Independence Day 2022: अंग्रेजों के दिलों-दिमाक पर खौफ कायम करने वाले जिले के स्वतंत्रता सेनानी अब लोगों की यादों तक ही सिमट गए है। देश की आजादी का 75 वां जश्न मनाने के लिए अब हमारे बीच एक भी स्वतंत्रता सेनानी जिंदा नहीं है। वहीं स्वतंत्रता सेनानियों के उत्तराधिकारियों को अपनी पहचान व अधिकारों के लिए लम्बी जद्दोजहद करनी पड़ रही है। गौरतलब है कि देश की आजादी में हरियाणा के स्वतंत्रता सेनानियों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया था। स्वतंत्रता सेनानियों के जौहर से घबराए अंग्रेजों ने तत्कालीन जिले रोहतक को संवेदनशील घोषित कर दिया था।
स्वतंत्रता सेनानियों ने जहां मुलतान के जेलर कालिया का उसी की जेल में डंडों से पीटपीट कर बुरा हाल कर दिया था, वहीं भारत छोड़ों आंदोलन में भी जिले के स्वतंत्रता सेनानियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया था। स्वतंत्रता सेनानियों को देखकर आजादी के बाद पैदा हुए जिला वासियों को गर्व महसूस होता था।
भारत इस वर्ष अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। लेकिन इस यादगार पल को अपने दिल से महसूस करने वाले जिले में अब एक भी स्वतंत्रता सेनानी जिंदा नहीं है। वर्ष 2011 में जिले में 12 स्वतंत्रता सेनानियों ने आजादी का जश्र एक साथ मिलकर मनाया था। परन्तु 10 साल के अंदर ही सभी स्वतंत्रता सेनानी पंचतत्व में विलीन हो गए है। वर्ष 2011 में कुंदन सिंह व देवराज के साथ रिठाऊ निवासी दयासिंह, जटौला निवासी जय दयाल, दिवान सिंह,सोनीपत के आर्य नगर निवासी रामकुमार, बरौदा निवासी धन सिंह, धर्म सिंह, खानपुर खुर्द निवासी कर्मदेव, हुल्लाना निवासी ईश्वर सिंह,गोहाना निवासी रामदिया व चंदराम आदि स्वतंत्रता सेनानियों ने एक साथ मिलकर आजादी का जश्न मनाया था।
जिले के स्वतंत्रता सेनानियों में से सबसे अंत में हमारी बीच से कुंदन सिंह ने विदाई ली थी। करीब 3 साल पहले वे पंचतत्व में विलीन हो गए थे। उनका उनके पैतृक गांव खांडा में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया था। स्वतंत्रता सेनानी कुंदन सिंह आजाद हिंद फौज में शामिल थे। दरअसल नेता सुभाष चंद्र बोस जहां हथियार के बल पर अंग्रेज शासकों को हिंदुस्तान से बाहर निकालना चाहते थे, वहीं महात्मा गांधी अंहिसा के मार्ग पर चलकर ही देश की आजादी सुनिश्चित करना चाहते थे। बोस ने अलग हटकर आजाद हिंद फौज की स्थापना की तथा देश के युवाओं से आह्वान किया कि वे आजादी के लिए उनके साथ लड़े। बस फिर क्या था, नेता जी के एक आह्वान पर जिले के युवाओं का खून देश के लिए नाम हो गया।
जिला स्वतंत्रता सेनानी संगठन के सचिव जगदीश ने बताया कि जिले के स्वतंत्रता सेनानियों ने आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वक्त के साथ सभी स्वतंत्रता सेनानी हमारा साथ छोड़कर जा चुके है। पिछले साल आजाद हिंद फौज में नेता जी सुभाषचंद्र बोस के बॉडीगॉर्ड रह चुके कुंदन सिंह का भी देहांत हो गया था। अब बस इन स्वतंत्रता सेनानियों की यादे ही बची हुई है।