जब हम मेंटल हेल्थ या अधिकारों की और समानता की बात करते हैं तो ये किसी एक लिंग के लिए नहीं होता है ये सभी के लिए उतना ही आवश्यक है जितना किसी एक के लिए। जैसे-जैसे समय बदल रहा है पुरुषों की भूमिका उनका योगदान समाज में फिका पड़ता जा रहा है। आज यदि किसी पुरुष से उनके अधिकारों के बारे में पुछा जाए तो कुछ ही ऐसे लोग होंगे जो अपने अधिकारों के बारे में जानते होंगे। भारत और भारत से बाहर के कई देशों में पुरुषों के अधिकारों की बात की जाती है, पुरुष भी कई ऐसे अत्याचारों को झेल रहे हैं जिनके बारे में वे किसी से बात नहीं कर सकते हैं या बात करें भी तो कोई उनकी बातों पर विश्वास नहीं करता है। ऐसे स्थिति में अक्सर ही व्यक्ति एक मेंटल ट्रोमा का शिकार होता है। इसी के साथ पुरुषों को भी कई प्रकार की प्रताड़ना और शारीरिक और मानसिक शोषण का सामना करना पड़ता है।
समाज में संतुलन बनाए रखने के लिए महिला और पुरुष दोनों की आवश्यकता होती है। लेकिन इस समय में समाज में पुरुषों की भूमिका कुछ धुंधली होती जा रही है। इसलिए हर साल पूरे विश्व में 19 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया जाता है। इस दिवस के माध्यम से समाज और परिवार में उनके योगदान का सम्मान किया जाता है। जिस तरह हम सभी हर साल महिलाओं के लिए महिला दिवस मनाते हैं उसी तरह हर साल पुरुष दिवस मनाया जाना भी उतना ही आवश्यक है।
आपको बता दें कि ये दिवस महिलाओं के लिए खिलाफ नहीं है बल्कि इस दिवस के माध्यम से पुरुषों की सकारात्मक अभिव्यक्ति को दर्शाना है और उसे बढ़ावा देने है। जो समाज में इन दोनों तत्वों के संतुलन के लिए आवश्यक है। साथ ही इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य पुरुषों के मानसिक स्वस्थ्य के साथ उनके योगदान और उनके प्रति कई स्थियों में हो रही दुर्व्यवहार को सामने लाकर समाज में उनकी भूमिका के लिए जन जागरूकता फैलाना है। इसके माध्यम से पुरुषों के लिए भावनाएं व्यक्त करने के लिए संवाद का एक मंच खोलना है। आइए आपको अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस से संबंधित अन्य बातों के बारे में विस्तार से बताएं।
अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस का इतिहास
हर साल अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस 19 नवंबर को मनाया जाता है। इस दिवस की परियोजना सर्वप्रथम 1991 में शुरु हुई थी। और इसका उद्घाटन थॉमस ओस्टर द्वारा 7 फरवरी 1992 में किया गया था। इस समय में माल्टा में सबसे बड़ा और लंबा चलने वाला उत्सव मनाया गया था। थॉमस ओस्टर ने सन् 1994 तक इस कार्यक्रम का खुब प्रचार किया। उसके बाद यह कार्यक्रम कमजोर पड़ने लागा और इस जारी रखने का अपना विचार त्याग कर इसे बंद कर दिया गया। इसके बाद इस दिवस को जेरोम टीलकसिंह द्वारा पुनर्जीवित किया गया और 19 नवंबर को अपने पिता के जन्मदिन को सम्मानित करने के लिए उन्होंने इस दिवस की स्थापना की। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस को केवल एक लिंग दिवस के रूप में नहीं बल्कि पुरुषों से संबंधित कई मुद्दों पर चर्चा करने के लिए प्रचारित किया। उन्होंने लोगों में पुरुषों की नकारात्मक छवि को दूर करने और सकारात्मक अभिव्यक्ति को बढ़ावा देना जरूरी समझा। बाद में इस दिवस की स्थापना 19 नंवबर 2003 को की गई तब से हर साल इस दिवस को मनाया जाने लगा।
अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस के महत्व
1. अक्सर रोल मॉडल के तौर पर किसी प्रसिद्ध व्यक्ति या फिल्मी सितारे को देखा जाता है, परंतु यहां एक प्रेरणादाई पुरुष रोल मॉडल को बढ़ाने के लिए आम आदमी जो सभ्य और नैतिक मूल्य को आत्मसात किये हुए है, ऐसे लोगों को देखा जाता है।
2. देश की प्रत्येक इकाई और संस्था, व्यवस्था जैसे परिवार, विवाह व्यवस्था, बच्चों के पालन-पोषण, पर्यावरण तथा समाज के प्रत्येक क्षेत्र में पुरुषों ने जो सराहनीय योगदान दिया है उसका जश्न मनाने के लिए इस दिन को मनाया जाता है।
3. पुरुषों के सर्वांगीण विकास, उनके स्वास्थ्य और हितों पर दुनिया का ध्यान केन्द्रित करने के लिए पुरुषों के आध्यात्मिक विकास, समाजिक विकास के लिए, मानसिक विकास के लिए और शारीरिक विकास के लिए इस दिन का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है।
4. पुरुषों के प्रति समाज के विभिन्न वर्गों में, सेवाओं में और कानूनों में हो रहे भेदभाव को जाहिर करके उनके खिलाफ आवाज उठाना है।
5. लैंगिक संबंधो में सुधार और लैंगिक समानता को बढ़ावा।
6. एक सकारात्मक, सुरक्षित, भेदभाव रहित दुनिया का निर्माण करना है। जहां लोग अपने अधिकारों के साथ अपनी पूरी क्षमताओं का प्रयोग करके एक उच्च गुणवत्ता वाला जीवन जी सकें।
अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस की पिछले कुछ सालों की
2011: "गिविंग बॉयज द बेस्ट पॉसिबल स्टार्ट इन लाइफ"
2012: "पुरुषों और लड़कों को लंबा, खुश और स्वस्थ जीवन जीने में मदद करना"
2013: "पुरुषों और लड़कों को सुरक्षित रखना"
2014: "पुरुषों और लड़कों के लिए एक साथ काम करना"
2015: "पुरुषों के लिए प्रजनन विकल्पों का विस्तार करने के लिए काम करना"
2016: "पुरुषों की आत्महत्या बंद करो"।
2017: "पुरुषों और लड़कों को उनकी विविधता में मनाना"
2018: "सकारात्मक पुरुष रोल मॉडल"
2019: "पुरुषों और लड़कों के लिए एक अंतर बनाना"
2020: "पुरुषों और लड़कों के लिए बेहतर स्वास्थ्य"
2021: "पुरुषों और महिलाओं के बीच बेहतर संबंध"
2022: "पुरुषों और लड़कों की मदद करना"