स्वतंत्रता आंदोलन में बंगाल का एक अहम योगदान रहा है। चाहे वो बात कलम के सिपाही की हो या फिर वीर क्रांतिकारियों की। बंगाल हर तरीके से सबसे आगे रहा है जिस वजह से भारतीय इतिहास में भी कलकत्ता का विशेष महत्व है। बता दें कि भारत की पहली राजधानी होने का गौरव भी कलकत्ता को ही प्राप्त है।
भारत की आजादी के लिए सिर्फ पुरुषों ने ही नहीं बल्कि महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जिसके चलते ही भारत को अंग्रेजों से 15 अगस्त 1947 के दिन आजादी मिली थी। चलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको बंगाल में जन्मी महिला स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में बताते हैं।
बंगाली महिला स्वतंत्रता सेनानियों की सूची
1. कल्पना दत्ता
कल्पना दत्ता (1913-1995) भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक कार्यकर्ता थी और सूर्य सेन के नेतृत्व में सशस्त्र स्वतंत्रता आंदोलन की सदस्य भी थी। सेन ने उन्हें और प्रीतिलता वद्देदार को चटगांव में यूरोपीय क्लब पर हमला करने का काम सौंपा। जिस हमले से एक हफ्ते पहले उस जगह का सर्वेक्षण करते हुए अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था और रिहाई के बाद वह भूमिगत हो गई थी।
2. सुहासिनी गांगुली
सुहासिनी गांगुली को छह साल (1932-1938) के लिए बंगाल आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम के तहत हिजली डिटेंशन कैंप में बंदी बना लिया गया था। अपनी रिहाई के बाद, उन्होंने भारत के कम्युनिस्ट आंदोलन में भाग लिया और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महिला मोर्चा से भी जुड़ी रहीं। गांगुली ने भारत छोड़ो आंदोलन में भाग नहीं लिया लेकिन कांग्रेस पार्टी के अपने सहयोगियों की सहायता की थी। जिसके बाद भारत छोड़ो आंदोलन के एक कार्यकर्ता हेमंत तराफदार को आश्रय देने के लिए उन्हें 1942 और 1945 के बीच फिर से हिरासत में लिया गया था।
3. सरोजिनी नायडू
सरोजिनी चट्टोपाध्याय (1879-1949) एक प्रसिद्ध भारतीय राजनीतिक कार्यकर्ता और कवि थी। उन्होंने 19 साल की उम्र में पैदीपति गोविंदराजुलु नायडू से शादी की। वह महिलाओं की मुक्ति, साम्राज्यवाद विरोधी विचारों और नागरिक अधिकारों की भी हिमायती थी। ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में नायडू एक प्रमुख व्यक्तित्व थी। वह 1905 में बंगाल के विभाजन के मद्देनजर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुई थी। सरोजिनी ने कार्यकर्ता के रूप में भारत के विभिन्न हिस्सों की यात्रा की और महिलाओं की मुक्ति, सामाजिक कल्याण और राष्ट्रवाद की आवश्यकता पर भाषण दिए। उन्होंने 1917 में महिला भारतीय संघ (WIA) की स्थापना में एक बड़ा योगदान दिया।
4. मातंगिनी हाजरा
क्रांतिकारी मातंगिनी हाजरा उन्हें प्यार से गांधी बरी या 'बूढ़ी औरत गांधी' भी कहा जाता था। हाजरा ने सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लिया और नमक अधिनियम तोड़ने के आरोप में गिरफ्तार हो गए। रिहा होने के बाद, उन्होंने कर समाप्त करने का विरोध किया। बाद में, मातंगिनी हाजरा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सक्रिय सदस्य बन गई थी।
5. सुचेता कृपलानी
सुचेता कृपलिनी (1908-1974) एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ थी। सुचेता का जन्म बंगाली भ्राम्हो परिवार में हुआ था और उनका विवाह जे बी कृपलानी नामक व्यक्ति से किया गया था। उन्होंने 1963 से 1967 तक उत्तर प्रदेश की प्रमुख के रूप में कार्य किया और भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त किया। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान कृपलानी सबसे आगे आई थी और बाद में विभाजन के दंगों के दौरान महात्मा गांधी के साथ भी उन्होंने काम किया था। वह संविधान सभा के लिए चुनी गई कुछ महिलाओं में से थीं और भारतीय संविधान के चार्टर को निर्धारित करने वाली उपसमिति का भी हिस्सा थीं।