गुरु नानक देव जयंती 2022

8 नवंबर 2022 को सिखों के प्रथम गुरु,गुरु नानक देव जी की 553वीं जयंती मनाई जा रही है। सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी के पंजाबी भाषा में लिखे उपदेश, दोहे और कविताएं सभी लोगों के लिए प्र

8 नवंबर 2022 को सिखों के प्रथम गुरु,गुरु नानक देव जी की 553वीं जयंती मनाई जा रही है। सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी के पंजाबी भाषा में लिखे उपदेश, दोहे और कविताएं सभी लोगों के लिए प्रेरणादायक रही हैं। गुरु नानक जी को पंजाबी के साथ-साथ हिंदी, संस्कृत और फारसी भाषा का गहरा ज्ञान था।

गुरु नानक देव जयंती 2022

गुरु नानक देव सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले गुरु थे। उनकी जयंती प्रकाश पर्व या गुरु पर्व के रूप में मनाई जाती है। नानक जी का जन्म पाकिस्तान (पंजाब) में रावी नदी के किनारे स्थित तलवंडी नामक गांव में हुआ था। 1469 में कार्तिक पूर्णिमा के दिन इनका जन्म हुआ था। इस दिन को सिख धर्म में काफी उल्लास के साथ मनाया जाता है। इनका जन्म पिता कल्याण या मेहता कालू जी और मां तृप्ती देवी के घर हुआ। नानक जी ने हिंदू परिवार में जन्म लिया था।

सिख धर्म में मान्यता है कि बचपन से ही नानक देव जी विशेष शक्तियों के धनी थे। उन्हें अपनी बहन नानकी से काफी कुछ सीखने को मिला। 16 वर्ष की ही आयु में ही इनकी शादी सुलक्खनी से हो गई। सुलक्खनी पंजाब के (भारत) गुरदासपुर जिले के लाखौकी की रहने वाली थीं। इनके दो पुत्र श्रीचंद और लख्मी चंद थे। इन दोनों बच्चों के जन्म कुछ समय बाद ही नानक जी तीर्थयात्रा पर निकल गए। उन्होंने काफी लंबी यात्राएं की।

इस यात्रा में उनके साथ मरदाना, लहना, बाला और रामदास भी गए। 1521 तक उन्होंने यात्राएं की। इस यात्रा के दौरान वे सबको उपदेश देते और सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जागरुक करते थे। उन्होंने भारत, अफगानिस्तान और अरब के कई स्थानों का भ्रमण किया। इन यात्राओं को पंजाबी में "उदासियाँ" कहा जाता है।

गुरु नानक जी ने अपनी यात्राओं के दौरान कई जगह डेरा जमाया। उन्होंने समाजिक कुरितियों का विरोध किया। उन्होंने मू्र्ति पूजा को निर्थक माना और रूढ़िवादी सोच का विरोध किया। उन्होंने अपने जीवन का आखिरी समय पाकिस्तान के करतारपुर में बिताया। करतापुर सिखों का पवित्र धार्मिक स्थल है।

22 सितंबर, 1539 को गुरु नानक जी की मृत्यु हो गई, लेकिन उन्होंने अपने पीछे सिख धर्म के अनुयायियों के लिए अपने जीवन के तीन मूल सिद्धांत नाम जपो, कीरत करो और वंडा चखो बता गए। करतारपुर में गुरु नानक देव जी की दिव्य ज्योति जोत में समा गई। उन्‍होंने अपनी मृत्यु से पहले अपने शिष्य भाई लहना को उत्तराधिकारी बनाया, जो आगे चलकर गुरु अंगद देव कहालाए। वे सिखों के दूसरे रा गुरु माने जाते हैं।

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English summary
On 8 November 2022, the 553rd birth anniversary (Guru Nanak Jayanti 2022) of the first Guru of Sikhs, Guru Nanak Dev Ji, is being celebrated. The sermons, couplets and poems written in Punjabi language by Guru Nanak Dev Ji, the founder of Sikhism, have been inspirational for all people.
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