डिजिटलाइजेशन की ओर पूरा विश्व बढ़ रहा है। अपने कार्य को आसान करने के लिए लोग ऑफलाइन से ऑनलाइन की ओर रुख कर रहे हैं। जैसे ही देश में कोरोना ने दस्तक दी, विश्व और तेजी से डिजिटलाइजेशन की ओर बढ़ाने लगा. जिन कार्यों को लेकर पहले लोगों की सोच होती थी कि ये ऑफलाइन ही ठीक है अब उस काम को भी लोग ऑनलाइन पूरा कर रहे हैं। कोरोना काल के 1 साल 6 महीने के लॉकडाउन में सभी आवश्यक कार्य को ऑनलाइन करते-करते विश्व डिजिटल होने लगा है। डिजिटल होना एक साकारात्मक कदम है, लेकिन आप सभी जानते हैं कि इसमें डाटा चोरी होना, आपकी नीजिता का हनन जैसी कई चीजें शामिल हैं।
डाटा की गोपनियता सभी के लिए आवश्यक है, ऑनलाइन और डिजिटल तकनीकों पर बढ़ती निर्भरता को कम करने और उन पर एक बार पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। हम किस प्रकार का डाटा साझा कर रहे हैं, कहां कर रहे हैं और उसका नकारात्मक प्रभाव क्या-क्या हो सकते हैं, इसके बारे में जानना आवश्यक है। डाटा की सुरक्षा करने के लिए ही हर साल 28 जनवरी को डाटा गोपनीयता दिवस के रूप में मनाया जाता है ताकि ऑनलाइन डाटा की गोपनियता को बनाए रखा जा सके और इसका गलत तरह से प्रयोग न किया जा सके। डाटा गोपनीयता दिवस एक ऑनलाइनल सुरक्षा और गोपनियता अभियान का हिस्सा है जिसे स्टॉप, थिंक और क्नेकट (STOP, THINK and CONNECT) कहा जाता है। इसके माध्यम से साइबर सुरक्षा को महत्व दिया जाता है और साइबर क्राइम की रोकथाम के लिए कार्य किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों में डाटा गोपनीयता को लेकर जागरूकता पैदा करना है। आइए आपको इस दिवस के बारे में जानकारी दें।
डाटा गोपनीयता दिवस का इतिहास
सर्वप्रथम व्यक्तिगत डाटा की सुरक्षा की शुरुआत यूरोप से हुई थी। यूरोप में हुए एक कन्वेंशन में व्यक्तिगत डाटा के स्वत: प्रसंस्करण के संबंध में व्यक्तियों की सुरक्षा पर यूरोप की परिषद ने 28 जनवरी 1981 में इस पर हस्तारक्षर किए थे। नीजिता हर व्यक्ति का अधिकार है उसी तरह से डाटा की गोपनीयता भी व्यक्ति का अधिकार है। जिसको ध्यान में रखते हुए ही यूरोप ने डाटा गोपनीयता को मानव अधिकार का हिस्सा माना और इसे अनुच्छेद 8 के तहत संरक्षित करने का फैसला लिया।उसके बाद 2006 में यूरोप द्वारा ही यूरोपीय डाटा संरक्षण दिवस की शुरुआत की गई और इसे दिवस को मनाने के लिए 28 जनवरी की तिथि को ही चुना गया क्योंकि उसी दिन व्यक्तिगत डेटा के स्वत: प्रसंस्करण के संबंध में व्यक्तियों की सुरक्षा यूरोप परिषद ने हस्ताक्षर किए थे।
यूरोपीय डाटा संरक्षण दिवस के रूप में घोषित किए जाने के पूरे 3 साल बाद 27 जनवरी 2009 को संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा 28 जनवरी को डाटा गोपनीयता दिवस के रूप में घोषित किया गया और तब से आज तक इस दिवस को हर साल 28 जनवरी को मनाया जाता है। संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा इस दिवस की घोषणा हाउस रेजोल्यूशन एचआर 13 के माध्यम से 402-0 के मत से पारित किया गया।
इस घोषणा के बाद उसी साल यानी 2009 में 28 जनवरी को सीनेट ने सीनेट संकल्प 25 के तहत राष्ट्रीय डाटा गोपनीयता दिवस के रूप में मान्यता दी। डाटा गोपनीयता के महत्व को देखते हुए 2010 या 2011 को संयुक्त राज्य अमेरिका के सीनेट द्वारा इस दिवस को मान्यता प्राप्त हुई।
आज डाटा गोपनीयता हर देश और देश के नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण है। हाल ही के समय की बात करें तो विश्व डिजिटलाइजेशन की ओर तेजी से बढ़ रहा है इसे देखते हुए 2022 में द राइज ऑफ प्राइवेसी टेक ने डाटा गोपनीयता दिवस को मनाने के लिए डाटा गोपनीयता सप्ताह के रूप में विस्तृत किया।
डाटा गोपनीयता दिवस का महत्व
डाटा गोपनीयता दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को डाटा सुरक्षा को लेकर जागरूक करना है और व्यक्तिगत डाटा को संवेदनशील बनाना और उसकी गोपनीयता के सिद्धातों का प्रसार करना है। इसके साथ डाटा चोरी और साइबर क्राइम जैसी स्थिति को भी रोकना है। हमारा पर्सनल डाटा हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है और उसका गलत हाथों में जाना सबके लिए हानिकारक हो सकता है। इस स्थिति से बचने के लिए ही इस दिवस को मनाया जाता है ताकि लोगों में जन-जागरूकता पैदा की जा सके और गोपनीयता की संस्कृति को बनाए रखने के साथ-साथ अपनी गोपनीयता की जिम्मेदारियों को स्वीकारना और प्रोत्साहित करना है।
भारत में डाटा संरक्षण कानून
भारत में भी वर्ष 2018 से डाटा प्रोटेक्शन के लिए कार्य किया जा रहा है। डाटा संरक्षण का बात सबसे पहले न्यायमूर्ति के.एस पुट्टास्वामी बनाम भारत संघ के एतिहासिक निर्णय के दौरान आई थी। जहां न्यायमूर्ति श्रीकृष्ण की अध्यक्षता वाली कमेटी ने डाटा संरक्षण कानून लाने की सलाह दी थी। 2019 में डाटा संरक्षण विधेयक का ड्राफ्ट लोकसभा में पेश किया गया था। इस पर संयुक्त संसदीय समित द्वावा कुछ आवश्यक बदलावों की पेशकश की गई और उन्हें बदलावों का हवाला देते हुए उस विधेयक को वापस लिया गया था। बाद में साल 2022 में एक बार फिर डाटा संरक्षण विधेयक का ड्राफ्ट तैयार किया गया। भारत में डाटा संरक्षण कानून की बहुत आवश्यकता है। इसके माध्यम से बढ़े साइबर क्राइम और साइबर धोखाधड़ी को रोका जा सकता है। अन्य देशों की तरह भारत में भी डाटा संरक्षण कानून को अपनाया जा रहा है।
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