August Kranti: कैसे हुई थी अगस्त क्रांति की शुरुआत, गांधी जी ने दिया था ये नारा

August Kranti: भारत को स्वतंत्रता दिलवाने के लिए कई लड़ाई लड़ी गई है और कई अन्य आंदोलनों की शुरुआत की गई थी। उन्हीं में से एक है 'अगस्त क्रांति', जिसे आजादी की लड़ाई के अंतिम आंदोलन के रूप में देखा जाता है। इसका एक दूसरे नाम 'भारत छोड़ो आंदोलन' (Quit India Movement) से भी जाना जाता है। ये वही आंदोलन था, जिसमें गांधी जी ने 'करो या मरो' का नारा दिया था।

August Kranti: कैसे हुई थी अगस्त क्रांति की शुरुआत, गांधी जी ने दिया था ये नारा

अगस्त क्रांति के दौरान गांधी जी ने पूरे भारत के युवाओं का आह्वान किया था और उन्हें आजादी की लड़ाई में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया था। लेकिन भारत छोड़ो आंदोलन का नाम अगस्त क्रांति कैसे पड़ा ये जानना बेहद जरूरी है।

भारत छोड़ो आंदोलन को क्यों कहा गया अगस्त क्रांति

भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत मुंबई से 9 अगस्त 1942 में की गई थी। अगस्त में शुरू होने के कारण इस अगस्त क्रांति के नाम से जाना गया। यहां तक की मुंबई के जिस पार्क से इस क्रांति की शुरुआत हुई थी उसे भी अगस्त क्रांति का नाम दिया गया।

क्यों छेड़ा गया था ये आंदोलन

भारत में आजादी के लिए कई आंदोलन किए गए थे। लेकिन ये वो आंदोलन था, जिसमें गांधी जी ने 'करो या मरो' का नारा दिया था। ऐसी स्थिति में ये जानना आवश्यक है कि भारत छोड़ो आंदोलन या अगस्त क्रांति की शुरुआत कैसे हुई? इस क्रांति की शुरुआत के पीछे एक नहीं बल्कि कई कारण थी। आइए आपको बताएं...

दरअसल द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जब अंग्रेजो ने भारत का समर्थन मांगा था, लेकिन बिना किसी शर्त के भारतीयों को द्वितीय विश्व युद्ध में हिस्सा बनाने की ब्रिटिश धारणा के बारे में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अच्छी तरह से जानती थी। द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीय को समर्थन प्राप्त करने भारत में ब्रिटिश शासन को तत्काल प्रभाव से समाप्त किया जाएगा और अंग्रेजो की वापसी के बाद एक अस्थायी सरकार बनाई जाएगी। जिसे पूरा नहीं किया गया था।

August Kranti: कैसे हुई थी अगस्त क्रांति की शुरुआत, गांधी जी ने दिया था ये नारा

एक अन्य कारण क्रिप्स मिशन बना, जिसमें स्टैफोर्ड क्रिप्स के तहत एक नए संविधान और स्वशासन के भारतीय के प्रश्नों को हल करने के लिए भेजा गया था, जिसे नकार दिया गया था। ये मिशन भारत को पूर्ण स्वतंत्रता नहीं बल्कि विभाजन के साथ भारत को डोमिनियन स्टेटस के साथ पेश कर रहा था।

अगस्त क्रांति का इतिहास

द्वितीय विश्व युद्ध में आजादी की मांग और क्रिप्स मिशन के कारण गांधी जी ने इस आंदोलन की शुरुआत करने का फैसला लिया। 4 जुलाई 1942 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने एक प्रस्ताव पारित किया था। उस प्रस्ताव के अनुसार यदि अंग्रेज भारत नहीं छोड़ते हैं तो उनके खिलाफ बड़े पैमाने पर नागरिक अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की जाएगी।

लेकिन इस प्रस्ताव को लेकर पार्टी दो हिस्सों में बटी थी, जिसमें से एक हिस्सा इस प्रस्ताव के पक्ष में था तो दूसरा हिस्सा इसके खिलाफ था। इस प्रस्ताव को लेकर पंडित जवाहरलाल नेहरू और मौलाना आजाद भी दुविधा में थे लेकिन गांधी जी के आह्वान से इसका समर्थन करने के लिए तैयार हो गए।

8 अगस्त 1942 में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के बंबई अधिवेशन में 'भारत छोड़ो आंदोलन' यानी अगस्त क्रांती को प्रस्तावित किया गया। गांधी जी ने युवाओं से इसमें हिस्सा लेने का आह्वान किया और 9 अगस्त को अगस्त क्रांती का एलान किया गया। ये सबसे बड़ा अहिंसक आंदोलन था, जिसका समर्थन सरदार वल्लभ भाई पटेल, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, अशोक मेहता और जयप्रकाश नारायण जैसे कई नेताओं ने खुल कर समर्थन किया।

गांधी जी की गिरफ्तारी के बाद आंदोलन

गांधी जी के भाषण के बाद बिना किसी ट्राइल और इंताजर के उन्होंने गांधी जी समेत इंडियन नेशनल कांग्रेस के सभी नेताओं को गिरफ्तार किया ताकि आंदोलन को हवा न लग सके, लेकिन फिर भी आंदोलन ने गति पकड़ी और पूरे भारत के लोगों ने इस आंदोलन में भाग लिया और इसे जोरो-शोरो से चलाया गया।

पूरे भारत में जुलूस निकाले गए, हड़ताल की गई थी, जिसके रोकने के लिए ब्रिटिश सरकार ने देश में आतंक का माहौल बनाया लेकिन तब भी आंदोलन नहीं रुका और चलता रहा। अगस्त क्रांति पूरे दो साल तक चली। इस क्रांति को रोकने के लिए ब्रिटिश सरकार ने लाठीचार्ज, फायरिंग और लोगों की गिरफ्तारी भी करनी शुरू कर दी थी।

लेकिन भारत में कुछ स्थानों पर आंदोलन ने हिंसा का रूप ले लिया। प्रदर्शनकारियों ने सरकारी भवनों और रेलवे लाइनों पर हमला कर उसे क्षतिग्रस्त किया। इस आंदोलन को रोकने के लिए करीब 60,000 आंदोलनकारियों को जेल में डाला गया और हिंसा के दौरान कई लोगों की जान भी गई।

क्या था अगस्त क्रांति की असफलता का कारण

अगस्त क्रांति जिसकी शुरुआत अहिंसा के साथ हुई थी, ने एक समय पर हिंसा का रूप ले लिया था। भारत के कुछ स्थानों में हिंसा की शुरुआत हो गई थी। ये एक महत्वपूर्ण कारण था, जिस कारण भारत छोड़ो आंदोलन असफल हो गया। आंदोलन के हिंसा में बदलने के कारण लगभग 30 लाख लोगों की जान गई। 1944 में जैरी ही गांधी जी जेल से रिहा हुआ, वह 21 दिन के उपवास में बैठ गए।

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English summary
August Kranti: Many battles have been fought to get India freedom and many other movements were started. One of them is the 'August Kranti', which is seen as the last movement of the freedom struggle. It is also known by another name 'Quit India Movement'. This was the same movement, in which Gandhiji had given the slogan of 'Do or Die'.
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