अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है और इस साल की अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2023 थीम "एम्ब्रेस इक्विटी" रखी गई है। जिसके उपलक्ष में आप अपनी मां, बहन, पत्नी, प्रमिका, दादी मां, नानी मां या जो भी स्त्री आपके जीवन में हैं उनको महिला दिवस की शुभकामनाएं देने के लिए प्रसिद्ध कवियों की कविताएं साझा कर सकते हैं। इसके अलावा, विश्व महिला दिवस के अवसर देश-भर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, आप वहां जाकर भी नीचे दी गई कविता को सुना सकते हैं।
आज के इस लेख में महिला दिवस के अवसर पर हम आपके लिए पांच प्रसिद्ध कविताएं लेकर आए हैं जिन्हें आप अपनी लाइफ में प्रमुख भूमिका निभाने वाली महिलाओं के लिए सोशल मीडिया यानि कि फेसबुक, व्हाट्सएप पर शेयर कर या पर्सनली मैसेज कर आप उनके इस दिन को खास बना सकते हैं। तो चलिए शुरू करते हैं........
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर शेयर करें प्रसिद्ध कविताएं| International Women's Day Poem in Hindi
1. मां के लिए कविता
माँ की ममता है अनमोल,
जीवन में उसका नही कोई मोल।
उसके नजरो से हमने दुनिया को देखा और जाना,
जीवन जीना सीखा और अपने-परायों को पहचाना।
मेरी गलतियों के बावजूद प्रेम माँ का हुआ ना कम,
मेरे तरक्की के लिए उसने प्रयास किया हरदम।
मेरे सुख मेरे दुख को उसने अपना माना,
मेरी हुनर और कार्यकुशलता को उसने ही पहचाना।
जब मेरे विफलताओं पर सभी ने किया उपहास,
मेरी माँ ने दी मुझे सांत्वना नही किया कभी निराश।
माँ की ममता ही है हमारे जीवन का आधार,
जोकि हजारों कष्ट सहकर भी करती हमारे सपनों को साकार।
उसकी ममता का ना कोई आरंभ है ना अंत,
वास्तव में हमारे प्रति माँ की ममता है अनंत।
इसलिए तो माँ की ममता का नही है कोई मोल,
यही कारण है कि सब कहते है माँ का प्रेम है अनमोल।
तो आओ इस मातृ दिवस शपथ ले सदा करेंगे माँ का सम्मान।
और गलत कार्यों द्वारा कभी नही करेंगे माँ की ममता का अपमान।
--- योगेश कुमार सिंह
2. बहन के लिए कविता
एक लड़की पागल सी है,
उसकी एक अलग पहचान सी है।
लड़की झगड़ती हुई हंसती हुई नादान सी है,
जिसे मैं कभी जानता नहीं था।
वो लड़की मेरे लिए बहुत खास सी है,
नाम क्या लूं मैं उसका।
नाम क्या लूं मैं उसका,
हमारे रिश्ते की एक अलग पहचान की है।
बहुत सीधी-सी अपनों के लिए अपनी,
पर दूसरों के लिए पहेली सी है।
छोटी सी मेरी दोस्ती,
पर मेरी दोस्ती की एक अलग पहचान सी है।
सब की खुशी में खुश होने वाली,
सबके दुखों में दुखी होने वाली।
अपनों के लिए लड़ने वाली,
एक लड़की अनजान सी है।
एक बहन और एक भाई की दोस्ती बहुत खास होती है,
एक दूसरे को चिढ़ाना यह तो बहुत आम बात होती है।
बहुत यादें होती हैं जो बहुत खास होती है,
बस एक दूसरे को चिढ़ाने वाले इशारों से ही बात होती है।
बस इन्ही हंसी मजाको और
सुख दुख बांटने से हमारी दोस्ती खास होती है।
इन्हीं लम्हों से हमारी दोस्ती की एक अलग पहचान सी है,
इन्हीं लम्हों से हम भाई बहन की एक अलग पहचान सी है।
--- पूनम शर्मा
3. पत्नी के लिए कविता
प्यार की मूरत हो तुम
मेरे घर की शान हो तुम
तुम से ही है मेरा घर संसार
मेरी प्रिय पत्नी हो तुम।
तुम ने ही तो घर को स्वर्ग बनाया
आंगन में तुलसी को सजाया
इस मकान को घर बनके
तूने इसको मंदिर की तरह सजाया।
इस घर तू अपना मान
देती हो सबको समान
बड़े छोटे का आदर तुम करती
इस घर को तुम हो संभालती।
कोई आपदा का अहसास ना होने देती
सबके मन को तुम भली भाती जानती
रहती है कोई कथानाई किसी को
इसका हल तुम झट से निकलती।
सबको स्वादिष्ट भोजन खिलाती हो तुम
सबके बातों का ख्याल रखती हो तुम
छोटी छोटी बातों का रखती हो तुम ध्यान
मेरी जान मेरी प्रिय पत्नि हो तुम।
4. आधुनिक नारी की कविता
मै अबला नादान नहीं हूँ, दबी हुई पहचान नहीं हूँ।
मै स्वाभिमान से जीती हूँ,
रखती अंदर ख़ुद्दारी हूँ।।
मै आधुनिक नारी हूँ।।
पुरुष प्रधान जगत में मैंने, अपना लोहा मनवाया।
जो काम मर्द करते आये, हर काम वो करके दिखलाया
मै आज स्वर्णिम अतीत सदृश, फिर से पुरुषों पर भारी हूँ
मैं आधुनिक नारी हूँ।।
मैं सीमा से हिमालय तक हूँ, औऱ खेल मैदानों तक हूँ।
मै माता,बहन और पुत्री हूँ, मैं लेखक और कवयित्री हूँ
अपने भुजबल से जीती हूँ, बिजनेस लेडी, व्यापारी हूँ
मैं आधुनिक नारी हूँ।।
जिस युग में दोनो नर-नारी, कदम मिला चलते होंगे
मै उस भविष्य स्वर्णिम युग की, एक आशा की चिंगारी हूँ
मैं आधुनिक नारी हूँ।।
--- रणदीप चौधरी
5. मैं नीर भरी दु:ख की बदली!
मैं नीर भरी दु:ख की बदली!
स्पंदन में चिर निस्पंद बसा,
क्रन्दन में आहत विश्व हंसा,
नयनों में दीपक से जलते,
पलकों में निर्झरिणी मचली!
मेरा पग-पग संगीत भरा,
श्वासों में स्वप्न पराग झरा,
नभ के नव रंग बुनते दुकूल,
छाया में मलय बयार पली,
मैं क्षितिज भॄकुटि पर घिर धूमिल,
चिंता का भार बनी अविरल,
रज-कण पर जल-कण हो बरसी,
नव जीवन अंकुर बन निकली!
पथ को न मलिन करता आना,
पद चिह्न न दे जाता जाना,
सुधि मेरे आगम की जग में,
सुख की सिहरन बन अंत खिली!
--- महादेवी वर्मा