
नायब सूबेदार संजय कुमार का जन्म 3 मार्च 1979 में हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के बकैन गांव में हुआ था। संजय कुमार ने सीधा ही आर्मी नहीं ज्वाइन की थी। वह आर्मी में जाने से पहले नई दिल्ली में टैक्सी ड्राइवर के रूप में कार्य किया करते थे।
उन्होंने आर्मी में जाने के लिए कई बार एप्लीकेशन डाली थी लेकिन कहते हैं ना समय से पहले कोई चीज नहीं मिलती। ठीक उसी तरह उनकी भी 3 एप्लीकेशन रिजेक्ट हुई। क्योंकि आर्मी में जाने और देश की सेवा करने का उनका विश्वास इतना दृढ़ था कि अंत में उन्होंने अपना सपना पूरा किया और सेना में शामिल हुए।
कारगिल युद्ध के बने रियल हीरो
सेना में देश की सेवा करते हुए एक दिन आया जब संजय कुमार को कारगिल युद्ध के लिए भेजा गया। 4 जुलाई 1999 को 13वीं बटालियन, जम्मू और कश्मीर राइफल्स के सदस्य के रूप में वह कारगिल युद्ध में शामिल हुए। कारगिल युद्ध के दौरान भारत की कई सैन्य चौकियों पर पाकिस्तान का कब्जा था, जिसमें फ्लैट टॉप एरिया भी शामिल था। इस एरिया पर कब्जा करने के लिए जिस टीम को भेजा गया था, उसमें संजय कुमार भी थे।
उन सभी ने बंकर को नष्ट करने के लिए और भारत का कब्जा वापस हासिल करने के लिए चट्टान पर चढ़ाई शुरू की। वह चट्टान की टॉप से करीब 150 मीटर की दूरी पर थे, जब दुश्मन ने बंकर से मशीन गन से गोलीबारी करनी शुरू कर दी थी। संजय कुमार ने स्थिति को समझा और अपनी सूझ-बूझ का प्रदर्शन देते हुए अकेले फ्लैट टॉप पर कब्जा करने आगे बढ़े।
उन्होंने दुश्मन के बंकर पर ऑटोमेटिक आग से चार्ज किया। इस दौरान उन्हें सीने पर एक गोली और बांह पर दो गोलियां लगी थी। गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी वह नहीं रुके और पाकिस्तानियों को भारत की सर जमीन से खदेड़ने के लिए अपनी किसी भी चोट की परवाह किए बिना वह आगे बड़ते रहे और आमने सामने की इस लड़ाई में उन्होंने तीन दुश्मनों को मार गिराया। इसके बाद वह दूसरे बंकर की ओर आगे बढ़ और दूसरे बंकर भी भारत का कब्जा हासिल किया है।
उनकी इस बहादुरी को देखते हुए उन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। उनके इस योगदान के लिए पूरा भारत आज भी उन्हें नमन करता है।
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