स्वतंत्रता दिवस 2021 पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द का भाषण हिंदी में लाइव यहां देखें (Independence Day 2020 India President Ram Nath Kovind Speech In Hindi)
Independence Day Speech 2021 / India President Speech In Hindi 2021: भारत का स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को मनाया जाता है, भारत के राष्ट्रपति 14 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर देश के नाम संबोधन/भाषण देते हैं और 15 अगस्त को राजपथ पर झंडा फहराते हैं। जबकि प्रधानमंत्री 15 अगस्त पर भाषण देते हैं और लाल किले पर भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराते हैं। 15 अगस्त 1947 को भारत ब्रिटिश शासन से पूरी तरह आजाद हो गया, लेकिन यह आजादी लेने में भारत को 200 साल लग गए। भारत की आजादी के लिए मंगल पांडे, महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव और सरदार वल्लभ भाई पटेल समेत लाखों स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया। इसके साथ ही भारत पाकिस्तान का विभाजन हुआ और 14 अगस्त को पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। भारतीय स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या यानी 14 अगस्त को राष्ट्रपति स्वतंत्रता दिवस पर भाषण देते हैं, इस बार भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद स्वतंत्रता दिवस 2021 पर भाषण दिया। आइये जानते हैं राष्ट्रपति ने अपने 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर भाषण में क्या कहा...
स्वतंत्रता दिवस 2021 पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द का भाषण हिंदी में ((Independence Day 2021 India President Ram Nath Kovind Speech In Hindi))
75वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर, देश-विदेश में रह रहे, भारत के सभी लोगों को बहुत-बहुत बधाई और ढेर सारी शुभकामनाएं!
मेरे प्यारे देशवासियो,
नमस्कार!
देश-विदेश में रहने वाले सभी भारतीयों को स्वाधीनता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं! यह दिन हम सभी के लिए अत्यंत हर्ष और उल्लास का दिन है। इस वर्ष के स्वाधीनता दिवस का विशेष महत्व है क्योंकि इसी वर्ष से हम सब अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष में आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। इस ऐतिहासिक अवसर पर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई!
स्वाधीनता दिवस हमारे लिए पराधीनता से मुक्ति का त्योहार है। कई पीढ़ियों के ज्ञात और अज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष से हमारी आज़ादी का सपना साकार हुआ था। उन सभी ने त्याग व बलिदान के अनूठे उदाहरण प्रस्तुत किए। उनके शौर्य और पराक्रम के बल पर ही आज हम और आप आज़ादी की सांस ले रहे हैं। मैं उन सभी अमर सेनानियों की पावन स्मृति को श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं।
अनेक देशों की तरह हमारे राष्ट्र को भी, विदेशी हुकूमत के दौरान बहुत अन्याय और अत्याचार सहने पड़े। परंतु भारत की विशेषता यह थी कि गांधीजी के नेतृत्व में हमारा स्वाधीनता आंदोलन सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों पर आधारित रहा। उन्होंने तथा अन्य सभी राष्ट्र-नायकों ने भारत को औपनिवेशिक शासन से मुक्त करने का मार्ग तो दिखाया ही, साथ ही राष्ट्र के पुनर्निर्माण की रूपरेखा भी प्रस्तुत की। उन्होंने भारतीय जीवन-मूल्यों और मानवीय गरिमा को पुनः स्थापित करने के लिए भी भरपूर प्रयास किए।
अपने गणतन्त्र की विगत 75 वर्षों की यात्रा पर जब हम नजर डालते हैं तो हमें यह गर्व होता है कि हमने प्रगति पथ पर काफी लंबी दूरी तय कर ली है। गांधीजी ने हमें यह सिखाया है कि गलत दिशा में तेजी से कदम बढ़ाने से अच्छा है कि सही दिशा में धीरे ही सही लेकिन सधे हुए कदमों से आगे बढ़ा जाए। अनेक परम्पराओं से समृद्ध भारत के सबसे बड़े और जीवंत लोकतन्त्र की अद्भुत सफलता को विश्व समुदाय सम्मान के साथ देखता है।
प्यारे देशवासियो,
हाल ही में संपन्न टोक्यो ओलंपिक में हमारे खिलाड़ियों ने अपने शानदार प्रदर्शन से देश का गौरव बढ़ाया है। भारत ने ओलंपिक खेलों में अपनी भागीदारी के 121 वर्षों में सबसे अधिक मेडल जीतने का इतिहास रचा है। हमारी बेटियों ने अनेक बाधाओं को पार करते हुए खेल के मैदानों में विश्व स्तर की उत्कृष्टता हासिल की है। खेल-कूद के साथ-साथ जीवन के हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी और सफलता में युगांतरकारी परिवर्तन हो रहे हैं। उच्च शिक्षण संस्थानों से लेकर सशस्त्र बलों तक, प्रयोगशालाओं से लेकर खेल के मैदानों तक, हमारी बेटियां अपनी अलग पहचान बना रही हैं। बेटियों की इस सफलता में मुझे भविष्य के विकसित भारत की झलक दिखाई देती है। मैं हर माता-पिता से आग्रह करता हूं कि वे ऐसी होनहार बेटियों के परिवारों से शिक्षा लें और अपनी बेटियों को भी आगे बढ़ने के अवसर प्रदान करें।
पिछले साल की तरह, महामारी के कारण, इस वर्ष भी स्वतंत्रता दिवस समारोह बड़े पैमाने पर नहीं मनाए जा सकेंगे लेकिन हम सबके हृदय में हरदम भरपूर उत्साह बना हुआ है। हालांकि महामारी की तीव्रता में कमी आई है लेकिन कोरोना-वायरस का प्रभाव अभी समाप्त नहीं हुआ है। इस वर्ष आई महामारी की दूसरी लहर के विनाशकारी प्रभाव से हम अभी तक उबर नहीं पाए हैं। पिछले वर्ष, सभी लोगों के असाधारण प्रयासों के बल पर, हम संक्रमण के प्रसार पर काबू पाने में सफल रहे थे। हमारे वैज्ञानिकों ने बहुत ही कम समय में वैक्सीन तैयार करने का कठिन काम सम्पन्न कर लिया। इसलिए, इस वर्ष के आरंभ में हम सब विश्वास से भरे हुए थे क्योंकि हमने इतिहास का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू कर दिया था। फिर भी, कोरोना-वायरस के नए रूपों और अन्य अप्रत्याशित कारणों के परिणाम-स्वरूप हमें दूसरी लहर का भयावह प्रकोप झेलना पड़ा। मुझे इस बात का गहरा दुख है कि दूसरी लहर में बहुतेरे लोगों की प्राण रक्षा नहीं की जा सकी और बहुत से लोगों को भारी कष्ट सहने पड़े। यह अभूतपूर्व संकट का समय था। मैं, पूरे देश की ओर से, आप सभी पीड़ित परिवारों के दुख में, बराबर का भागीदार हूं।
यह वायरस एक अदृश्य व शक्तिशाली शत्रु है जिसका विज्ञान द्वारा सराहनीय गति के साथ सामना किया जा रहा है। हमें इस बात का संतोष है कि इस महामारी में हमने जितने लोगों की जानें गंवाई हैं, उससे अधिक लोगों की प्राण रक्षा कर सके हैं। एक बार फिर, हम अपने सामूहिक संकल्प के बल पर ही दूसरी लहर में कमी देख पा रहे हैं। हर तरह के जोखिम उठाते हुए, हमारे डॉक्टरों, नर्सों, स्वास्थ्य कर्मियों, प्रशासकों और अन्य कोरोना योद्धाओं के प्रयासों से कोरोना की दूसरी लहर पर काबू पाया जा रहा है।
कोविड की दूसरी लहर से हमारी सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के बुनियादी ढांचे पर बहुत दबाव पड़ा है। सच तो यह है कि विकसित अर्थव्यवस्थाओं समेत, किसी भी देश का बुनियादी ढांचा, इस विकराल संकट का सामना करने में समर्थ सिद्ध नहीं हुआ। हमने स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए युद्ध-स्तर पर प्रयास किए। देश के नेतृत्व ने इस चुनौती का डटकर सामना किया। केंद्र सरकार के प्रयासों के साथ-साथ राज्य सरकारों, निजी क्षेत्र की स्वास्थ्य सुविधाओं, गैर सरकारी संगठनों तथा अन्य समूहों ने सक्रिय योगदान किया। इस असाधारण अभियान में, कई देशों ने, उदारता से, अनिवार्य वस्तुएं उसी तरह साझा कीं, जैसे भारत ने बहुत से देशों को दवाइयां, उपकरण और वैक्सीन उपलब्ध कराई थी। इस सहायता के लिए मैं विश्व समुदाय का आभार प्रकट करता हूं।
इन सभी प्रयासों के परिणाम-स्वरूप, काफी हद तक, सामान्य स्थिति बहाल हो गई है और अब हमारे अधिकांश देशवासी राहत की सांस ले रहे हैं। अब तक के अनुभव से यही सीख मिली है कि अभी हम सबको लगातार सावधानी बरतने की जरूरत है। इस समय वैक्सीन हम सबके लिए विज्ञान द्वारा सुलभ कराया गया सर्वोत्तम सुरक्षा कवच है। हमारे देश में चल रहे विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान के तहत अब तक 50 करोड़ से अधिक देशवासियों को वैक्सीन लग चुकी है। मैं सभी देशवासियों से आग्रह करता हूं कि वे प्रोटोकॉल के अनुरूप जल्दी से जल्दी वैक्सीन लगवा लें और दूसरों को भी प्रेरित करें।
मेरे प्यारे देशवासियो,
इस महामारी का प्रभाव अर्थव्यवस्था के लिए उतना ही विनाशकारी है, जितना लोगों के स्वास्थ्य के लिए। सरकार गरीब और निम्न मध्यम वर्ग के लोगों के साथ-साथ छोटे और मध्यम उद्योगों की समस्याओं के विषय में भी चिंतित रही है। सरकार, उन मजदूरों और उद्यमियों की जरूरतों के प्रति भी संवेदनशील रही है जिन्हें लॉकडाउन और आवागमन पर प्रतिबंधों के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। उनकी जरूरतों को समझते हुए सरकार ने पिछले वर्ष उन्हें राहत प्रदान करने के लिए बहुत से कदम उठाए थे। इस वर्ष भी सरकार ने मई और जून में करीब 80 करोड़ लोगों को अनाज उपलब्ध कराया। अब यह सहायता दीपावली तक के लिए बढ़ा दी गई है। इसके अलावा, कोविड से प्रभावित कुछ उद्यमों को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने हाल ही में 6 लाख 28 हजार करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की है। यह तथ्य विशेष रूप से संतोषजनक है कि चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार के लिए एक वर्ष की अवधि में ही तेईस हजार दो सौ बीस करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।
मुझे इस बात की खुशी है कि सभी बाधाओं के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में - विशेष रूप से कृषि के क्षेत्र में - बढ़ोतरी जारी रही है। हाल ही में, कानपुर देहात जिले में स्थित अपने पैतृक गांव परौंख की यात्रा के दौरान, मुझे यह देखकर बहुत खुशी हुई कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के जीवन को सुगम बनाने के लिए बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जा रहा है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच की मनोवैज्ञानिक दूरी अब पहले की तुलना में काफी कम हो गई है। मूलतः, भारत गांवों में ही बसता है, इसलिए उन्हें विकास के पैमानों पर पीछे नहीं रहने दिया जा सकता। इसीलिए, प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि सहित, हमारे किसान भाई-बहनो के लिए विशेष अभियानों पर बल दिया जा रहा है।
ये सभी प्रयास आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना के अनुरूप हैं। हमारी अर्थव्यवस्था में निहित विकास की क्षमता पर दृढ़ विश्वास के साथ सरकार ने रक्षा, स्वास्थ्य, नागरिक उड्डयन, विद्युत तथा अन्य क्षेत्रों में निवेश को और अधिक सरल बनाया है। सरकार द्वारा पर्यावरण के अनुकूल, ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों, विशेष रूप से सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के नवीन प्रयासों की विश्वव्यापी प्रशंसा हो रही है। जब 'ईज़ ऑफ डुइंग बिजनेस' की रैंकिंग में सुधार होता है, तब उसका सकारात्मक प्रभाव देशवासियों की 'ईज़ ऑफ लिविंग' पर भी पड़ता है। इसके अलावा जन कल्याण की योजनाओं पर विशेष ज़ोर दिया जा रहा है। उदाहरण के लिए 70,000 करोड़ रुपये की क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी योजना की बदौलत, अपना खुद का घर होने का सपना अब साकार हो रहा है। एग्रीकल्चरल मार्केटिंग में किए गए अनेक सुधारों से हमारे अन्नदाता किसान और भी सशक्त होंगे और उन्हें अपने उत्पादों की बेहतर कीमत प्राप्त होगी। सरकार ने प्रत्येक देशवासी की क्षमता को विकसित करने के लिए अनेक कदम उठाए हैं जिनमें से कुछ का ही उल्लेख मैंने किया है।
प्यारे देशवासियो,
अब जम्मू-कश्मीर में नव-जागरण दिखाई दे रहा है। सरकार ने लोकतंत्र और कानून के शासन में विश्वास रखने वाले सभी पक्षों के साथ परामर्श की प्रक्रिया शुरू कर दी है। मैं जम्मू-कश्मीर के निवासियों, विशेषकर युवाओं से इस अवसर का लाभ उठाने और लोकतांत्रिक संस्थाओं के माध्यम से अपनी आकांक्षाओं को साकार करने के लिए सक्रिय होने का आग्रह करता हूं।
सर्वांगीण विकास के प्रभाव से, अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत का कद ऊंचा हो रहा है। यह बदलाव, प्रमुख बहुपक्षीय मंचों पर हमारी प्रभावी भागीदारी में तथा अनेक देशों के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ बनाने में परिलक्षित हो रहा है।
प्यारे देशवासियो,
पचहत्तर साल पहले जब भारत ने आजादी हासिल की थी, तब अनेक लोगों को यह संशय था कि भारत में लोकतंत्र सफल नहीं होगा। ऐसे लोग शायद इस तथ्य से अनभिज्ञ थे कि प्राचीन काल में, लोकतंत्र की जड़ें इसी भारत भूमि में पुष्पित-पल्लवित हुई थीं। आधुनिक युग में भी भारत, बिना किसी भेद-भाव के सभी वयस्कों को मताधिकार देने में अनेक पश्चिमी देशों से आगे रहा। हमारे राष्ट्र-निर्माताओं ने जनता के विवेक में अपनी आस्था व्यक्त की और 'हम भारत के लोग' अपने देश को एक शक्तिशाली लोकतंत्र बनाने में सफल रहे हैं।
हमारा लोकतन्त्र संसदीय प्रणाली पर आधारित है, अतः संसद हमारे लोकतन्त्र का मंदिर है। जहां जनता की सेवा के लिए, महत्वपूर्ण मुद्दों पर वाद-विवाद, संवाद और निर्णय करने का सर्वोच्च मंच हमें उपलब्ध है। यह सभी देशवासियों के लिए बहुत गर्व की बात है कि हमारे लोकतंत्र का यह मंदिर निकट भविष्य में ही एक नए भवन में स्थापित होने जा रहा है। यह भवन हमारी रीति और नीति को अभिव्यक्त करेगा। इसमें हमारी विरासत के प्रति सम्मान का भाव होगा और साथ ही समकालीन विश्व के साथ कदम मिलाकर चलने की कुशलता का प्रदर्शन भी होगा। स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर इस नए भवन के उदघाटन को विश्व के सबसे बड़े लोकतन्त्र की विकास यात्रा में एक ऐतिहासिक प्रस्थान बिन्दु माना जाएगा।
सरकार ने इस विशेष वर्ष को स्मरणीय बनाने के लिए कई योजनाओं का शुभारम्भ किया है। 'गगनयान मिशन' उन अभियानों में विशेष महत्व रखता है। इस मिशन के तहत भारतीय वायु सेना के कुछ पायलट विदेश में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। जब वे अंतरिक्ष में उड़ान भरेंगे, तो भारत मानव-युक्त अंतरिक्ष मिशन को अंजाम देने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। इस प्रकार, हमारी आकांक्षाओं की उड़ान किसी प्रकार की सीमा में बंधने वाली नहीं है।
फिर भी, हमारे पैर यथार्थ की ठोस जमीन पर टिके हुए हैं। हमें यह एहसास है कि आज़ादी के लिए मर-मिटने वाले स्वाधीनता सेनानियों के सपनों को साकार करने की दिशा में हमें अभी काफी आगे जाना है। वे सपने, हमारे संविधान में, 'न्याय', 'स्वतन्त्रता', 'समता' और 'बंधुता' इन चार सारगर्भित शब्दों द्वारा स्पष्ट रूप से समाहित किए गए हैं। असमानता से भरी विश्व व्यवस्था में और अधिक समानता के लिए तथा अन्यायपूर्ण परिस्थितियों में और अधिक न्याय के लिए, दृढ़तापूर्वक प्रयास करने की आवश्यकता है। न्याय की अवधारणा बहुत व्यापक हो गयी है जिसमें आर्थिक और पर्यावरण से जुड़ा न्याय भी शामिल है। आगे की राह बहुत आसान नहीं है। हमें कई जटिल और कठिन पड़ाव पार करने होंगे, लेकिन हम सबको असाधारण मार्गदर्शन उपलब्ध है। यह मार्गदर्शन विभिन्न स्रोतों से हमें मिलता है। सदियों पहले के ऋषि-मुनियों से लेकर आधुनिक युग के संतों और राष्ट्र-नायकों तक हमारे मार्गदर्शकों की अत्यंत समृद्ध परंपरा की शक्ति हमारे पास है। अनेकता में एकता की भावना के बल पर, हम दृढ़ता से, एक राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ रहे हैं।
विरासत में मिली हमारे पूर्वजों की जीवन-दृष्टि, इस सदी में, न केवल हमारे लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए सहायक सिद्ध होगी। आधुनिक औद्योगिक सभ्यता ने मानव जाति के सम्मुख गम्भीर चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। समुद्रों का जल-स्तर बढ़ रहा है, ग्लेशियर पिघल रहे हैं और पृथ्वी के तापमान में वृद्धि हो रही है। इस प्रकार, जलवायु परिवर्तन की समस्या हमारे जीवन को प्रभावित कर रही है। हमारे लिए गर्व की बात है कि भारत ने, न केवल पेरिस जलवायु समझौते का पालन किया है, बल्कि जलवायु की रक्षा के लिए तय की गई प्रतिबद्धता से भी अधिक योगदान कर रहा है। फिर भी मानवता को विश्व स्तर पर अपने तौर-तरीके बदलने की सख्त जरूरत है। इसीलिए भारतीय ज्ञान परंपरा की ओर दुनिया का रुझान बढ़ता जा रहा है; ऐसी ज्ञान परंपरा जो वेदों और उपनिषदों के रचनाकारों द्वारा निर्मित की गई, रामायण और महाभारत में वर्णित की गई, भगवान महावीर, भगवान बुद्ध तथा गुरु नानक द्वारा प्रसारित की गई, और महात्मा गांधी जैसे लोगों के जीवन में परिलक्षित हुई।
गांधीजी ने कहा था कि प्रकृति के अनुरूप जीने की कला सीखने के लिए प्रयास करना पड़ता है, लेकिन एक बार जब आप नदियों और पहाड़ों, पशुओं और पक्षियों के साथ संबंध बना लेते हैं, तो प्रकृति अपने रहस्यों को आप के सामने प्रकट कर देती है। आइए, हम संकल्प लें कि गांधी जी के इस संदेश को आत्मसात करेंगे और जिस भारत भूमि पर हम रहते हैं, उसके पर्यावरण के संरक्षण के लिए त्याग भी करेंगे।
हमारे स्वतन्त्रता सेनानियों में देश-प्रेम और त्याग की भावना सर्वोपरि थी। उन्होंने अपने हितों की चिंता न करते हुए हर प्रकार की चुनौतियों का सामना किया। मैंने देखा है कि कोरोना के संकट का सामना करने में भी लाखों लोगों ने अपनी परवाह न करते हुए मानवता के प्रति निस्वार्थ भाव से दूसरों के स्वास्थ्य और प्राणों की रक्षा के लिए भारी जोखिम उठाए हैं। ऐसे सभी कोविड योद्धाओं की मैं हृदय से सराहना करता हूं। अनेक कोविड योद्धाओं को अपनी जान भी गंवानी पड़ी है। मैं उन सबकी स्मृति को नमन करता हूं।
हाल ही में, 'कारगिल विजय दिवस' के उपलक्ष में, मैं लद्दाख स्थित 'कारगिल युद्ध स्मारक - द्रास' में अपने बहादुर जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए जाना चाहता था। लेकिन रास्ते में, मौसम खराब हो जाने की वजह से, मेरा उस स्मारक तक जाना संभव नहीं हो पाया। वीर सैनिकों के सम्मान में, उस दिन मैंने बारामूला में 'डैगर वॉर मेमोरियल' पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। वह मेमोरियल उन सभी सैनिकों की स्मृति में बनाया गया है जिन्होंने अपने कर्तव्य-पथ पर सर्वोच्च बलिदान दिया है। उन जांबाज़ योद्धाओं की वीरता और त्याग की सराहना करते हुए मैंने देखा कि उस युद्ध स्मारक में एक आदर्श-वाक्य अंकित है: "मेरा हर काम, देश के नाम।
यह आदर्श-वाक्य हम सभी देशवासियों को मंत्र के रूप में आत्मसात कर लेना चाहिए तथा राष्ट्र के विकास के लिए पूरी निष्ठा व समर्पण से कार्य करना चाहिए। मैं चाहूंगा कि राष्ट्र और समाज के हित को सर्वोपरि रखने की इसी भावना के साथ हम सभी देशवासी, भारत को प्रगति के पथ पर आगे ले जाने के लिए एकजुट हो जाएं।
मेरे प्यारे देशवासियो,
मैं विशेष रूप से भारतीय सशस्त्र बलों के वीर जवानों की सराहना करता हूं, जिन्होंने हमारी स्वतंत्रता की रक्षा की है, और आवश्यकता पड़ने पर सहर्ष बलिदान भी दिया है। मैं सभी प्रवासी भारतीयों की भी प्रशंसा करता हूं। उन्होंने जिस देश में भी घर बसाया है, वहां अपनी मातृभूमि की छवि को उज्ज्वल बनाए रखा है।
मैं एक बार फिर आप सभी को भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर बधाई देता हूं। यह वर्षगांठ मनाते हुए मेरा हृदय सहज ही आज़ादी के शताब्दी वर्ष 2047 के सशक्त, समृद्ध और शांतिपूर्ण भारत की परिकल्पना से भरा हुआ है।
मैं यह मंगलकामना करता हूं कि हमारे सभी देशवासी कोविड महामारी के प्रकोप से मुक्त हों तथा सुख और समृद्धि के मार्ग पर आगे बढ़ें।
एक बार पुनः आप सभी को मेरी शुभकामनाएं!
धन्यवाद,
जय हिन्द!
(Source: PIB)
पिछले साल का स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द का भाषण (2020)
प्रिय साथी नागरिक
इस अवसर पर, हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के बलिदान को कृतज्ञता के साथ याद करते हैं। उनके बलिदान के बल पर ही, हम सब, आज एक स्वाधीन देश के निवासी हैं। हम सौभाग्यशाली हैं कि महात्मा गांधी हमारे स्वाधीनता आंदोलन के मार्गदर्शक रहे। उनके व्यक्तित्व में एक संत और राजनेता का जो समन्वय दिखाई देता है, वह भारत की मिट्टी में ही संभव था। इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस के उत्सवों में हमेशा की तरह धूम-धाम नहीं होगी। इसका कारण स्पष्ट है। पूरी दुनिया एक ऐसे घातक वायरस से जूझ रही है जिसने जन-जीवन को भारी क्षति पहुंचाई है और हर प्रकार की गतिविधियों में बाधा उत्पन्न की है।
यह बहुत आश्वस्त करने वाली बात है कि इस चुनौती का सामना करने के लिए, केंद्र सरकार ने पूर्वानुमान करते हुए, समय रहते, प्रभावी कदम उठा लिए थे। इन असाधारण प्रयासों के बल पर, घनी आबादी और विविध परिस्थितियों वाले हमारे विशाल देश में, इस चुनौती का सामना किया जा रहा है। राज्य सरकारों ने स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार कार्रवाई की। जनता ने पूरा सहयोग दिया। इन प्रयासों से हमने वैश्विक महामारी की विकरालता पर नियंत्रण रखने और बहुत बड़ी संख्या में लोगों के जीवन की रक्षा करने में सफलता प्राप्त की है। यह पूरे विश्व के सामने एक अनुकरणीय उदाहरण है। राष्ट्र उन सभी डॉक्टरों, नर्सों तथा अन्य स्वास्थ्य-कर्मियों का ऋणी है जो कोरोना वायरस के खिलाफ इस लड़ाई में अग्रिम पंक्ति के योद्धा रहे हैं। ये हमारे राष्ट्र के आदर्श सेवा-योद्धा हैं। इन कोरोना-योद्धाओं की जितनी भी सराहना की जाए, वह कम है। ये सभी योद्धा अपने कर्तव्य की सीमाओं से ऊपर उठकर, लोगों की जान बचाते हैं और आवश्यक सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करते हैं।
इसी दौरान, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में आए 'अम्फान' चक्रवात ने भारी नुकसान पहुंचाया, जिससे हमारी चुनौतियां और बढ़ गयीं। इस आपदा के दौरान, जान-माल की क्षति को कम करने में आपदा प्रबंधन दलों, केंद्र और राज्यों की एजेंसियों तथा सजग नागरिकों के एकजुट प्रयासों से काफी मदद मिली। इस महामारी का सबसे कठोर प्रहार, गरीबों और रोजाना आजीविका कमाने वालों पर हुआ है। संकट के इस दौर में, उनको सहारा देने के लिए, वायरस की रोकथाम के प्रयासों के साथ-साथ, अनेक जन-कल्याणकारी कदम उठाए गए हैं। 'प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना' की शुरूआत करके सरकार ने करोड़ों लोगों को आजीविका दी है, ताकि महामारी के कारण नौकरी गंवाने, एक जगह से दूसरी जगह जाने तथा जीवन के अस्त-व्यस्त होने के कष्ट को कम किया जा सके।
किसी भी परिवार को भूखा न रहना पड़े, इसके लिए जरूरतमन्द लोगों को मुफ्त अनाज दिया जा रहा है। इस अभियान से हर महीने, लगभग 80 करोड़ लोगों को राशन मिलना सुनिश्चित किया गया है। दुनिया में कहीं पर भी मुसीबत में फंसे हमारे लोगों की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध, सरकार द्वारा 'वंदे भारत मिशन' के तहत, दस लाख से अधिक भारतीयों को स्वदेश वापस लाया गया है। भारतीय रेल द्वारा इस चुनौती-पूर्ण समय में ट्रेन सेवाएं चलाकर, वस्तुओं तथा लोगों के आवागमन को संभव किया गया है। अपने सामर्थ्य में विश्वास के बल पर, हमने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में अन्य देशों की ओर भी मदद का हाथ बढ़ाया है। अन्य देशों के अनुरोध पर, दवाओं की आपूर्ति करके, हमने एक बार फिर यह सिद्ध किया है कि भारत संकट की घड़ी में, विश्व समुदाय के साथ खड़ा रहता है।
भारत की आत्मनिर्भरता का अर्थ स्वयं सक्षम होना है, दुनिया से अलगाव या दूरी बनाना नहीं। इसका अर्थ यह भी है कि भारत वैश्विक बाज़ार व्यवस्था में शामिल भी रहेगा और अपनी विशेष पहचान भी कायम रखेगा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अस्थायी सदस्यता के लिए, हाल ही में सम्पन्न चुनावों में मिला भारी समर्थन, भारत के प्रति व्यापक अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना का प्रमाण है। सीमाओं की रक्षा करते हुए, हमारे बहादुर जवानों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए। भारत माता के वे सपूत, राष्ट्र गौरव के लिए ही जिए और उसी के लिए मर मिटे। पूरा देश गलवान घाटी के बलिदानियों को नमन करता है। हर भारतवासी के हृदय में उनके परिवार के सदस्यों के प्रति कृतज्ञता का भाव है। उनके शौर्य ने यह दिखा दिया है कि यद्यपि हमारी आस्था शांति में है, फिर भी यदि कोई अशांति उत्पन्न करने की कोशिश करेगा तो उसे माकूल जवाब दिया जाएगा। हमें अपने सशस्त्र बलों, पुलिस तथा अर्धसैनिक बलों पर गर्व है जो सीमाओं की रक्षा करते हैं, और हमारी आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। आज जब विश्व समुदाय के समक्ष आई सबसे बड़ी चुनौती से एकजुट होकर संघर्ष करने की आवश्यकता है, तब हमारे पड़ोसी ने अपनी विस्तारवादी गतिविधियों को चालाकी से अंजाम देने का दुस्साहस किया।
कृषि क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार किए गए हैं। किसान बिना किसी बाधा के, देश में कहीं भी, अपनी उपज बेचकर उसका अधिकतम मूल्य प्राप्त कर सकते हैं। किसानों को नियामक प्रतिबंधों से मुक्त करने के लिए 'आवश्यक वस्तु अधिनियम' में संशोधन किया गया है। इससे किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी। मेरा मानना है कि कोविड-19 के विरुद्ध लड़ाई में, जीवन और आजीविका दोनों की रक्षा पर ध्यान देना आवश्यक है। हमने मौजूदा संकट को सबके हित में, विशेष रूप से किसानों और छोटे उद्यमियों के हित में, समुचित सुधार लाकर अर्थव्यवस्था को पुन: गति प्रदान करने के अवसर के रूप में देखा है। वर्ष 2020 में हम सबने कई महत्वपूर्ण सबक सीखे हैं। एक अदृश्य वायरस ने इस मिथक को तोड़ दिया है कि प्रकृति मनुष्य के अधीन है। मेरा मानना है कि सही राह पकड़कर, प्रकृति के साथ सामंजस्य पर आधारित जीवन-शैली को अपनाने का अवसर, मानवता के सामने अभी भी मौजूद है।
21वीं सदी को उस सदी के रूप में याद किया जाना चाहिए जब मानवता ने मतभेदों को दरकिनार करके, धरती मां की रक्षा के लिए एकजुट प्रयास किए। कोरोना वायरस मानव समाज द्वारा बनाए गए कृत्रिम विभाजनों को नहीं मानता है। इससे यह विश्वास पुष्ट होता है कि मनुष्यों द्वारा उत्पन्न किए गए हर प्रकार के पूर्वाग्रह और सीमाओं से, हमें ऊपर उठने की आवश्यकता है। सार्वजनिक अस्पतालों और प्रयोगशालाओं ने कोविड-19 का सामना करने में अग्रणी भूमिका निभाई है। सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के कारण गरीबों के लिए इस महामारी का सामना करना संभव हो पाया है। इसलिए, इन सार्वजनिक स्वास्थ्य-सुविधाओं को और अधिक विस्तृत व सुदृढ़ बनाना होगा।
लॉकडाउन और उसके बाद क्रमशः अनलॉक की प्रक्रिया के दौरान शासन, शिक्षा, व्यवसाय, कार्यालय के काम-काज और सामाजिक संपर्क के प्रभावी माध्यम के रूप में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी को अपनाया गया है। चौथा सबक, विज्ञान और प्रौद्योगिकी से संबंधित है। इस वैश्विक महामारी से विज्ञान और टेक्नोलॉजी को तेजी से विकसित करने की आवश्यकता पर और अधिक ध्यान गया है। मुझे विश्वास है कि हमारे देश और युवाओं का भविष्य उज्ज्वल है।
केवल दस दिन पहले अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का शुभारंभ हुआ है और देशवासियों को गौरव की अनुभूति हुई है। आप सभी देशवासी, इस वैश्विक महामारी का सामना करने में, जिस समझदारी और धैर्य का परिचय दे रहे हैं, उसकी सराहना पूरे विश्व में हो रही है। मुझे विश्वास है कि आप सब इसी प्रकार, सतर्कता और ज़िम्मेदारी बनाए रखेंगे। हमारे पास विश्व-समुदाय को देने के लिए बहुत कुछ है, विशेषकर बौद्धिक, आध्यात्मिक और विश्व-शांति के क्षेत्र में। मैं प्रार्थना करता हूं कि समस्त विश्व का कल्याण हो:
सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चित् दु:खभाग् भवेत्॥
आप सबको, 74वें स्वाधीनता दिवस की बधाई देते हुए आप सभी के अच्छे स्वास्थ्य एवं सुन्दर भविष्य की कामना करता हूं।
धन्यवाद,
जय हिन्द!
पिछले साल का स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द का भाषण (2019)
प्रिय साथी नागरिक
मैं आपको हमारे 73 वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर अपनी शुभकामनाएं देता हूं। यह भारत माता के सभी बच्चों के लिए एक खुशी और भावनात्मक दिन है, चाहे वे घर पर रहें या विदेश में। हम अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों और क्रांतिकारियों का आभार व्यक्त करते हैं जिन्होंने औपनिवेशिक शासन से हमें आजादी दिलाने के लिए संघर्ष किया, संघर्ष किया और वीर बलिदान दिया।
हम एक विशेष राष्ट्र में एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में 72 साल पूरे करते हैं। अब से कुछ हफ़्तों में, 2 अक्टूबर को, हम अपने राष्ट्र, अपने राष्ट्र को आज़ाद कराने के लिए अपने सफल प्रयास और अपने सभी के समाज में सुधार के निरंतर प्रयास के मार्गदर्शक, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती मनाएंगे। अन्याय।
समकालीन भारत उस भारत से बहुत अलग है जिसमें महात्मा गांधी रहते थे और काम करते थे। फिर भी, गांधीजी अत्यंत प्रासंगिक बने हुए हैं। स्थिरता, पारिस्थितिक संवेदनशीलता और प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने की उनकी वकालत में, उन्होंने हमारे समय की चुनौतियों को दबाने का अनुमान लगाया। जब हम अपने वंचित साथी नागरिकों और परिवारों के लिए कल्याणकारी कार्यक्रमों को डिजाइन और वितरित करते हैं, जब हम सूर्य की शक्ति को अक्षय ऊर्जा के रूप में दोहन करने की कोशिश करते हैं, तो हम गांधीवादी दर्शन को कार्य में लगाते हैं।
इस वर्ष भी गुरु नानक देवजी के सबसे महान, बुद्धिमान और सबसे प्रभावशाली भारतीयों में से एक की 550 वीं जयंती है। वह सिख धर्म के संस्थापक थे, लेकिन उन्होंने जो श्रद्धा और सम्मान दिया, वह हमारे सिख भाइयों और बहनों से कहीं आगे जाता है। वे भारत और दुनिया भर में लाखों लोगों तक फैले हुए हैं। इस पावन अवसर पर उन्हें मेरी शुभकामनाएँ।
जिस शानदार पीढ़ी ने हमें स्वतंत्रता की ओर अग्रसर किया, वह केवल राजनीतिक सत्ता के हस्तांतरण के संदर्भ में स्वतंत्रता का अनुभव नहीं करती थी। उन्होंने इसे राष्ट्र निर्माण और राष्ट्रीय वेल्डिंग की लंबी और बड़ी प्रक्रिया में एक कदम रखा। उनका उद्देश्य समग्र रूप से प्रत्येक व्यक्ति, प्रत्येक परिवार और समाज के जीवन को बेहतर बनाना था।
इस पृष्ठभूमि में, मुझे विश्वास है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में किए गए हालिया बदलावों से उन क्षेत्रों को काफी लाभ होगा। वे लोगों को देश के बाकी हिस्सों में अपने साथी नागरिकों के समान अधिकारों, समान विशेषाधिकारों और समान सुविधाओं का उपयोग और आनंद लेने में सक्षम करेंगे। इनमें शिक्षा के अधिकार से संबंधित प्रगतिशील, समतावादी कानून और प्रावधान शामिल हैं; सूचना के अधिकार के माध्यम से सार्वजनिक सूचना तक पहुंच; पारंपरिक रूप से वंचित समुदायों के लिए शिक्षा और रोजगार और अन्य सुविधाओं में आरक्षण; और हमारी बेटियों के लिए त्वरित ट्रिपल ताल जैसी असमान प्रथाओं को समाप्त करके न्याय।
इससे पहले गर्मियों में, भारत के लोगों ने 17 वें आम चुनाव में भाग लिया, जो मानव इतिहास में सबसे बड़ा लोकतांत्रिक अभ्यास था। इसके लिए मुझे हमारे मतदाताओं को बधाई देना चाहिए। वे बड़ी संख्या में और बहुत उत्साह के साथ मतदान केंद्रों पर पहुंचे। उन्होंने अपने चुनावी अधिकार के साथ-साथ अपनी चुनावी ज़िम्मेदारी को अभिव्यक्ति दी।
हर चुनाव एक नई शुरुआत करता है। प्रत्येक चुनाव भारत की सामूहिक आशा और आशावाद का नवीनीकरण है - एक आशा और आशावाद जिसकी तुलना की जा सकती है, मैं कहूंगा कि 15 अगस्त, 1947 को हमने जो अनुभव किया था। अब यह हम सभी के लिए है, भारत में, सभी को मिलकर काम करना है। और हमारे पोषित राष्ट्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं।
इस संबंध में, मुझे यह नोट करते हुए खुशी हो रही है कि संसद के हाल ही में संपन्न सत्र में लोकसभा और राज्यसभा दोनों की लंबी और उत्पादक बैठकें हुईं। क्रॉस-पार्टी सहयोग और रचनात्मक बहस की भावना से, कई महत्वपूर्ण बिल पारित किए गए। मुझे विश्वास है कि यह केवल इस बात का संकेतक है कि आने वाले पाँच वर्षों में क्या हुआ है। मेरा यह भी आग्रह है कि यह संस्कृति हमारी सभी विधान सभाओं को प्रभावित करती है।
यह महत्वपूर्ण क्यों है? यह महत्वपूर्ण नहीं है कि केवल इसलिए कि निर्वाचित उनके निर्वाचकों द्वारा उन पर रखे गए विश्वास के बराबर होना चाहिए। यह भी महत्वपूर्ण है क्योंकि राष्ट्र निर्माण - एक सतत प्रक्रिया, जिसमें से स्वतंत्रता एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर थी - तालमेल में काम करने के लिए, सद्भाव में काम करने और एकजुटता से काम करने के लिए प्रत्येक संस्थान और प्रत्येक हितधारक की आवश्यकता होती है। राष्ट्र निर्माण, दिन के अंत में, मतदाताओं और उनके प्रतिनिधियों के बीच नागरिकों और उनकी सरकार के बीच और नागरिक समाज और राज्य के बीच उस इष्टतम साझेदारी को बनाने के बारे में है।
राज्य और सरकार की यहाँ एक महत्वपूर्ण भूमिका है, एक सूत्रधार और एक प्रवर्तक के रूप में। जैसे, हमारे प्रमुख संस्थानों और नीति निर्माताओं के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे नागरिकों द्वारा भेजे जा रहे संदेश का अध्ययन करें और उसकी सराहना करें और हमारे लोगों के विचारों और इच्छाओं के प्रति उत्तरदायी हों। भारत के राष्ट्रपति के रूप में, यह मेरा विशेषाधिकार है कि हम पूरे देश में, हमारे विविध राज्यों और क्षेत्रों की यात्रा करें, और जीवन के सभी क्षेत्रों में साथी भारतीयों से मिलें। भारतीय अपने स्वाद और आदतों में बहुत भिन्न हो सकते हैं, लेकिन भारतीय एक ही सपने साझा करते हैं। 1947 से पहले, सपने एक स्वतंत्र भारत के लिए थे। आज, सपने त्वरित विकास के लिए हैं; प्रभावी और पारदर्शी शासन के लिए; और अभी तक हमारे रोजमर्रा के जीवन में सरकार के एक छोटे पदचिह्न के लिए।
इन सपनों को पूरा करना जरूरी है। लोगों के जनादेश का कोई भी पाठ उनकी आकांक्षाओं को स्पष्ट करेगा। और जब सरकार अनिवार्य रूप से खेलने के लिए अपना पक्ष रखती है, तो मैं तर्क दूंगा कि 1.3 अरब भारतीयों के कौशल, प्रतिभा, नवाचार, रचनात्मकता और उद्यमशीलता में अधिक से अधिक अवसर और क्षमता निहित है। ये विशेषताएँ नई नहीं हैं। उन्होंने भारत को चालू रखा है और हजारों वर्षों से हमारी सभ्यता का पोषण किया है। हमारे लंबे इतिहास में कई बार ऐसा हुआ है जब हमारे लोगों को कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करना पड़ा। ऐसे अवसरों पर भी, हमारा समाज लचीला साबित हुआ; आम परिवारों ने असामान्य साहस दिखाया; और इतने सारे निर्धारित व्यक्तियों को जीवित रहने और पनपने की ताकत मिली। आज, सरकार द्वारा एक सुविधाजनक और सक्षम वातावरण दिया गया है, हम केवल कल्पना कर सकते हैं कि हमारे लोग क्या हासिल कर सकते हैं।
सरकार पारदर्शी, समावेशी बैंकिंग प्रणाली, एक ऑनलाइन-अनुकूल कर प्रणाली और वैध उद्यमियों के लिए पूंजी तक आसान पहुंच के रूप में वित्तीय बुनियादी ढांचे का निर्माण कर सकती है। सरकार गरीबों के लिए आवास के रूप में भौतिक अवसंरचना का निर्माण कर सकती है और हर घर में ऊर्जा, शौचालय और पानी की उपलब्धता हो सकती है। सरकार देश के कुछ हिस्सों में बाढ़ और आपदाओं के विरोधाभास और अन्य हिस्सों में पानी की कमी को दूर करने के लिए संस्थागत बुनियादी ढांचे का निर्माण कर सकती है। सरकार व्यापक, बेहतर राजमार्ग और सुरक्षित, तेज रेलगाड़ियों के रूप में कनेक्टिविटी बुनियादी ढांचे का निर्माण कर सकती है; हमारे देश के अंदरूनी हिस्सों में हवाई अड्डे, और बंदरगाह जो हमारे तटों को डॉट करते हैं। और सार्वभौमिक डेटा एक्सेस के पास जो आम नागरिकों को डिजिटल इंडिया से लाभान्वित करने की अनुमति देता है।
सरकार एक व्यापक स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम, और हमारे दिव्यांग साथी नागरिकों की मुख्यधारा के लिए सुविधाओं और प्रावधानों के रूप में सामाजिक बुनियादी ढांचे का निर्माण कर सकती है। सरकार लैंगिक समानता को बढ़ावा देने वाले कानूनों को लागू करने के साथ-साथ हमारे लोगों के लिए जीवन को आसान बनाने के लिए अप्रचलित कानूनों को हटाकर कानूनी बुनियादी ढांचे का निर्माण कर सकती है।
हालाँकि, समाज के लिए और इस बुनियादी ढांचे का उपयोग और पोषण करने के लिए - अपने और अपने परिवारों के लाभ के लिए, और समाज और हम सभी के लाभ के लिए और अधिक महत्वपूर्ण है।
उदाहरण के लिए, ग्रामीण सड़कों और बेहतर कनेक्टिविटी का अर्थ केवल तभी है जब किसान उन्हें बड़े बाजारों तक पहुंचने और अपनी उपज के लिए बेहतर मूल्य प्राप्त करने के लिए उपयोग करते हैं। राजकोषीय सुधार और व्यापार के लिए आसान नियमों का अर्थ केवल तभी होता है जब हमारे उद्यमी, चाहे छोटे स्टार्ट-अप या बड़े उद्योगपति हों, इनका उपयोग ईमानदार और कल्पनाशील उद्यमों के निर्माण और स्थायी रोजगार के लिए करते हैं। शौचालय और घर के पानी की सार्वभौमिक उपलब्धता का अर्थ केवल तभी है जब वे भारत की महिलाओं को सशक्त बनाते हैं, उनकी गरिमा को बढ़ाते हैं और उनके लिए दुनिया में बाहर जाने और अपनी महत्वाकांक्षाओं को प्राप्त करने के लिए उत्प्रेरक बनते हैं। वे अपनी महत्वाकांक्षाओं को चुन सकते हैं जैसे वे चुनते हैं: माताओं और गृहणियों के रूप में - और पेशेवरों और व्यक्तियों को अपने भाग्य के साथ।
ऐसे बुनियादी ढाँचे को संजोना और सुरक्षित करना - बुनियादी ढाँचा जो हम में से हर एक का है, भारत के लोगों का है - हमारी मेहनत से मिली आज़ादी का एक और पहलू सुरक्षित करना। नागरिक-दिमाग वाले भारतीयों का सम्मान करते हैं और ऐसी सुविधाओं और ऐसे बुनियादी ढांचे का स्वामित्व लेते हैं। और जब वे ऐसा करते हैं, तो वे उसी भावना को प्रदर्शित करते हैं और बहादुर पुरुषों और महिलाओं के रूप में हल करते हैं जो हमारे सशस्त्र बलों और अर्धसैनिक बलों और पुलिस बलों में सेवा करते हैं। चाहे आप हमारे देश की सीमाओं पर पहरा दें या उस हाथ की जाँच करें, इससे पहले कि वह एक गुजरती ट्रेन या किसी अन्य सार्वजनिक संपत्ति पर पत्थर फेंके - ठीक उसी तरह, जैसे उसके लिए; या शायद गुस्से में - कुछ उपाय में आप एक साझा खजाने की रक्षा करते हैं। यह केवल कानूनों का पालन करने का मामला नहीं है; यह एक अंतरात्मा की आवाज का जवाब है।
मैंने अभी तक कहा है कि राज्य और समाज, सरकार और नागरिक, एक दूसरे को कैसे देखते हैं और एक-दूसरे का सहयोग अवश्य करते हैं। मैं यह मोड़ना चाहूंगा कि हम भारतीयों को एक-दूसरे को कैसे देखना चाहिए - हमें अपने नागरिकों से भी वैसी ही अपेक्षाएँ और अपेक्षाएँ रखनी चाहिए जैसी हम उनसे और हमारे लिए चाहते हैं। सहस्राब्दियों से और सदियों से, भारत शायद ही कभी एक न्यायपूर्ण समाज रहा हो। बल्कि, इसका एक आसान-सा, सजीव और जीवंत आयोजन सिद्धांत है। हम एक दूसरे की पहचान का सम्मान करते हैं - चाहे वह क्षेत्र, भाषा या विश्वास से पैदा हुआ हो; या विश्वास की अनुपस्थिति भी। भारत का इतिहास और भाग्य, भारत की विरासत और भविष्य, सह-अस्तित्व और सुलह का एक कार्य है, हमारे दिलों का विस्तार करने और दूसरों के विचारों को गले लगाने के लिए - सुधार और सामंजस्य का।
सहयोग की यह भावना जो हम अपने राजनयिक प्रयासों के साथ लाते हैं, साथ ही साथ हम अपने अनुभवों और अपनी ताकत को हर महाद्वीप में भागीदार देशों के साथ साझा करते हैं। घरेलू और विदेश में, घरेलू प्रवचन में और विदेश नीति में, हम हमेशा भारत के जादू और विशिष्टता के प्रति सचेत रहें।
हम एक युवा देश हैं, एक समाज तेजी से परिभाषित और हमारे युवाओं द्वारा आकार दिया गया है। हमारे युवाओं की ऊर्जा को कई दिशाओं में प्रसारित किया जा रहा है - खेल से लेकर विज्ञान तक, छात्रवृत्ति से लेकर सॉफ्ट स्किल तक। यह दिल को गर्म करने वाला है। फिर भी, सबसे बड़ी उपहार हम अपने युवा और हमारी आने वाली पीढ़ियों को जिज्ञासा की संस्कृति को प्रोत्साहित और संस्थागत कर सकते हैं - विशेष रूप से कक्षा में। आइए हम अपने बच्चों की बात सुनें - उनके माध्यम से भविष्य हमारे लिए फुसफुसाता है।
मैं इसे इस विश्वास और विश्वास के साथ कहता हूं कि भारत कभी भी सबसे अधिक आवाज सुनने की क्षमता नहीं खोएगा; यह अपने प्राचीन आदर्शों की दृष्टि कभी नहीं खोएगा; कि यह न तो अपनी निष्पक्षता की भावना को भूल पाएगा और न ही इसके रोमांच की भावना को। हम भारतीय ऐसे लोग हैं जो चाँद और मंगल ग्रह का पता लगाने की हिम्मत करते हैं। हम एक ऐसे व्यक्ति भी हैं जो हमारे ग्रह पर हर चार जंगली बाघों में से तीन के लिए एक प्यारा निवास स्थान बनाने के लिए दृढ़ हैं, क्योंकि यह प्रकृति और सभी जीवित प्राणियों के साथ सहानुभूति रखने की भारतीयता की विशेषता है।
सौ साल पहले, प्रेरणादायक कवि सुब्रमण्यम भारती ने हमारे स्वतंत्रता आंदोलन और तमिल में निम्नलिखित पंक्तियों में
इसके व्यापक लक्ष्यों को आवाज दी:
मंदरम् कर्पोम्, विनय तंदरम् कर्पोम्
वानय अलप्पोम्, कडल मीनय अलप्पोम्
चंदिरअ मण्डलत्तु, इयल कण्डु तेलिवोम्
संदि,तेरुपेरुक्कुम् सात्तिरम् कर्पोम्
इसकी व्याख्या इस प्रकार की जा सकती है:
हम शास्त्र और विज्ञान दोनों सीखेंगे
हम आकाश और महासागरों दोनों का पता लगाएंगे
हम चंद्रमा के रहस्यों को उजागर करेंगे
और हम अपनी सड़कों को भी साफ करेंगे
उन आदर्शों और हो सकता है जो सीखने और सुनने के लिए और बेहतर बनने का आग्रह करते हैं, वह जिज्ञासा और हो सकता है कि भ्रातृत्व, हमेशा हमारे साथ रहें। यह हमें हमेशा आशीर्वाद दे, और हमेशा भारत को आशीर्वाद दे। इसके साथ, मैं एक बार और आपको और आपके परिवारों को स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर शुभकामनाएं देता हूं।
धन्यवाद
जय हिन्द!