Pongal Essay In Hindi पोंगल पर निबंध हिंदी में

Essay On Pongal Speech 10 Lines In Hindi English पोंगल का त्योहार 14 जनवरी से 17 जनवरी तक मनाया जाता है। पोंगल मुख्य रूप से दक्षिण भारत में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

By Careerindia Hindi Desk

Essay On Pongal Speech 10 Lines In Hindi English पोंगल का त्योहार 14 जनवरी से 17 जनवरी तक मनाया जाता है। पोंगल मुख्य रूप से दक्षिण भारत में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। पोंगल कृषि से जुड़ा पर्व है, जो किसानों को समर्पित है। पोंगल का त्योहार चार दिन तक मनाया जाता है। पोंगल पर किसान पुरानी फसल को काटते हैं और भगवान सूर्य देव को भोग लगाते हैं। पंगल पर बच्चों से लेकर बड़े तक नई फसल लगाते हैं। स्कूलों में छात्रों को पोंगल पर निबंध, भाषण और लेख लिखने के लिए दिया जाता है। ऐसे में यदि आपको भी पोंगल पर निबंध लिखना है तो करियर इंडिया आपके लिए सबसे बेस्ट पोंगल पर निबंध ड्राफ्ट आईडिया लेकर आया है, जिसकी मदद से छात्र आसानी से पोंगल पर निबंध लिख पढ़ सकते हैं।

पोंगल पर निबंध हिंदी में (Essay On Pongal In Hindi)

पोंगल पर निबंध
हर साल 14 जनवरी से 17 जनवरी तक मनाया जाने वाला पोंगल को मुख्य रूप से किसानों के त्योहार माना जाता है। दक्षिण भारत में लोग पोंगल का त्योहार मनाते हैं। यह पर्व चार दिनों तक मनाया जाता है। चार दिवसीय यह उत्सव कृषि से जुड़े किसानों को समर्पित है। पोंगल त्योहार के दिन भगवान सूर्य को चढ़ाए गए प्रसाद को पोंगल कहा जाता है, इसलिए इसका नाम पोंगल पड़ा। तमिलनाडु में पोंगल का जश्न फसलों की कटाई के साथ शुरू होता है और अंतिम दिन सभी लगो एक साथ बैठकर खाना खाने के साथ समाप्त होता है। विशेष रूप से यह एक फसल उत्सव है। जिसमें चारों दिन का अलग-अलग महत्व है।

पोंगल का महत्व
पोंगल एक फसल उत्सव है, जिसे 14 जनवरी से 17 जनवरी तक मनाया जाता है। यह तमिलनाडु के लोगों का प्रमुख त्योहार है। इस दिन लोग भगवान को चावल का खिचड़ा बनाकर भोग लगाते हैं और घर के आंगन को सजाते हैं। सभी नए नए वस्त्र धारण करते हैं और भजन संध्या गाते हैं। त्योहार का आनंद लेते हुए किसान खूब नाचते हैं।

पोंगल का इतिहास
पोंगल तमिलनाडु का एक प्राचीन त्योहार है। हरियाली और समृद्धि को समर्पित पोंगल त्योहार पर भगवान सूर्य देव जी की पूजा की जाती है। भगवान को चढ़ाए जाने वाले प्रसाद को पोंगल कहा जाता है। इसी कारण इस पर्व का नाम पोंगल पड़ा। पोंगल का इतिहास 200 से 300 ईसा पूर्व का है। संस्कृत पुराणों में भी पोंगल पर्व का उल्लेख मिलता है। पोंगल पर्व से कुछ पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हुई हैं। जिसमें भगवान शिव और बसव की कथा सबसे महत्वपूर्ण है।

पोंगल का उत्सव
पोंगल का त्योहार चार दिनों तक मनाया जाता है। यह त्योहार हिंदू धर्म के साल भर चलने वाले त्योहारों में से एक माना जाता है। इस दिन किसान अपनी फसल को भगवान को समर्पित करता है। पोंगल तमिल शब्द से बना है जिसका अर्थ होता है उबालना। किसान इस दिन अपनी फसल चावल को उबालकर पकाकर भगवान को अर्पित कर देते हैं। इसके अलावा तमिलनाडु में खाना पकाने के लिए फसलों की कटाई भी की जाती है। तमिल कैलेंडर के अनुसार, पोंगल वाला महिना सबसे महत्वपूर्ण महिना होता है। यह त्योहार मानव को मौसमी चक्र का अनुभव करने का पर्व है।

पोंगल कैसे मनाया जाता है
पोंगल का त्यौहार दक्षिण भारत में बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों को सजाते हैं। लोग सामूहिक भोजन करते हैं और एक दूसरे को पोंगल की शुभकामनाएं देते हैं। इस दिन लोग भगवान सूर्य की पूजा करते हैं।

पोंगल महोत्सव के चार दिनों का महत्व
पोंगल चार दिवसीय त्योहार है। पोंगल त्योहार के ये चार दिन महत्वपूर्ण हैं। पहला दिन है बोंगी पोंगल, दूसरा दिन सूर्य पोंगल, तीसरा दिन मट्टू पोंगल और चौथा दिन कानुम पोंगल है।

1. पोंगल का पहला दिन
पोंगल का पहला दिन भोगी पोंगल है। इस दिन लोग अपने घरों में मिट्टी के बर्तनों पर कुमकुम और स्वास्तिक लगाते हैं। इस दिन घर में साफ-सफाई की जाती है। पोंगल त्योहार के पहले दिन भगवान इंद्र की पूजा की जाती है। भगवान इंद्र वर्षा के देव हैं, उनसे अच्छी फसल की कामना करते हैं और उनका धन्यवाद करते हैं। भगवान से प्रार्थना करते हैं कि देश में धन और सुख की समृद्धि बनी रहे। इस दिन गाय का गोबर और लकड़ी जलाई जाती है। महिलाएं नृत्य करती हैं और भगवान के गीत गाती हैं।

2. पोंगल का दूसरा दिन
पोंगल का दूसरा दिन सूर्य पोंगल है। सूर्य पोंगल के दिन घर का सबसे बड़ा सदस्य सूर्य देव के भोग के लिए पोंगल बनाता है। फिर सूर्य देव को अन्य वस्तुओं के साथ पोंगल अर्पित किया जाता है। पोंगल को मिट्टी के बर्तन में चावल और पानी डालकर बनाया जाता है। इस तरह से पके चावल को पोंगल कहते हैं। सूर्य पोंगल पर लोग पारंपरिक कपड़े पहनते हैं। सूर्य पोंगल के दिन लोग कोल्लम चावल बनाते हैं। सूर्य देव से सदैव धन, धान और समृद्धि बनाए रखने के लिए प्रार्थना की जाती है। अनुष्ठान में जिस बर्तन में चावल उबाला जाता है, उसके चारों ओर एक हल्दी का पौधा बांधा जाता है।

3. पोंगल का तीसरा दिन
पोंगल के तीसरे दिन को मट्टू पोंगल के नाम से जाना जाता है। मट्टू पोंगल के दिन गाय की विशेष पूजा की जाती है। गाय को सजाया जाता है, गले में घंटियां बांधी जाती है और फूलों की माला से सजाया जाता है। इसके बाद लोग गाय की पूजा करते हैं। गाय को किसान के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। गाय किसान को दूध और खाद देती है। इस दिन गायों को पोंगल खिलाया जाता है। गाय फसल की सिंचाई से लेकर पौधे की कटाई तक किसान की मदद करती है। मट्टू पोंगल पर गांवों में हर किसान समुदाय अपने बैल की पूजा करता है। घरों में स्वादिष्ट मिठाइयां बनाई जाती हैं।

4. पोंगल का चौथा दिन
कानुम पोंगल, पोंगल का चौथा दिन है। इस दिन सभी लोग एक साथ रहते हैं और एक साथ भोजन करते हैं। इस दिन लोग हल्दी के पत्तों को धोते हैं, मिठाई, चावल, गन्ना और सुपारी के साथ भोजन परोसते हैं। इस दिन लोग बड़े लोगों का आशीर्वाद लेते हैं और छोटों को प्यार और उपहार देते हैं। इस दिन को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं अपने भाइयों तेल से आरती करती हैं और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हैं।

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English summary
Essay On Pongal Speech 10 Lines In Hindi English : The festival of Pongal is celebrated from January 14 to January 17. Pongal is mainly celebrated in South India. Pongal is a festival related to agriculture, which is dedicated to farmers. The festival of Pongal is celebrated for four days. On Pongal, farmers cut the old crop and offer Pongal to Lord Sun God. From children to elders, new crops are planted on the Pongal. In schools, students are given to write essays, speeches and articles on Pongal.
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