Aditya L1 Mission Short Essay In Hindi: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा चंद्रयान 3 की सफल लॉन्चिंग और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग के बाद अब पूरी दुनिया की नजरें इसरो के अगले मिशन यानी सोलर मिशन पर है। इसरो के सोलर मिशन या आदित्य एल1 की लॉन्चिंग आंध्र प्रदेश स्थित श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से की जायेगी।
भारत के पहले सूर्य मिशन या सोलर मिशन की लॉन्चिंग 2 सितंबर 2023 को सुबह 11 बज कर 50 मिनट पर निर्धारित है। इसके सफल लॉन्चिंग के साथ ही इसरो के नाम एक और कीर्तिमान जुड़ जायेगा। भारत और भारतवासियों के लिए ये बड़े ही गर्व की बात है कि अब भारत चांद और सूरज दोनों पर अध्ययन करने वाले देशों में शामिल हो जायेगा।
जिस प्रकार भारत के चंद्रमा या लूनार मिशन को लेकर लोगों में उत्सुकता थी ठीक उसी प्रकार लोगों में सूर्य या सोलर मिशन को भी लेकर उत्सुकता बनी हुई है। यह मिशन भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है इसलिए इस मिशन को लेकर भारत के विभिन्न प्रांतों के स्कूली बच्चों को सोलर मिशन पर निबंध लिखने के लिए कहा जा सकता है। स्कूली बच्चों के लिए आदित्य एल 1 पर निबंध लिखने में हम आपकी मदद करेंगे। आइए इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि स्कूली बच्चें भारत के पहले सूर्य मिशन आदित्य एल 1 पर निबंध कैसे लिख सकते हैं?
1. आदित्य एल 1 मिशन पर निबंध (Aditya L1 Mission Short Essay In Hindi)
सूर्य, सौरमंडल का सबसे निकटतम तारा और सबसे बड़ा पिंड है। सूर्य की अनुमानित आयु लगभग 4.5 अरब वर्ष है। यह हाइड्रोजन और हीलियम गैसों की एक गर्म चमकती गेंद है। पृथ्वी से सूर्य की दूरी लगभग 150 मिलियन किलोमीटर है। सूर्य पर कई वर्षों से दुनिया भर के वैज्ञानिक अनुसंधान चला रहे हैं, लेकिन अब तक कोई खास जानकारी हासिल नहीं की जा सकी है। सूर्य पर अध्ययन करने वाले विभिन्न देशों की श्रेणी में अब भारत भी अपना स्थान सुनिश्चित करने जा रहा है।
2 सितंबर 2023 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा सूर्य पर अध्ययन करने के उद्देश्य से अपने पहले सूर्य या सोलर मिशन आदित्य एल 1 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। भारत का सूर्य मिशन कई अध्ययन करने के लिए तैयार किया गया है। इसे अपने निर्दिष्ट स्थान यानी लैगरेंज 1 तक पहुंचने में कम से कम चार महीने का समय लगेगा। इस स्थान से आदित्य एल 1 सूर्य का विभिन्न पहलुओं पर अपना अध्ययन करेगा।
2. आदित्य एल 1 मिशन पर निबंध (Aditya L1 Mission Essay In Hindi)
सूर्य हमारे सौर मंडल के लिए ऊर्जा का स्रोत है। सौर ऊर्जा के बिना पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व संभव नहीं हो सकता। सूर्य का गुरुत्वाकर्षण सौर मंडल की सभी वस्तुओं को एक साथ बांधे रखता है। आदित्य-L1 मिशन भारत का पहला सूर्य मिशन है। 2 सिंतबंर 2023 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से आदित्य एल 1 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया।
पृथ्वी से लगभग 15 लाख किमी दूर एल 1 अर्थात लैगरेंज 1 प्वाइंट पर आदित्य को स्थापित किया जायेगा। इसे वहां तक पहुंचने में चार माह का समय लगने का अनुमान है। सूर्य के मध्य क्षेत्र में तापमान 15 मिलियन डिग्री सेल्सियस तक पहुँच सकता है। इसे 'कोर' के नाम से जाना जाता है। इस तापमान पर, कोर में परमाणु संलयन नामक एक प्रक्रिया होती है, जो सूर्य को शक्ति प्रदान करती है। सूर्य की दृश्य सतह, जिसे प्रकाशमंडल के नाम से जाना जाता है, अपेक्षाकृत ठंडी है और इसका तापमान लगभग 5,500° सेल्सियस है।
सूर्य मिशन आदित्य एल 1, सूर्य के ऊपरी वायुमंडल के गतिकी का अध्ययन किया जायेगा। इसके साथ ही सूर्य के क्रोमोस्फीयर और कोरोना की हीटिंग, आंशिक रूप से आयनित प्लाज्मा के भौतिकी, कोरोनल मास इजेक्शन और फ्लेयर्स की शुरुआत का अध्ययन किया जायेगा। आदित्य एल 1 मिशन सौर कोरोना में चुंबकीय क्षेत्र टोपोलॉजी और चुंबकीय क्षेत्र को भी मापेगा। आदित्य एल 1 में कुल सात इंस्ट्रूमेंट्स यानी पेलोड लगाए गये हैं। इन सभी का अपना अलग-अलग कार्य है, जो इसरो के अध्ययन को पूरा करने में मदद करेगा।
3. आदित्य एल 1 मिशन पर निबंध (Aditya L1 Mission Essay In Hindi)
सूर्य के रहस्य अब तक अनसुलझे हैं। सूर्य पर विश्व के कई देशों ने अध्ययन किये लेकिन पूरी तरह से सफल नहीं हो पाये। सूर्य हमारे सौर मंडल का सबसे निकटतम तारा है। सूर्य हमारे सौर मंडल के केंद्र में स्थित हाइड्रोजन और हीलियम से युक्त एक चमकता तारा है। सूर्य की उम्र लगभग 4.5 अरब से भी ज्यादा है। यह पृथ्वी से लगभग 15 करोड़ किलोमीटर दूर है। ये हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा तारा है।
भारत ने सूर्य पर अध्ययन करने के लिए देश के पहले सौर मिशन आदित्य एल1 को 2 सितंबर 2023, शनिवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया।
आदित्य एल1 एक सोलर मिशन है, जिसके माध्यम से सूर्य का अध्ययन किया जायेगा। हालांकि चंद्रयान 3 की भांति यह सूर्य पर लैंड नहीं करेगा। पृथ्वी से यह अंतरिक्ष यान अपने निर्दिष्ट स्थान तक पहुंचने के लिए लगभग 15 लाख किमी की दूरी तय करेगा। अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैगरेंज बिंदु 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित करने की योजना है। पृथ्वी से सूर्य का ग्रैविटेशनल पुल 25 गुना ज्यादा है, ऐसे में आदित्य एल 1 को ऐसी जगह स्थापित करना होगा, जहां वह इस ग्रैविटेशनल पुल से बच सके।
पृथ्वी से 1.5 मिलीयन किमी दूर एक ऐसा प्वाइंट है, जिसे लैगरेंज प्वाइंट 1 कहते हैं। यहां पृथ्वी और सूर्य का ग्रैविटेशनल पुल संतुलित होता है। इसरो आदित्य एल 1 को इसी प्वाइंट पर स्थापित कर यहां से पृथ्वी के रेवोल्यूशन के साथ ही सूर्य का चक्कर लगाकर 24 घंटों तक सूर्य का अध्ययन करेगा। इस अध्ययन के तहत अपर एटमोसफियर सोलर डायनामिक्स का अध्ययन मुख्य होगा। दिलचस्प यह है कि सूर्य की परिक्रमा करते हुए आदित्य एल 1 को इस प्वाइंट पर किसी भी अत्यधिक फ्यूल की आवश्यकता नहीं होगी।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपनी अगली बड़ी परियोजना, आदित्य-एल1 मिशन, सूर्य की गतिशीलता और अंतरिक्ष मौसम की समझ में क्रांतिकारी बदलाव लायेगा। आदित्य-एल1 मिशन सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला-श्रेणी का भारतीय सौर मिशन है। इसे सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंजियन बिंदु (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जायेगा। सोलर मिशन आदित्य एल 1 को अपने निर्दिष्ट स्थान यानी लैंगरेंज प्वाइंट तक पहुंचने में कम से कम चार महीने का समय लगेगा।
सूर्य का अध्ययन करने के लिए आदित्य-एल1 में सात पेलोड लगाये गये हैं। इन सात पेलोड में से चार सूर्य से प्रकाश का निरीक्षण करेंगे और शेष तीन प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र के यथास्थान मापदंडों को मापेंगे। आदित्य-एल1 को लैग्रेंजियन प्वाइंट 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जायेगा, जो सूर्य की दिशा में पृथ्वी से 1.5 मिलियन किमी दूर है।