राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) का परिणाम घोषित हो गया है और चयनित अभ्यर्थी भारतीय सेना के अलग-अलग स्कूलों में कठिन ट्रेनिंग हासिल करने के बाद लेफ्टिनेंट बनकर निकलेंगे। अगर आपको लगता है कि इन नौजवानों की जिंदगी बन गई और अब उन्हें प्रमोशन मिलता जाएगा और वे आराम की नौकरी करते रहेंगे, तो आप गलत हैं। जी हां, भारतीय नौसेना में प्रमोशन पाना भी उतना ही कठिन है, जितना की नौकरी पाना। दरअसल, हम इस लेख में इसी पर चर्चा करने जा रहे हैं कि भारतीय सेना में प्रमोशन कैसे मिलता है? कैसे लेफ्टिनेंट से मेजर, मेजर से कर्नल, आदि बनते हैं?
तो चलिए सबसे पहले हम भारतीय सेना में रैंक स्ट्रक्चर समझते हैं कि आखिर कब, किस रैंक पर पहुंचते हैं।
भारतीय सेना रैंक- पदोन्नति के लिए आवश्यक न्यूनतम सेवा
- लेफ्टिनेंट- कमीशन किए जाने पर
- कैप्टन- 2 साल की सेवा के बाद
- मेजर- 6 साल की सेवा के बाद
- लेफ्टेनंट कर्नल- 13 साल की सेवा के बाद
- कर्नल- चयन पर
- कर्नल (टाइम स्केल)- 26 साल की सेवा के बाद
- ब्रिगेडियर- चयन पर
- मेजर जनरल- चयन पर
- लेफ्टिनेंट जनरल- चयन पर
- जनरल- - चयन पर
गौरतलब है कि उपयुक्त भारतीय सेना रैंक अनुसार जनरल बनने के लिए सबसे पहले भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनना होता है। अब सवाल यह उठता है कि 12वीं पास करने के बाद इच्छुक उम्मीदवार भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट कैसे बनें?
भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट कैसे बनें?
भारतीय सेना लेफ्टिनेंट बनने के लिए सबसे पहले इच्छुक उम्मीदवार को 12वीं पास करने के बाद एनडीए की परीक्षा देनी होगी जो कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा साल में दो बार आयोजित की जाती है। एनडीए की परीक्षा भारतीय सेना के साथ-साथ भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना आदि में अधिकारी के चयन के लिए भी आयोजित की जाती हैं। जिनके विवरण निम्नलिखित है।
एनडीए परीक्षा देने के लिए आवश्यक पात्रता मानदंड
- एनडीए में प्रवेश के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथमेटिक्स के साथ 12वीं पास होना चाहिए।
- 12वीं कक्षा में बैठने वाला उम्मीदवार भी एनडीए प्रवेश के लिए आवेदन कर सकता है।
- एनडीए में प्रवेश के लिए: उम्मीदवार की आयु 16.5 वर्ष से 19 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
- इसके अलावा, एनडीए की परीक्षा के आवेदन करने के लिए, इच्छुक उम्मीदवार को शारीरिक रूप से और चिकित्सकीय रूप से सभी तरह से फिट होना चाहिए।
- चिकित्सा या शारीरिक परीक्षण में एक मामूली समस्या अस्थायी अस्वीकृति या स्थायी अस्वीकृति का कारण भी हो सकती है।
ध्यान दें: एनडीए में किसी को भी उनकी जाति, समुदाय या धर्म के आधार पर आयु या शिक्षा या किसी अन्य आवश्यकताओं में कोई छूट नहीं दी गई है, यह सभी के लिए समान है। यदि आप भारतीय सशस्त्र बलों में अपने करियर की योजना बना रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि आप सेवा में शामिल होने के लिए पूरी तरह से फिट और स्वस्थ हैं।
भारतीय सेना में कैसे होता है प्रमोशन
जैसे कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि भारतीय सेना में आगे की रैंक हासिल करने तक का सफर आसान नहीं होता है। इसके लिए आपको बार-बार ट्रेनिंग कोर्स करने होते हैं और खुद को मेडिकली और फिजिकली फिट रखना होता है।
लेफ्टिनेंट से कैप्टन, कैप्टन से मेजर, मेजर से लेफ्टिनेंट कर्नल, और फिर कर्नल बनने तक के लिए नेशनल डिफेंस सेंटर नई दिल्ली समेत कई अन्य संस्थानों में जूनियर ऑफीसर्स के लिए ट्रेनिंग आयोजित की जाती है। इस बीच अगर आप विदेशी मिलिट्री एक्सरसाइज़ में शामिल होते हैं, ट्रेनिंग कोर्स में अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो आपको हायर रैंक मिलने के चांस बढ़ जाते हैं। दरअसल रैंक तय करती है आपकी फिटनेस। उस सर्टिफिकेट को हासिल करने के लिए नियमित कार्यों के अलावा रात-दिन मेहनत करनी होती है।
भारतीय सेना में कोई शॉर्ट कट नहीं
करियर इंडिया से बातचीत में एक सेवानिवृत्त कैप्टन ने बताया कि भारतीय सेना में कोई शॉर्टकट नहीं चलता है। ऐसा नहीं है कि आप एक बार मेजर रैंक तक पहुंच गए तो आसानी से कर्नल भी बन जाएंगे। आपका प्रदर्शन हर पल काउंट होता है। फील्ड (संवेदनशील इलाके या बॉर्डर) पर आप कितने सक्रिय रहे हैं, या शांति इलाकों में आपने काम को किस तरह संभाला है, यह सब काउंट होता है।
कर्नल की रैंक से ऊपर की रैंक जैसे ब्रिगेडियर, मेजर जनरल, लेफ्टिनेंट जनरल, या फिर जनरल बनने के लिए भी आपके अंदर एक जुनून होना अनिवार्य है। यह जुनून आप हायर ग्रेड ऑफीसर्स ट्रेनिंग में दिखा सकते हैं। यहां पर आपकी केवल फिजिकल फिटनेस नहीं देखी जाती है, बल्कि यह भी देखा जाता है कि आप कितनी तेज़ी से सोच पाते हैं। अधिकारियों के लिए ओवरऑल डेवलपमेंट प्रोग्राम होता है, जिसमें स्ट्रैटेजिक गेमिंग एक्सरसाइज, मीडिया कैप्सूल, एनडीसी की सीनियर ग्रेड ट्रेनिंग, स्ट्रैटेजिक लीडरशिप प्रोग्राम, एजाइल स्ट्रैटेजिक एनालिसिस, आदि सिखाई जाती हैं।
हर कोर्स के बाद परीक्षा होती है और अधिकारियों के स्किल चेक किए जाते हैं। इसके अलावा प्रमोशन देने वाला पैनल यह भी देखता है कि कितनी सूझ-बूझ के साथ ऑफीसर ने किसी ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है।
नोट- यह लेख सेवानिवृत्त सेनानी से बातचीत पर आधारित है, प्रमोशन के नियम हर साल बदलते रहते हैं और हर पद के लिए, हर अधिकारी के लिए प्रमोशन की प्रक्रिया उसकी तैनाती पर निर्भर करती है, इसलिए सटीक प्रक्रिया की जानकारी हम आपको नहीं दे सकते हैं।
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