भारत पाकिस्ताने के विभाजन के हक में भारत के कई लोग नहीं थे। इसका विरोध करन वालों ने भी एक समय के बाद विभाजन को स्वीकार कर लिया था। भारत विभाजन का सबेस ज्यादा विरोध गांधी जी द्वारा किया गया था। वह कभी भी विभाजन के पक्ष में नहीं। गांधी जी ने भारत की स्वतंत्रता के लिए कई शांतिपूर्ण और अहिंसक आंदोलनों की शुरुआत की। इन आंदोलनों ने भारत के कई व्यक्तियों को प्रभावित किया और वह सभी लोग इसमें शामिल हुए। कांग्रेस में शामिल कई नेता ऐसे थे, जो गांधी जी से प्रभावित होकर कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए। भारत के कई इतिहासकारों का मानना है कि वह विभाजन गांधी जी की वजह से हुआ है और वहीं कुछ इतिहासकारों का मानना है की गांधी जी ने विभाजन का विरोध किया था। विभाजन के दौरान हुए सांप्रदायिक दंगों ने भी विभाजन को एक नया मोड़ दिया। जिस विभाजन को रोकने का प्रायास कई नेताओं द्वारा किया जा रहा था, दंगों और खुन खराबे की के कारण विभाजन रातों रात हुआ और लौहार में रहे हुए हिंदूओं को अपना अपना घर छोड़ कर जान बचाने के लिए भारत आना पड़ा। आइए जानते है गांधी के पाकिस्तान नजरिए के बारे में-
गांधी जी का विभाजन पर नजरिया
मुख्य तौर पर देखा जाए तो जिन्ना थे जो दो राष्ट्र सिद्धांत के पक्ष में थे। वह हिंदूओं के लिए एक राष्ट्र और मुस्लिमों के लिए एक अलग राष्ट्र की मांग करते थे। विभाजन उनकी बड़ी महत्वाकांशाओं का ही एक अंजाम है। जब भारत की आजादी का समय आया और प्राधानमंत्री के पद की बात हुई उस समय जिन्ना ने प्रधानमंत्री बनने की इच्छा जताई और गांधी जी यहां नेहरू को प्रधानमंत्री बनाना चाहते थे। वह नेहरू के कार्यों और उनके व्यवहार से बहुत प्रभवित थे। जिन्ना मुस्लमानों को लिए अलग राष्ट्र चाहते थे विभाज के विरोधी पर जिन्ना ने एक अलग मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचन प्रणाली की बात रखी। विभाजन को रोकने के लिए गांधी जी ने जिन्ना को प्रधानमंत्री बनाने की बात को भी स्वीकार कर लिया था। और अन्य कांग्रेस के बड़े नेता मौलाना आज़ाद और नेहरू के साथ अन्य कुछ नेताओं ने विभाजन को रोकने के लिए जिन्ना की दूसरी मांग पृथक निर्वाचन प्रणाली को स्वीकार कर लिया था। लगातार बड़ी जिन्ना की महत्वकांशाओं को देखते हुए गांधी जी ने जिन्ना के प्रधानमंत्री बनने की बात को वापस लिया। एक समय बाद नेहरू ने भी विभाजन का पक्ष लिया।
बाद में विभाजन योजना को स्वीकार करने के लिए सीडब्ल्यूसी की बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में केवल दो व्यक्ति थे जो विभाजन से असंतुष्ट थे, और ये बात कमाल की है वह दोनों ही मुस्लिम थे। विभाजने के विरोध में खान अब्दुल गफ्फार खान ने घोषणा कहा की - "आप [कांग्रेस] ने हमें भेड़ियों के हवाले कर दिया है"। मौलाना आज़ाद भी जिन्ना और मुस्लिम लीग के आलोचक थे और वह विभाजन के विरोध में थे, लेकिन नेहरू से अपनी मित्रता के कारण नेहरू वह चुप रहे। विभाजन प्रस्ताव के लिए वोट किए जाने पर प्रसाद और गोविंद बल्लभ पंत समेत सभी ने देश को बांटने के पक्ष में वोट किया।
गांधी जी ने विभाजन को रोकने के लिए अंत तक प्रयास करें । 1946 के समय तक जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल ने गांधी से बिना विचार विमर्श के विभाजन के विचार को स्वीकार कर लिया था और कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने देश को विभाजित करने की माउंटबेटन योजना को स्वीकार किया। सरदार पटेल ने विभाजन के प्रसाताव पर स्वीकृति दी और बाद में इस पर कहा की- "यदि भारत को एकजुट रहना है तो इसे विभाजित किया जाना चाहिए" वह पहले इसके समर्थन में नहीं थे। लेकिन दिन पर दिन खराब होती स्थिति को देखते हुए उन्होंने इस विभाजन को स्वीकार किया। क्योंकी भारत को एकजुट रखना उनका मुख्य उद्देश्य था।
जून 1947 में विभाजन की घोषणा पर गांधी जी ने राजेंद्र प्रसाद से कहा कि- "मुझे इस योजना में केवल बुराई दिखाई दे रही है।" गांधी जी ने विभाजन का विरोध किया उसके लिए अनशन भी किए।
स्थिती को देखते हुए पटेल और राज्य सचिव वी.पी. मेनन ने भी विभाजन की आवश्यकता को दिसंबर तक स्वीकार कर लिया था और नेहरू को इसका संकेत दिया था। पटेल विभाजन के समर्थन में नहीं थे लेकिन भारत की एकजुटता को बनाए रखने के लिए उन्होंने भी इस स्वीकरा किया। अंत तक में नेहरू को भी विश्वास हो गया था कि जिन्ना के उपद्रव मूल्य को बेअसर करने और एक मजबूत और केंद्रीकृत भारतीय राज्य स्थापित करने के लिए विभाजन आवश्यक है।
शुरू से अंत तक गांधी जी ने अनशन वार्तालाप आदि के माध्यम से विभाजन को रोकने का प्रयत्न किया पर वह इसमें सफल नहीं हो पाए। गांधी ने विभाजन पर अपने विचार रखते हुए कहा कि सभी समुदायों के लोगों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है, चाहे वे मुस्लिम हों, सिख हों या हिंदू हों। "मांग स्वीकरा की गई है क्योंकि आपने इसकी मांग की थी। कांग्रेस ये मांग नहीं की थी। लेकिन कांग्रेस लोगों की नब्ज महसूस की। महसूस किया कि खालसा और हिंदुओं भी यही चाहते थें।"