Hindi Diwas Speech 2023 हिंदी दिवस पर भाषण की तैयारी यहां से करें

Hindi Diwas Speech 2023 भारत में हिंदी दिवस 14 सितंबर को हर साल मनाया जाता है। दुनिया में हिंदी भाषा चौथी सबसे अधिक बोली जाने भाषा है।

Hindi Diwas Speech In Hindi 2023 Hindi Diwas Par Bhashan Nibandh भारत में हिंदी दिवस 14 सितंबर को हर साल मनाया जाता है। दुनिया में हिंदी भाषा चौथी सबसे अधिक बोली जाने भाषा है। भारत में विभिन्न भाषाएं बोली जाती हैं, लेकिन सबसे ज्यादा हिंदी भाषा बोली, लिखी व पढ़ी जाती है। 14 सितंबर 1953 को पहली बार हिंदी दिवस मनाया गया, इस वर्ष हम 70वां हिंदी दिवस मना रहे हैं। हिंदी राष्ट्र होने की वजह से भारत को हिन्दुस्तान कहा जाता है। हिंदी दिवस पर लोग एक दूसरे को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देते हैं। हिंदी दिवस पर भाषण प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है, स्कूल कॉलेज में भी हिंदी दिवस पर भाषण और हिंदी दिवस पर निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। ऐसे में अगर आपको भी हिंदी दिवस पर भाषण (Speech On Hindi Diwas 2023) या हिंदी दिवस पर निबंध (Essay On Hindi Diwas) लिखना है, तो हम आपके लिए सबसे बेस्ट हिंदी दिवस पर लेख लेकर आए हैं। हिंदी दिवस पर भाषण का ड्राफ्ट देखकर आप आसानी से हिंदी दिवस पर भाषण लिख सकते हैं। आइये जानते हैं हिंदी दिवस पर भाषण (How To Write Hindi Diwas Speech), हिंदी दिवस पर निबंध (How To Write Hindi Diwas Essay) और हिंदी दिवस पर लेख (How To Write Hindi Diwas Article) कैसे लिखें...

हिंदी दिवस पर भाषण 2023 (Speech On Hindi Diwas 2023)

हिंदी दिवस पर भाषण का ड्राफ्ट | Speech On Hindi Diwas 2023
यहां मौजूद सभी सम्माननीय माननीय अतिथिगण को मेरा प्रणाम,
मैं लविश सांवरिया, हिंदी दिवस पर मुझे यह अवसर देकर मैं धन्य हो गया

साथियों जैसे की हम जानते हैं, हम सब यहां हिंदी दिवस के उपलक्ष में यहां उपस्तिथ हुए हैं, हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। अंग्रेजी, स्पेनिश और मंदारिन के बाद हिंदी दुनिया में चौथी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। हिंदी दिवस पर हर साल भारत के राष्ट्रपति दिल्ली में एक समारोह में हिंदी भाषा में अतुलनीय योगदान के लिए लोगों को राजभाषा पुरस्कार से सम्मानित करते हैं।

हिंदी एक इंडो-आर्यन भाषा है, जिसे देवनागरी लिपि में भारत की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में लिखा गया है। हिंदी दिवस आधिकारिक भाषा के प्रचार और प्रसार के लिए समर्पित है। भारत में हिंदी एक मात्र ऐसी भाषा है, जिसे सबसे अधिक बोला, लिखा व पढ़ा जाता है।

हिंदी दिवस का इतिहास की बात करें तो 14 सितंबर 1949 को भारत की संविधान सभा ने हिंदी को नवगठित राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया। फिर निर्णय को स्वीकार कर लिया गया और यह 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान का हिस्सा बन गया। 1953 में पहली बार हिंदी दिवस मनाया गया। लोग जैसे राजेंद्र सिंह, हजारी प्रसाद द्विवेदी, काका कालेलकर, मैथिली शरण गुप्त, और सेठ गोविंद दास गोविंद ने हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा बनाए जाने के पक्ष में कड़ी पैरवी की।

बहुत लोगों पता नहीं होता कि हिंदी दिवस कैसे मनाया जाता है? तो मैं आपको बता दूं इस दिन भारत में स्कूल और कॉलेज हिंदी में साहित्यिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों, प्रतियोगिताओं का आयोजन करते हैं। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाने का फैसला किया। अधिकांश शिक्षण संस्थान की संगठित कविता, निबंध, और प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं और छात्रों को भाग लेने और भाषा का जश्न मनाने और इस पर गर्व करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

हिंदी भाषा के बारे में मैं आपको बताना चाहूंगा कि हिंदी भाषाओं के इंडो-यूरोपीय परिवार की इंडो-आर्यन शाखा से संबंधित है। अंग्रेजी के साथ हिंदी भारत की आधिकारिक भाषा है। अनुच्छेद 343 के अनुसार, संघ की आधिकारिक भाषा देवनागरी लिपि में हिंदी होगी। हिंदी वह भाषा थी जिसे स्वतंत्रता के संघर्ष के दौरान भारतीय नेताओं ने राष्ट्रीय पहचान के प्रतीक के रूप में अपनाया था। बारहवीं शताब्दी के बाद से हिंदी को साहित्यिक भाषा के रूप में उपयोग किया जाता है।

अंत में सभी का धन्यवाद करें
जय हिंद, जय भारत, भारत माता की जय....

हिंदी दिवस पर भाषण कैसे लिखें पढ़ें जानिए....

हिंदी दिवस स्पीच | हिंदी दिवस पर भाषण | Hindi Diwas Speech In Hindi

हिंदी दिवस स्पीच | हिंदी दिवस पर भाषण | Hindi Diwas Speech In Hindi

27 सितम्बर 2014 को जब नरेन्द्र मोदी ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में संयुक्त राष्ट्र की महासभा को हिन्दी में संबोधित किया तो राष्ट्र का हिन्दी प्रदेश खुशी से झूम उठा था। हालांकि उनके पहले 1977 में स्व. अटल बिहारी वाजपेयी भी एक बार वहां अपना भाषण हिन्दी में दे चुके थे। लेकिन तब वे सिर्फ विदेश मंत्री थे। 27 सितम्बर के संबोधन के संबंध में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी बताया था कि बतौर मंत्री एक बार उन्होंने भी वहां हिन्दी में संबोधन किया था। प्रधानमंत्री सहित पार्टी के इन वरिष्ठ नेताओं के हिन्दी प्रेम और पार्टी के अतीत ने लोगों के बीच एक नई आशा जगाई। लोगों को लगा कि यह है एक हिन्दीवादी सरकार जो राष्ट्रभाषा के रूप में हिन्दी की पैठ मजबूत करेगी। वे संयुक्त राष्ट्र के उस संबोधन को ले कर बेहद उत्साहित थे। उनके लिए ऐतिहासिक क्षण था‚ जब हमारे प्रधानमंत्री ने पूरी दुनिया को संदेश दिया था कि देखो‚ यह है हमारी मातृ भाषा। यह है पचास करोड़ लोगों द्वारा बोली और समझी जाने वाली जुबान। और अपनी बात हम अपनी इसी जुबान में बोलेंगे। दुनिया वालो‚ अगर तुम्हें इतनी बड़ी आबादी से अपना संवाद स्थापित करना है‚ तो तुम्हें इसे सुनना होगा। हिन्दी प्रेमियों ने माना कि इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस भाषा का मान-सम्मान बढ़ा। और अब देश के सरकारी कामकाज में भी हिन्दी का प्रसार होगा। प्रधानमंत्री भी रु के नहीं। अगले ही हफ्ते 3 अक्टूबर से रेडियो पर उनका मशहूर कार्यक्रम 'मन की बात' शुरू हुआ जिसमें वे देशवासियों को नियमित संबोधित करते हैं। उनका यह संबोधन भी हिन्दी में ही होता है। प्रधानमंत्री के इन निजी प्रयासों के अलावा‚ हिन्दी को राजभाषा के रूप में और प्रभावी बनाने के लिए केंद्र सरकार ने एक बड़ी पहल की। पूरे देश को क‚ ख और ग तीन श्रेणियों में बांटा गया। क श्रेणी में वे दस राज्य रखे गए‚ जो मुख्य रूप से हिन्दीभाषी हैं- बिहार‚ छत्तीसगढ़‚ हरियाणा‚ हिमाचल प्रदेश‚ झारखंड‚ मध्य प्रदेश‚ मणिपुर‚ राजस्थान‚ उत्तराखंड तथा केंद्रशासित राज्य दिल्ली और अंडमान निकोबार। ख श्रेणी में वे राज्य रखे गए‚ जहां हिन्दी चलती है‚ लेकिन उनकी अपनी भी एक मजबूत भाषा है। इनमें महाराष्ट्र‚ गुजरात और पंजाब शामिल किए गए। उत्तर पूर्व तथा दक्षिण के जिन प्रदेशों को हिन्दी में सरकारी काम करने में ज्यादा मुश्किल होती है‚ उन्हें ग श्रेणी में रखा गया।

राजभाषा समिति के निर्देश
राजभाषा समिति ने केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों को निर्देश जारी किया कि उनके या उनसे संबद्ध सभी केंद्रीय कार्यालयों से जारी होने वाली चिट्ठियां क और ख वर्ग के राज्यों के लिए शत प्रतिशत तथा ग वर्ग के राज्यों के लिए 65 प्रतिशत हिन्दी में होनी चाहिए। इसी तरह फाइलों पर की जाने वाली 75 प्रतिशत टिप्पणियां हिन्दी में होनी चाहिए। नेशनल इनफॉर्मेटिक्स सेंटर (निक) ने उन्हें बताया कि किस तरह कंप्यूटर पर हिन्दी में बोल कर वॉयस टाइपिंग संभव है।
दो साल बाद 2016 में जब इन निर्देशों के क्रियान्वयन की समीक्षा की गई‚ तो बहुत ही निराशाजनक तथ्य सामने आया। रक्षा‚ विदेश‚ वाणिज्य एवं व्यापार‚ न्याय और बैंकिंग जैसे मंत्रालयों और विभागों की बात तो छोड़ ही दीजिए‚ पंचायती राज जैसे मंत्रालय से ग श्रेणी के राज्यों को कुल 1 प्रतिशत चिट्ठियां भी हिन्दी में नहीं भेजी गई थीं। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय से सिर्फ 12 प्रतिशत और स्वास्थ्य मंत्रालय से सिर्फ 19 प्रतिशत चिट्ठियां हिन्दी में जारी की गई थीं। ये वो मंत्रालय हैं‚ जिनका काम जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़ा हुआ है। जिस विभाग को राजभाषा के उन निर्देशों के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी दी गई थी‚ उस विभाग के प्रमुख दो साल में पांच बार बदले गए। हर सचिव अपनी प्राथमिकता के साथ आया और अपनी प्राथमिकता के साथ विदा हो गया। निगरानी भी ठीक तरह से नहीं हो सकी।

अब आप 2019-20 के लिए राजभाषा क्रियान्वयन का वार्षिक कार्यक्रम देखिए। इसके अनुसार सभी केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों की वेबसाइट्स द्विभाषी होनी चाहिए। सभी कोड‚ मैनुअल‚ फार्म और रिपोर्ट शत प्रतिशत हिन्दी में उपलब्ध होनी चाहिए। क श्रेणी के राज्यों के बीच शत प्रतिशत पत्राचार हिन्दी में होने चाहिए। यहां तक कि ग श्रेणी के राज्यों की कम से कम 30 प्रतिशत‚ ख श्रेणी की 50 प्रतिशत और क श्रेणी की 75 प्रतिशत फाइल टिप्पणियां भी हिन्दी में होनी चाहिए। लेकिन व्यावहारिक स्तर पर इनकी जांच करें तो‚ पहले से आज की स्थिति में कोई ज्यादा बदलाव नजर नहीं आता। यदि आपको किसी मंत्रालय या विभाग की वेबसाइट हिन्दी में मिले‚ तो वहां राजभाषा के क्रियान्वयन के हासिल हुए लक्ष्य वाला भाग देखिए। वहां यह जानकारी मिलेगी कि इस साल इस संबंध में कितनी बैठकें हुईं‚ कितनी कार्यशालाएं आयोजित की गई‚ कितने प्रोत्साहन पुरस्कार दिए गए और कितने द्विभाषी कंप्यूटर खरीदे गए। लेकिन यह जानकारी नहीं मिलेगी कि कितना पत्राचार हिन्दी में हुआ‚ कितने सर्कुलर और रिपोर्ट मूल रूप से हिन्दी में लिखी गई और कितनी फाइलों पर टिप्पणियां राजभाषा के निर्देशों के अनुसार की गई। इसका जवाब तो दैनिक जीवन के अनुभवों से ही मिलेगा।

लोकतंत्र में सरकार का मतलब
लोकतंत्र में सरकार का मतलब सिर्फ चुनी हुई पार्टी के नेताओं से बना मंत्रिमंडल ही नहीं होता। उसमें सरकारी साहिबों-मुसाहिबों से बनी अफसरशाही भी होती है‚ जिसे चुनाव का कोई भय नहीं होता। इसलिए चुनी हुई सरकार की काबिलियत की पहचान सिर्फ इससे नहीं होती कि वह कितनी अच्छी या लोकप्रिय नीतियां बनाती है। उसकी उपलब्धियों की जांच इस बात से होती है कि इस शासकीय तंत्र से अपनी नीतियों पर किस तरह अमल करवाती है‚ कितना लक्ष्य हासिल करती है। मौजूदा सरकार भी वह लक्ष्य हासिल नहीं कर पाई है‚ जिसका सपना लोगों ने 2014 में देखा था॥। राजभाषा के रूप में हिन्दी के प्रयोग के प्रभावी रूप से नहीं लागू होने के लिए हमेशा दक्षिणी राज्यों के विरोध को कारण के रूप में पेश किया जाता है। यह राजनीतिक स्टंट है। पिछले साल केंद्र सरकार नई शिक्षा नीति का मसविदा ले कर आई। उसमें हिन्दी को अनिवार्य भाषा बनाया गया था। दक्षिण के राज्यों ने इसका विरोध किया। सरकार ने हिन्दी की अनिवार्यता का वह प्रावधान हटा दिया लेकिन इससे सरकारी कामकाज राजभाषा में करने की नीति किस हद तक बाधित होती हैॽ दक्षिण के वे राज्य पहले से ही ग श्रेणी में हैं। उन्हें तो यों भी सिर्फ 30 प्रतिशत फाइल टिप्पण हिन्दी में करने का लक्ष्यपाना है। लेकिन क श्रेणी के जिन हिन्दीभाषी राज्यों के साथ 100 प्रतिशत पत्र व्यवहार और 75 प्रतिशत फाइल टिप्पण हिन्दी में होना है‚ वहां यह लक्ष्य क्यों नहीं हासिल हो रहा हैॽ इसलिए दक्षिणी राज्यों के विरोध की चर्चा तो सिर्फ इधर के राज्यों में मिली असफलता को छुपाने का बहाना जैसा ही है। असली वजह इच्छाशक्ति की कमी है। हिन्दीवादी सरकार ने हिन्दी को सरकारी कामकाज की भाषा बनाने का वह संकल्प और प्रतिबद्धता नहीं दिखाई जिससे वह वांछित लक्ष्य हासिल कर पाती और इसका वह हिन्दी प्रेम लोकतंत्र की राजनीति में सिर्फ हिन्दी पट्टी तक पहुंचने वाली पुलिया बन कर रह गया।

हिंदी दिवस स्पीच | हिंदी दिवस पर भाषण | Hindi Diwas Speech In Hindi

हिंदी दिवस स्पीच | हिंदी दिवस पर भाषण | Hindi Diwas Speech In Hindi

राज्यों की नीतियों और उनके क्रियान्वयन में विसंगति होना कोई अचरज की बात नहीं। दुनिया भर की व्यवस्थाओं में इस बीमारी को पचाकर शक्तिशाली हो जाने का हुनर है। इतना ही नहीं व्यवस्थाएं तो इतनी लचीली होती हैं कि उनकी ही दो नीतियों में से एक उत्तर की ओर जाती है‚ तो दूसरे का संधान दक्षिण दिशा की ओर होता है। भारतीय संदर्भ में देखें तो राज्य की भाषायी नीति इसका शास्त्रीय उदाहरण है।आजादी के बाद से ही राज्य ने इस बात का नैतिक आवरण ओढ़ा कि वो भारतीय भाषाओं के जीवित बचे रहने की व्यवस्था करेगा लेकिन प्राणवायु का मुंह दूसरी ओर मोड़ दिया। तब से भारतीय भाषाएं इधर-उधर से कुछ ऑक्सीजन लेकर हांफती-उपसती अपना अस्तित्व बचाने में लगी हैं। हां‚ इतना जरूर है कि कुछ सरकारों में वाचिक स्तर पर यह भाषायी नीति पहले से थोड़ी उदार हो जाती है‚ तो कुछ में इतनी भी राहत की आवश्यकता नहीं समझी जाती।

वर्तमान में देखें तो भारत सरकार ने नये भारत की कल्पना करते हुए जिस नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को पेश किया है‚ उसमें भाषायी विविधता को अपनाने पर जोर दिया गया है‚ लेकिन ठीक इसी समय देश चलाने वाले प्रशासकों में यह भाषायी विविधता लगभग शून्य है। हमारे लगभग सभी प्रशासक गैर-भारतीय भाषाओं से चुन लिए गए हैं‚ और यही रीति भी रही है। यह ऐसा गंभीर विरोधाभास है‚ जिसे समय रहते ठीक नहीं किया गया तो फिर इसका दुष्परिणाम झेलना काफी भयावह होगा। एक बार फिर नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की ओर लौटते हैं। यह दस्तावेज इस बात को लेकर आश्वस्त है कि मातृ भाषा में शिक्षा 'बेहतर शिक्षण' के लिए अनिवार्य है‚ इसलिए इस नीति को अधिक से अधिक बढ़ावा देना चाहिए। यह बात ठीक है और दुनियाभर के विद्वानों की इस बात पर सहमति रही है कि अपनी भाषा में पढ़ना और नये समय को गढ़ना एक सहज प्रक्रिया है।

भाषा और जीवित समाज
दरअसल‚ भाषा सिर्फ संवाद का माध्यम भर नहीं होती‚ बल्कि उसमें एक जीवित समाज सांस ले रहा होता है। एक समाज की बेहतर समझ उस समाज की भाषा ही दे सकती है‚ अन्य कोई भी भाषा‚ चाहे वो कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो‚ उस समाज का अधूरा सच ही बता सकती है। यहीं से विरोधाभास का दूसरा सिरा खुलता है। राज्य की जिस इकाई पर समाज को समझ कर नीति बनाने और उसे लागू कराने की जिम्मेदारी होती है‚ वो भाषा के इस बुनियादी उपयोग से ही दूर है अर्थात भारत के सिविल सेवक‚ जिन पर नीति निर्माण और उसके क्रियान्वयन की बड़ी जिम्मेदारी है‚ में भारतीय भाषाओं का प्रतिनिधित्व नाममात्र है। क्या ऐसी प्रशासनिक संरचना के समाजोन्मुख होने की कल्पना की जा सकती हैॽ और वो ऐसा होने का दावा भी करे को क्या ऐसा करने में सक्षम हैॽ इसका उत्तर 'ना' में देने पर शायद ही किसी को आश्चर्य हो!

दिलचस्प है कि सिविल सेवा में जिस नीति के कारण भारतीय भाषाओं का प्रतिनिधित्व लगातार कम होता चला गया‚ उसे इस व्यवस्था के हितचिंतकों ने 'योग्यतम के चयन' का नाम दिया अर्थात चूंकि भारत को 'श्रेष्ठ' प्रशासक चाहिए इसलिए चयन प्रणाली ऐसी हो जिसमें योग्यतम लोग ही चुने जाएं। अब योग्यता के दबी जा रही इस व्यवस्था से कौन पूछे कि आखिर‚ यह विशिष्ट खोज उसने की कहां से जो सिर्फ अंग्रेजी में ही प्रतिभा खोज पा रही है और भारतीय भाषाओं को नकारों के समूह मात्र के रूप में देख रहीॽ जब तमाम विद्वान और स्वयं सरकार का शिक्षा दस्तावेज मातृभाषा में आगे बढ़ने का ख्वाब देख रहे हैं‚ तब प्रशासकों की यह भर्ती प्रणाली उल्टी दिशा में क्यों चल रही हैॽ

योग्यता का पैमाना
दूसरी बात यह कि योग्यता कोई ऐसी विशिष्टता नहीं है‚ जो किसी खास भाषा में ही निवास करती है। हां‚ अगर किसी खास भाषा की जानकारी को ही योग्यता का पैमाना बना लिया जाए तब जरूर यह विशिष्ट नजर आने लगती है। सिविल सेवा के मामले में ऐसा ही हुआ है। यहां अंग्रेजी भाषा के ज्ञान को ही योग्यता का अंतिम निर्धारक मान लिया गया है। इसलिए कहने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए कि योग्यता का यह दावा न केवल गलत‚ बल्कि अश्लील भी है। खासकर भाषायी विविधता वाले समाज से जुड़कर कार्य करने वाले अधिकारियों के लिए योग्यता का यह निर्धारक अश्लील ही है।

हमें यह बात समझनी होगी कि वही शासन व्यवस्था सबसे बेहतर कही जाएगी जिसमें पूरे राष्ट्र का प्रतिनिधित्व हो। खासकर एक लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था को इसका पालन जरूर करना चाहिए। इसका अभाव लोकतंत्र को कुलीनतंत्र में तब्दील कर देगा। वस्तुतः शासन व्यवस्था में लोक का भरोसा ही उसके बने रहने की गारंटी होता है किंतु निरंतर जानबूझकर एक बड़े वर्ग को नीचा दिखाया जाए और शासन में भागीदारी से वंचित किया जाए तो यह भरोसा कम होने लगता है। यह खतरनाक स्थिति है और इसे यथाशीघ्र बदल देना चाहिए। कई बार पुरानी व्यवस्था में लौटना संभव नहीं होता लेकिन गलत व्यवस्था को समाप्त कर नई न्यायपूर्ण व्यवस्था का निर्माण करना हमेशा हमारे हाथ में होता है। हम जितनी जल्दी शासन व्यवस्था में भारतीय भाषाओं का समुचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करेंगे हमारा लोकतंत्र उतना ही मजबूत होगा। लोहिया के हवाले से यह कि किसी भाषा का विरोध करना बुरा है पर उसके आधिपत्य को चुनौती देना कहीं से गलत नहीं है।

अंत में फिर नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के दर्शन पर लौटते हैं और सरकार के समक्ष विचार के लिए यह प्रश्न छोड़ देते हैं कि क्या भारतीय भाषाओं को दोयम मानने वाली प्रशासनिक व्यवस्था मातृभाषा में शिक्षा को बढ़ावा देगीॽ और अगर नहीं देगी तो फिर शिक्षा नीति किस प्रकार लागू होगीॽ भाषा को लेकर इस सरकार से एक उम्मीद बंधती है। शायद इस उम्मीद को सांस भी मिल जाए!

 

हिंदी दिवस पर लंबा भाषण |  हिंदी दिवस स्पीच | हिंदी दिवस पर भाषण | Long Hindi Diwas Speech | Hindi Diwas Speech In Hindi

हिंदी दिवस पर लंबा भाषण | हिंदी दिवस स्पीच | हिंदी दिवस पर भाषण | Long Hindi Diwas Speech | Hindi Diwas Speech In Hindi

हिंदी दिवस भाषण का यह रूप तब उपयोगी होता है जब वक्ता भीड़ को संबोधित कर रहा हो और इस दिन के इतिहास और महत्व को विस्तार से जान सकता है।


सुप्रभात और इस महत्वपूर्ण दिन के उत्सव के लिए यहां एकत्र हुए सभी लोगों का गर्मजोशी से स्वागत है। यह 14 सितंबर 1949 को था, जब बोहर राजेंद्र सिंह, हजारी प्रसाद द्विवेदी, काका कालेलकर, मैथिली शरण गुप्त और सेठ गोविंद दास जैसे कई साहित्यिक इतिहासकारों के प्रयास सफल हुए। इस दिन, हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में अपनाया गया था। 14 सितंबर 1949 को महान साहित्यकार बेहर राजेंद्र सिंह का 50वां जन्मदिवस भी था जिनका योगदान उल्लेखनीय है। इस संशोधन को आधिकारिक तौर पर भारत के संविधान द्वारा अगले वर्ष के गणतंत्र दिवस, यानी 26 जनवरी 1950 को प्रलेखित किया गया था।

हिंदी में, "दिवस" ​​का अर्थ है दिन। इसलिए इस दिन को ऐसे कई इतिहासकारों के सम्मान और सम्मान के लिए हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है जिन्होंने ऐसे उल्लेखनीय परिवर्तन किए हैं जिन्होंने इतिहास के पाठ्यक्रम को बदल दिया है।

इस दिन को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में भी मनाया जाता है और इस राष्ट्रीय भाषा दिवस- हिंदी दिवस दिवस को मनाने की भावना से सरकारी कार्यालय बंद रहते हैं।

संसदीय कार्यालय भी जश्न मनाने से पीछे नहीं हटते हैं। देश के राष्ट्रपति उन व्यक्तियों को प्रशंसा पुरस्कार प्रदान करते हैं जिन्होंने हिंदी के क्षेत्र में अत्यधिक योगदान दिया है और हमारे देश को गौरवान्वित किया है। इस कार्यक्रम को देखना सभी देशवासियों के लिए गर्व का क्षण है।

इसलिए यह दिन स्कूल और कॉलेज दोनों के छात्रों द्वारा समान उत्साह और उत्साह के साथ मनाया जाता है।

इस दिन के महत्व को ध्यान में रखते हुए समारोह आयोजित किए जाते हैं। स्वागत भाषण हिन्दी में दिए जाते हैं। विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। इंटर-हाउस और इंटर-स्कूल दोनों कार्यक्रम होते हैं। समारोह में कई छात्र बहुत उत्साह से भाग लेते हैं। विभिन्न प्रतियोगिताओं में हिंदी में कविता पाठ, निबंध लेखन, भाषण और भाषण और गायन प्रतियोगिताएं सभी हिंदी में शामिल हैं। आइए अपनी विविधता पर गर्व करें और एक दूसरे को मनाकर अपने मतभेदों का जश्न मनाएं।
धन्यवाद ।

हिंदी दिवस पर छोटा भाषण |  हिंदी दिवस स्पीच | हिंदी दिवस पर भाषण | Short Hindi Diwas Speech | Hindi Diwas Speech In Hindi

हिंदी दिवस पर छोटा भाषण | हिंदी दिवस स्पीच | हिंदी दिवस पर भाषण | Short Hindi Diwas Speech | Hindi Diwas Speech In Hindi

लघु हिंदी दिवस भाषण
हिंदी दिवस में भाषण का यह रूप स्पीकर के लिए उपयोगी है कि दर्शकों को समझने के लिए स्पष्ट भाषा का उपयोग करके इसे छोटा और सरल रखा जा सके।

सुप्रभात और यहां एकत्रित सभी लोगों का हार्दिक स्वागत है। मैं एबीसी (अपने नाम का उल्लेख करें) इस ऐतिहासिक दिन के महत्व के बारे में बोलने का अवसर पाकर सम्मानित महसूस कर रहा हूं। 14 सितंबर 1949 को महान साहित्यकार बेहर राजेंद्र सिंह का 50वां जन्मदिन है। उनके प्रयासों और कई अन्य लोगों के परिणामस्वरूप हिंदी को आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में अपनाया गया। भारत के संविधान द्वारा आधिकारिक दस्तावेज 26 जनवरी 1950 को किया गया था।

हिंदी भारत के उत्तरी क्षेत्रों में बोली जाने वाली सबसे प्रमुख भाषाओं में से एक है और कई लोग इस ऐतिहासिक दिन पर अपनी मातृभाषा मनाते हैं। यह देश के सभी लोगों के बीच मनाया जाता है क्योंकि इसे राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाता है। हमारे देश के राष्ट्रपति उन नागरिकों को भी पुरस्कार देते हैं जिन्होंने हिंदी भाषा में योगदान दिया है।

हमारे पूर्वजों के प्रयास काबिले तारीफ है और यह दिन उसी की याद में और उनके योगदान का जश्न मना रहा है। देश भर के स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं और बच्चे भी इन आयोजनों में उत्साह से भाग लेते हैं।

हम 22 आधिकारिक भाषाओं वाले देश में रहते हैं और सभी देश के विभिन्न राज्यों में बोली जाती हैं। हम सभी धर्मों के सभी त्योहार मनाते हैं। विविधता का यह मिश्रण अद्वितीय है और दुनिया में कहीं नहीं देखा जाता है। हिंदी दिवस या हिंदी दिवस उन सभी त्योहारों की तरह एक उत्सव है, जो हमारे इतिहास का सम्मान करते हैं। ऐसे दिनों में यह एकता अधिक प्रमुख होती है। आइए अपने देश और अपने देशवासियों के मूल्यों और विश्वासों पर गर्व करें।
शुक्रिया।

हिंदी दिवस पर 10 लाइन का भाषण (10 Lines On Hindi Diwas Speech)
भाषण का यह रूप दर्शकों को विषय के बारे में सरल प्रारूप में बताने के लिए उपयोगी है।

हिंदी दिवस को हिंदी दिवस भी कहा जाता है क्योंकि "दिवस" ​​शब्द का अर्थ दिन होता है।

हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है और इसे राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाता है।

यह ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण अवसर है। 14 सितंबर 1949 को हिंदी भाषा को आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में अपनाया गया था।

हिंदी देश भर में और विशेष रूप से भारत के उत्तर में बोली जाने वाली सबसे आम भाषाओं में से एक है।

एक ऐसी भाषा को अपनाना जो इतनी व्यापक रूप से एक आधिकारिक भाषा के रूप में बोली जाती है, हमारे इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यही कारण है कि लोग इसे बहुत जोश और उत्साह के साथ मनाते हैं।

हिंदी भाषा में अविश्वसनीय योगदान देने वाले नागरिकों के योगदान को राष्ट्रपति राष्ट्रपति भवन में पुरस्कार देते हैं।

हर कोई, चाहे वह बच्चे हो या वयस्क, इस दिन को याद करें और हमारे पूर्वजों के प्रयासों और योगदानों को याद करें।

स्कूल और कॉलेज भी समारोह आयोजित करते हैं और अंतर-विद्यालय प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है।

गायन, वाक्, भाषण, निबंध लेखन और कविता पाठ जैसी सभी प्रतियोगिताएं हिंदी में होती हैं।

हिन्दी एक सुंदर भाषा है। इस दिन, लोग इसे आज की आधुनिक भाषाओं में से एक बनाने के इतिहास को याद करते हैं और हमारे देश की संस्कृति पर गर्व करते हैं।

For Quick Alerts
ALLOW NOTIFICATIONS  
For Daily Alerts

English summary
Hindi Diwas Speech In Hindi For Kids Students Teachers 2023: Hindi Diwas is celebrated every year on 14 September in India. Hindi language is the fourth most spoken language in the world. Various languages are spoken in India, but most of the Hindi language is spoken, written and read. Hindi Diwas was celebrated for the first time on 14 September 1953, this year we are celebrating 70th Hindi Diwas. India is called Hindustan because of being a Hindi nation. On Hindi Diwas, people wish each other Happy Hindi Diwas. Speech competitions are organized on Hindi Day, speech on Hindi Day and essay competition on Hindi Day are also organized in school and college. In such a situation, if you also want to write a speech on Hindi Diwas (Speech On Hindi Diwas 2023) or an essay on Hindi Diwas (Essay On Hindi Diwas), then we have come up with the best Hindi Diwas article for you. You can easily write a speech on Hindi Diwas by looking at the draft of speech on Hindi Diwas. Let us know how to write speech on Hindi Diwas (How To Write Hindi Diwas Speech 2023), essay on Hindi Diwas (How To Write Hindi Diwas Essay 2023) and article on Hindi Diwas (How To Write Hindi Diwas Article 2023)…
--Or--
Select a Field of Study
Select a Course
Select UPSC Exam
Select IBPS Exam
Select Entrance Exam
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
Gender
Select your Gender
  • Male
  • Female
  • Others
Age
Select your Age Range
  • Under 18
  • 18 to 25
  • 26 to 35
  • 36 to 45
  • 45 to 55
  • 55+