हीटवेव- भारत को किस तरह हीट स्ट्रेस दे रहा पाकिस्तान

हीटवेव यानि लू के थपेड़ों की वजह से देश भर में कई शहरों को संवेदनशील घोषित किया जा चुका है। स्कूलों के समय में परिवर्तन किया जा चुका है और कई शहरों में तो येलो अलर्ट भी घोषित हो चुका है। क्या आप जानते हैं कि हीटवेव का जो प्रभाव भारत में दिख रहा है, उसका जिम्मेदार केवल भारत नहीं, बल्कि पूरा विश्‍व है? और दुनिया के साथ-साथ पड़ोसी देश भी! जी हां हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान और बांग्लादेश भी भारत में हीटवेव का कारण हैं।

हीटवेव- भारत को किस तरह हीट स्ट्रेस दे रहा पाकिस्तान

बात अगर भारत में हीटवेव की करें तो हम सब जानते हैं कि प्रदूषण व ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन हीटवेव का एक बड़ा कारण हैं। भारत समेत तमाम देश संयुक्त राष्‍ट्र के सामने हामी भर चुके हैं कि 2050 तक एमिशन को काफी हद तक कम कर लेंगे। भारत की बात करें तो यहां के 90 प्रतिशत राज्य हीट इंडेक्स में खतरे के निशान पर हैं, वहीं दिल्ली, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश पर खतरा बहुत अधिक है। 1992 से लेकर अब तक करीब 24 हजार लोग हीटवेव की वजह से मर चुके हैं और 2022 में अप्रैल पिछले 122 वर्षों में सबसे गर्म अप्रैल था।

2022 में भारत को 365 में से 242 दिनों में मौसम में भारत उतार-चढ़ाव देखने पड़े। इसमें हीटवेव के अलावा शीत लहर, भारी वर्षा, बाढ़, आदि भी शामिल हैं। जियोफिजिकल रिसर्च लेटर के मार्च 2021 के अंक में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के लोगों को भयानक हीटवेव का सामना करना पड़ेगा। लिहाज़ा इन तीनों देशों के लिए उत्सर्जन के खिलाफ उपाय करना बेहद जरूरी है।

संयुक्त राष्‍ट्र की रिपोर्ट के अनुसार भारत बाकी सभी विकासशील देशों की तुलना में उत्सर्जन को नियंत्रित करने में सबसे अच्‍छा कर रहा है। आने वाले समय में इसके अच्‍छे परिणाम भी मिलेंगे। वहीं अगर पड़ोसी देशों की बात करें तो भारतीय महाद्वीप में भूटान एक मात्र देश है जो उत्सर्जन को कम करने के लिए सबसे कारगर कदम उठा रहा है, भले ही यहां से होने वाला उत्सर्जन काफी कम है।

वहीं बांग्लादेश की बात करें तो यहां पर क्लाइमेट चेंज के दुष्‍प्रभावों के ज्ञान का अभाव नज़र आता है। देश की नीतियां अब तक बहुत कारगर साबित नहीं हुई हैं।

अब बात पाकिस्तान की। नवंबर 2022 में पाकिस्तान पर प्रकाशित विश्‍व बैंक की कंट्री क्लाइमेट डेवलपमेंट रिपोर्ट (CCDR) के अनुसार पाकिस्तान की विकास योजनाओं और नीतियों में भारी परिवर्तन की जरूरत है। रिपोर्ट में विश्‍वबैंक साउथ एशिया के उपाध्‍यक्ष मार्टिन रेज़र ने यहां तक लिखा था कि पाकिस्तान के लोगों पर जलवायु परिवर्तन की वजह से पड़ रहे प्रभाव बेहद खतरनाक हैं और इसके लिए देश में क्विक ऐक्शन की जरूरत है।

19 अप्रैल 2023 को कैंम्ब्रिज यूनिवर्सिटी द्वारा जारी किए गए रिसर्च में कहा गया है कि पाकिस्तान तापमान को कम करने की दिशा में सार्थक कदम उठाने में नाकाम साबित हो रहा है।

हीटवेव- भारत को किस तरह हीट स्ट्रेस दे रहा पाकिस्तान

दरअसल संयुक्त राष्‍ट्र में पाकिस्तान ने कहा था कि वो 2030 तक 50 प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन को कम करेगा, लेकिन उसमें उसने केवल 15 प्रतिशत की गारंटी ली थी। बाकी के 35 प्रतिशत को हासिल करने के लिए पाकिस्तान को विदेशी फंडिंग चाहिए। केवल कोयले से रिन्‍युवेबल एनर्जी में शिफ्ट करने के लिए ही पाकिस्तान को 101 बिलियन डॉलर चाहिए। पाकिस्तान पहले से ही भारी कर्ज में डूबा हुआ है, ऐसे में अंतर्राष्‍ट्रीय एजेंसियां इतनी भारी रकम देने के लिए तैयार नहीं हो रही हैं, जिसकी वजह से पाकिस्तान में प्रदूषण की समस्या जस की तस बनी हुई है। इससे यह भी साफ है कि पाकिस्तान से काबर्न एमिशन जारी रहेगा, जिसका प्रभाव भारत पर ही नहीं बल्कि पूरे विश्‍व पर पड़ेगा।

यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज के रमित देबनाथ ने 19 अप्रैल 2023 को प्रकाशित अपनी एक क्लाइमेट स्टडी में लिखा है कि भारत के पास यह सुनहरा अवसर है, कि वो इस महाद्वीप में क्लाइमेट चेंज से लड़ने वाला सबसे सशक्त देश बन कर उभरे। हलांकि इसमें कोई दो राय नहीं है कि पूरे भारतीय महाद्वीप क्षेत्र में भारत द्वारा उठाये गये कदम सबसे सार्थक साबित हो रहे हैं।

हीटवेव- भारत को किस तरह हीट स्ट्रेस दे रहा पाकिस्तान

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

कैंब्रिज के स्कॉलर रमित देबनाथ ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि भारत को युनाइटेड किंगडम (यूके), ऑस्ट्रेलिया और यूरोपियन यूनियन से सीख लेनी चाहिए, कि जिस तरह से उन्होंने न केवल अपने देश, बल्कि पूरे क्षेत्र को ध्‍यान में रखते हुए हरित कदम उठाये, वो वाकई सराहनीय हैं और काफी कारगर भी।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के सिविल इंजीनियरिंग के हेड और पर्यावरण मंत्रालय की एनसीएपी स्टियरिंग कमेटी के सदस्य प्रो. सचिंदा नाथ त्रिपाठी का कहना है कि एमिशन किसी भी प्रकार का हो, उसका लोकल इफेक्ट तो होता ही है। करियरइंडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि कोई भी देश जहां भारी मात्रा में उत्सर्जन हो रहा है, वो अपने खुद के और पड़ोसी देश के वातावरण को जरूर प्रभावित करेगा। क्योंकि ग्रीन हाउस गैस और यहां तक अल्प समय तक हवा में रहने वाले खतरनाक कण वायु में मिलकर आस-पास के वातावरण को नुकसान पहुंचाते हैं। भले ही यह एक विश्‍व स्तरीय प्रभाव है, लेकिन स्थानीय स्तर पर इसके प्रभाव से इंकार नहीं किया जा सकता है।

वहीं लखनऊ की पर्यावरणविद एवं ग्लोबल स्ट्रैटेजिक कम्यूनिकेशन काउंसिल की कंसल्टेंट डॉ. सीमा जावेद ने कहा कि हीटवेव, बाढ़, आदि ग्लोबल वॉर्मिंग के प्रभाव हैं और इसके लिए हम एक या दो देशों को ज‍िम्मेदार नहीं ठहरा सकते हैं। अगर कोई देश एमिशन को कट करने में नाकाम साबित होता है, तो इसका मतलब उसकी वजह से पूरे विश्‍व को नुकसान पहुंचेगा।

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English summary
How Pakistan and Bangladesh are giving Heatwave Stress to India? Here is what expert says.
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