Dusshera Speech in Hindi: दशहरा, अर्थात नवरात्रि का आखिरी दिन। कई प्रांतों में जहां के लोग नवरात्रि के त्योहार को दुर्गा पूजा भी कहते हैं वहां दशहरा को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है। नवरात्रि के आखिरी दिन दशहरा का पर्व मनाया जाता है। दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह त्योहार हर साल अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है।
इस दिन भगवान राम ने रावण का वध कर बुराई पर विजय प्राप्त की थी। यह पर्व हमें सिखाता है कि सत्य और धर्म की जीत अवश्य होती है। यहां पर छात्रों के लिए दशहरा पर भाषण दिए गए हैं। छात्र अपनी आवश्यकता के अनुसार वे अपनी कक्षा में प्रस्तुत कर सकते हैं।
100, 200, 300 और 500 शब्दों में दशहरा पर भाषण कैसे लिखें?
यह पर्व बच्चों के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे उन्हें हमारी सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक मान्यताओं के बारे में जानने का मौका मिलता है। यहां हम स्कूल के छात्रों के लिए दशहरा पर चार अलग-अलग भाषण प्रस्तुत कर रहे हैं। दशहरा पर यदि आप भी स्कूल में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेना चाहते है और दशहरा पर भाषण देना चाहते हैं तो यहां 100, 200, 300 और 500 शब्दों में दिए गए दशहरा पर भाषण प्रारूप देख सकते हैं।
100 शब्दों में दशहरा पर भाषण
नमस्कार,
यहां उपस्थित सभी अध्यापक और गणमान्य अतिथियों को मेरा नमस्कार! आज मैं अनीता यहां दशहरा के पावन अवसर पर कुछ बोलने के लिए उपस्थित हुआ हूं। दशहरा हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है। इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान राम ने रावण को पराजित कर अपनी पत्नी सीता को मुक्त कराया था। दशहरे का पर्व हमें यह सिखाता है कि चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ आएं, सत्य और धर्म की जीत होती है। यह पर्व हर साल रामलीला और रावण दहन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने बुरे विचारों और आदतों को छोड़ने का संकल्प लेते हैं। दशहरा हमें जीवन में सच्चाई और अच्छाई के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
धन्यवाद!
200 शब्दों में दशहरा पर भाषण
सभी को नमस्ते
आज दशहरा के शुभ अवसर पर मुझे बहुत खुशी हो रही है कि आप सबके सामने मां दुर्गा और दशहरा के त्योहार पर मुझे कुछ बोलने का अवसर मिला है। दशहरा या विजयदशमी, भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। हिंदू धर्म के अनुसार, इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया और माता सीता को लंका से मुक्त कराया।
दशहरे का संदेश स्पष्ट है। ये हमें अपने जीवन में किसी भी स्थिति में सत्य, धैर्य और ईमानदारी का पालन करना चाहिये। रामलीला के आयोजन और रावण दहन की परंपरा दशहरे का मुख्य आकर्षण होती है, जिसमें बुराई के प्रतीक रावण का पुतला जलाया जाता है। यह पर्व केवल धार्मिक महत्व ही नहीं रखता, बल्कि समाज में नैतिकता और सद्गुणों का भी प्रसार करता है। हमें दशहरे से यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपने जीवन में भी बुराईयों को छोड़कर अच्छाई के मार्ग पर चलना चाहिये।
धन्यवाद!
300 शब्दों में दशहरा पर भाषण
सुप्रभात,
आज दशहरा के इस पवित्र त्योहार को मनाने के लिए हम सब यहां एकत्र हुए हैं। मैं आज बहुत खुश हूं कि मुझे दशहरा पर और इस त्योहार के बारे में दो शब्द कहने का मौका मिला है।
दशहरा को विजयदशमी के नाम से भी संबोधित किया जाता है। भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाने वाला त्योहार है। यह त्योहार अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था और माता सीता को उसके बंदी से मुक्त कराया था। दशहरा का पर्व हमें यह सिखाता है कि चाहे कितनी भी बड़ी बाधा क्यों न हो, सत्य और धर्म की जीत होती है।
दशहरे के अवसर पर रामलीला का आयोजन होता है। इसमें भगवान राम की कथा को नाटकीय रूप में प्रस्तुत किया जाता है। इसके साथ ही रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन भी किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह पर्व हमारे जीवन में नैतिक मूल्यों और आदर्शों को स्थापित करने की प्रेरणा देता है। बच्चों को दशहरे से यह सीख लेनी चाहिये कि हमें अपने जीवन में बुराईयों से दूर रहना चाहिये और सच्चाई के मार्ग पर चलना चाहिये। यह त्योहार हमें समाज में प्रेम, सद्भाव और समानता का संदेश भी देता है।
500 शब्दों में दशहरा पर भाषण
नमस्कार,
यहां उपस्थित बड़े गुरुजनों को मेरा नमन और साथियों को मेरा स्नेह। मुझे बेहद खुशी है कि आज दशहरा के पावन अवसर पर मुझे यहां कुछ बोलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
नवरात्रि के आखिरी दिन दशहरा या विजयदशमी का त्योहार मनाया जाता है। दशहरा, भारत का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह त्योहार हिंदू धर्म में अत्यधिक श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। दशहरे का मुख्य संदेश है कि हमें अपने जीवन में सत्य और धर्म का पालन करना चाहिये, क्योंकि अंततः अच्छाई की ही जीत होती है।
दशहरा मनाने की परंपरा रामायण के उस प्रसंग से जुड़ी है जब भगवान राम ने रावण का वध कर अपनी पत्नी सीता को मुक्त कराया था। रावण एक शक्तिशाली राजा था। रावण ने अपनी शक्ति और अहंकार के कारण माता सीता का अपहरण किया था। भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण और भक्त हनुमान के सहयोग से रावण का सामना किया और उसे पराजित किया। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि चाहे शत्रु कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, सत्य और न्याय की जीत अवश्य होती है।
दशहरे का पर्व देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। उत्तर भारत में रामलीला का आयोजन होता है, जिसमें रामायण की कथा का नाटकीय रूप से मंचन किया जाता है। इसके बाद कई प्रांतों में बुराई के प्रतीक स्वरूप रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन किया जाता है। दक्षिण भारत में इस दिन देवी दुर्गा की पूजा की जाती है और इसे "अपराजिता पूजन" के नाम से भी जाना जाता है।
दशहरा केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह पर्व हमें नैतिक और सामाजिक मूल्यों की भी शिक्षा देता है। यह हमें सिखाता है कि हमें अपने जीवन में किसी भी प्रकार की बुराई या नकारात्मकता को दूर कर सच्चाई और अच्छाई के मार्ग पर चलना चाहिये। छात्रों को दशहरे से यह सीखना चाहिये कि जीवन में कठिनाइयों का सामना धैर्य, साहस और सच्चाई के साथ करना चाहिये।
धन्यवाद!