Guru Gobind Singh Jayanti 2022 Thoughts दस सिख गुरुओं में से अंतिम, गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म 1666 में, वर्तमान पटना में हुआ था। वह न केवल सिख धर्म के अनुयायियों द्वारा, बल्कि सभी भारतीयों द्वारा उनकी वीरता और ज्ञान के लिए गहराई से पूजनीय हैं। वह नौ वर्ष की आयु में सिंहासन पर आसीन हुए और उन्होंने 1708 तक अपनी मृत्यु तक सिख समुदाय का नेतृत्व किया।
चलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको गुरु गोबिंद सिंह जी के दोहे और अनमोल विचारों के बारे में बताते हैं।
गुरु गोबिंद सिंह जी के अनमोल विचार निम्नलिखित हैं।
- जो लोग गुरु के वचन के माध्यम से भगवान की पूजा और पूजा करते हैं, वे अपने सभी दर्द और कष्टों को भूल जाते हैं। -गुरु गोबिंद सिंह
- उसने हेमशा अपने अनुयायियों को आराम दिया है और हर समय उनकी मदद की है।- गुरु गोबिंद सिंह
- सेवक नानक भगवान के दास हैं, अपनी कृपा से, भगवान उनका सम्मान सुरक्षित रखते हैं। - गुरु गोबिंद सिंह
- हे ईश्वर मुझे आशीर्वाद दें कि मैं कभी अच्छे कर्म करने में संकोच ना करूं।- गुरु गोबिंद सिंह
- मैं उस गुरु के लिए न्योछावर हूँ, जो भगवान के उपदेशों का पाठ करता है।- गुरु गोबिंद सिंह
- ये मित्र संगठित हैं, और फिर से अलग नहीं होंगे, उन्हें स्वयम सृजनकर्ता भगवान् ने एक किया है।- गुरु गोबिंद सिंह
- जो लोग भगवान के नाम पर ध्यान करते हैं, वे सभी शांति और सुख प्राप्त करते हैं।- गुरु गोबिंद सिंह
- सबसे महान सुख और स्थायी शांति तब प्राप्त होती है जब कोई अपने भीतर से स्वार्थ को समाप्त कर देता है।- गुरु गोबिंद सिंह
- मृत्यु के शहर में, उन्हें बांध कर पीटा जाता है, और कोई उनकी प्रार्थना नहीं सुनता है।- गुरु गोबिंद सिंह
- दिन-रात, हमेशा ईश्वर का ध्यान करो। - गुरु गोबिंद सिंह
गुरु गोबिंद सिंह जी के मशहूर दोहे
-सतनाम वाहेगुरु
आप ही बीच आप ही खाओ
नानक हुक्मी आओ जाओ।
-गुरु बिना मुक्ति नहीं
बिना सतगुरु बेटे मुक्ति ना होई
सतगुरु बेटे नाम पाई न जाए।
-कई पैरान तो नंगे फिरते
सिरते लगदे छावा
मेनू दाता ने सब कुछ देता
क्यों ना शुक्र मनावा।
इसके अलावा गुरु गोबिंद सिंह की कही ये पंक्तियां आज भी लोगों में जोश और उर्जा का संचार करती हैं-
सवा लाख से एक लड़ाऊं,
चिड़ियन ते मैं बाज तुड़ाऊं,
तबै गुरु गोबिंद सिंह नाम कहाऊं।।
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