भारत को लगभग 200 साल गुलाम बनाने के बाद अंग्रेजों ने 15 अगस्त 1947 को देश आज़ाद किया था। जिसके उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष 15 अगस्त के दिन देश स्वतंत्रता दिवस मनाता है। भारत को इस साल यानि की 15 अगस्त 2022 को अपनी स्वतंत्रता प्राप्त किए 75 वर्ष पूरे हो जाएंगे। और इस 75वां स्वतंत्रता दिवस को देश भर में आज़ादी का अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है।
तो चलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको वीर स्वतंत्रता सेनानी गुरु मूर्ति के बारे में बताते हैं जिनके बारे में आपने इतिहास में बहुत ही कम पढ़ा व सुना होगा।
गुरु मूर्ति कौन थे?
गुरु मूर्ति का जन्म 14 जनवरी 1914 में गोरिया गोंडा के बड़े पुत्र के रूप में हुआ था। गुरु मूर्ति पोर्ट ब्लेयर के एक प्रतिष्ठित व्यवसायी थे। अप्रैल 1942 में गुरु को इंडियन इंडिपेंडेंस लीग के एक निकाय सदस्य के रूप में चुना गया था। उन्होंने आईआईएल के सभी मामलों में भाग लिया था।
भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान राष्ट्रीय नेताओं की गिरफ्तारी की निंदा करने के लिए गुरु मूर्ति और उनके समूह के सदस्यों ने एबरडीन में जुलूस का आयोजन और नेतृत्व किया। दिसंबर 1943 में अपनी यात्रा के दौरान गुरु मूर्ति ने एक प्रमुख व्यवसायी होने के नाते आईआईएल के लिए धन जुटाया और आर्थिक रूप से योगदान दिया। वह जिमखाना ग्राउंड (अब नेताजी स्टेडियम) और ब्राउनिंग क्लब में कार्यक्रमों के आयोजन में बहुत सक्रिय थे।
नेताजी की यात्रा के दौरान चूंकि वह एक सक्रिय आईआईएल सदस्य थे, 10 जनवरी 1944 को, उन्हें जासूसी के झूठे आरोप में जापानी सेना द्वारा गिरफ्तार कर जेल में बंद कर दिया गया था। जेल में उन्हें जापानियों की अमानवीय यातना का सामना करना पड़ा। उन्हें खुद को एक ब्रिटिश जासूस के रूप में स्वीकार करने के लिए मजबूर किया गया था लेकिन उन्होंने झूठे आरोप का जोरदार खंडन किया। होमफ्रेगंज नरसंहार के ठीक बाद 30 जनवरी 1944 को गुरु मूर्ति को दस साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी, लेकिन 14 सितंबर 1945 को जापानी आत्मसमर्पण के बाद रिहा कर दिया गया था।
गुरु मूर्ति के लिए, यह उनकी पीड़ा का अंत नहीं था। अंग्रेजों के फिर से कब्जे के बाद, एलाइड ब्रिटिश फोर्स ने उन्हें इंडियन इंडिपेंडेंस लीग की ओर से ब्रिटिश विरोधी गतिविधियों के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। एक महीने के बाद उन्हें सेलुलर जेल में आयोजित युद्ध अपराध ट्रायल कोर्ट द्वारा रिहा कर दिया गया। जिसके बाद 8 नवंबर 1995 को उनका निधन हो गया।