भारत में 15 अगस्त 2022 यानि कि 75वां स्वतंत्रता दिवस 'आज़ादी का अमृत महोत्सव' के रूप में मनाया जा रहा है। जिसके लिए लगभग देश के हर राज्य में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। बता दें कि इस महोत्सव में देश के उन वीरों को भी याद किया जा रहा है जिनका नाम इतिहास में कहीं गुम सा गया है।
तो चलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको एक ऐसे ही अमृतसर, पंजाब के वीर स्वतंत्रता सेनानी हज़ारा सिंह के बारे में बताते हैं जिनके बारे में आपने बहुत ही कम सुना व पढ़ा होगा।
कौन थे हज़ारा सिंह?
ग़दर पार्टी के क्रांतिकारी हज़ारा सिंह का जन्म अमृतसर के दादहर गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम बेला सिंह था। हज़ारा सिंह ने भी बेहतर अवसरों की तलाश में, कई अन्य पंजाबियों की तरह, बीसवीं शताब्दी की शुरुआत में ही अपना घर छोड़ दिया था। जिसके बाद वह शंघाई गए और फिर वहां से वे अमेरिका चले गए। हज़ारा सिंह ग़दर पार्टी के एक महत्वपूर्ण नेता और विशाखा सिंह के करीबी सहयोगी थे।
हज़ारा सिंह ने अमेरिका पहुंचकर कैलिफोर्निया के एक फार्महाउस में काम करना शुरु किया था। यह 500 एकड़ से अधिक का एक बड़ा फार्महाउस था। वहां बहुत से पंजाबी कार्यरत थे, और यह ग़दर पार्टी के सदस्यों के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक स्थल बन गया था। जिसके बाद पंजाबी समुदाय के सदस्यों द्वारा स्टॉकटन में एक गुरुद्वारा स्थापित किया गया था, और हजारा सिंह को इसके पहले ग्रंथी (पुजारी) के रूप में नियुक्त किया गया।
प्रथम विश्व युद्ध के फैलने के साथ, ग़दर पार्टी ने अपने कैडर से भारत की यात्रा करने और भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ने का आह्वान किया। जिसके बाद हजारा सिंह भारत पहुंचे और पंजाब में विशाखा सिंह और अन्य लोगों से मिले। ग़दरियों ने अपने विद्रोह की तारीख़ के रूप में 21 फरवरी 1915 को चुना। हालांकि, ब्रिटिश अधिकारियों को इसका पता चल गया था। जिस वजह से इस योजना को 19 फरवरी तक के लिए टाल दिया गया था, लेकिन इसकी जानकारी प्रशासन को भी दे दी गई थी। जिसके बाद ग़दर पार्टी के सुनियोजित विद्रोह को विफल कर दिया गया और कई क्रांतिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया।
पहले लाहौर षडयंत्र केस में हजारा सिंह को भी गिरफ्तार किया गया और उन पर मुकदमा चलाया गया और अदालत ने 13 सितंबर, 1915 को अपना फैसला सुनाया। हजारा सिंह पर धारा 121, 122 और 121 ए लागू की गई। जिसके बाद उन्हें संपत्ति जब्ती के साथ अंडमान और निकोबार द्वीप समूह सेलुलर जेल में आजीवन कारावास की सजा के लिए भेज दिया गया।