भारत के 11वें पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टबर 1931 में तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था। उन्होंने विज्ञान के साथ शिक्षा में भी बहुत बड़ा योगदान दिया है। उनके इस योगदान को भारत कभी नहीं भूला पाएगा। कलाम में स्कूल के दिनों से ही बहुत मेहनती और होनहार छात्र थे। उनके लिए शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण थी। उनमें चीजों को सीखने की इच्छी बहुत तीव्र थी और येही इच्छी उन्हें सफलता की ओर लेकर गई। अपनी स्कूली शिक्षा को पूरा कर कलाम ने सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली में उन्होंने भौतिक में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और फिर उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का अध्ययन किया। उनके बाद उन्होंने कई दशकों तक रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के साथ इसरो- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में भी कार्य किया और कई विकास प्रोजेक्टों का आविष्कार किया। बैलिस्टिक मिसाइल में उनके योदगान के लिए उन्हें मिसाइल मैन के नाम से जाना गया। इसके अलावा भी उन्होंने कई कार्यों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके बारे में हम आपको इस लेख के माध्यम से बताएंगे।
2002 में जब उन्हें भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में चुना गया तो उन्हें पीपुल्स प्रेसिडंट के रूप में जाना गया, क्योंकि उनको प्रेसिडेंट बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी दल राष्ट्रीय कांग्रेस दोनों ने समर्थन किया था। राष्ट्रपति के अपने 5 साल के कार्यकाल को पूरा कर उन्होंने शिक्षा और सर्वजनिक सेवा की तरफ वापसी की और इस क्षेत्र में अपनी अहम भूमिका निभाई। विज्ञान और शिक्षा में उनके कार्यों के लिए उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न के साथ कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की सबसे बड़ी उपलब्धि की बात करें तो वह मिसाइलों और परमाणु हथियारों को लेकर है, जिसके बारे में हम आज आपको बताने जा रहें। आइए जाने उनके द्वारा किए आविष्कारों के बारे में-
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा किए आविष्कार
1. नंदी, होवरक्राफ्ट
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का सबसे पहला आविष्कार नंदी, होवरक्राफ्ट था। ये होवरक्राफ्ट दोहरे इंजन से चलाया जा सकता था। इस होवरक्राफ्ट में दो व्यक्ति बैठ सकते थे और जमीन से 1 फुट ऊपर उठाया जा सकता था।
2. सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल
भारत के स्वदेशी सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल का सपना पूरा करने के लिए एपीजे अब्दुल कलाम ने 10 साल तक कड़ी महेनत की थी। इस व्हीकल के कारण ही जमीनी स्तर वैज्ञानिक विकास हुआ। जुलाई 1980 में एसएलवी III ने रोहिणई उपग्रह को पृथ्वी के ऑर्बेट में तैनात किया था। इससे भारत विशिष्ट स्पेस क्लब के संपर्क में आया और उनका सदस्य बन गया।
3. पोखरण 2
डॉ अब्दुल कलाम ने प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में कलाम ने कार्य किया था। उस समय काल में हुए परमाणु परीक्षाण में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। जुलाई 1992 में दिसंबर 1999 के दौरान पोखरण में हुआ परमाणु परीक्षण डॉ अब्दुल कलाम की देखरेख में किया गया था और उसी के बाद से उन्हें सर्वश्रेष्ठ परमाणु वैज्ञानिक रूप में जाना गया। पोखरण 2 परीक्षण 1998 में किया गया था जो 5 बम परीक्षण विस्फोटों की एस सीरिज थी। पहला पोखरण परमाणु परीक्षण 19974 में किया गया था जिसका कोड नाम- स्माइलिंग बुद्धा था। दुसरे पोरखरण परमाणु परीक्षा की सफलता के बाद भारत ने खुद को परमाणु-सशस्त्र देश के रूप में घोषित किया।
4. स्वदेशी निर्देशित मिसाइलें
डॉ अब्दुल कलाम द्वारा स्वदेशी निर्देशित मिसाइलें का आविष्कार किया था। अग्नि और पृथ्वी के लांचर कार्यान्वयन और निर्माण में वह मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में अहम भूमिका निभा रहे थें। उन्होंने मुख्य कार्यकारी अधिकारी के तौर पर इसरो में दो दशकों तक कार्य किया।
5. कलाम राजू स्टेंट
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने सोमा राजू के साथ मिलकर 1998 में कार्डियोवस्कुलर सेंटट का निर्माण किया जिसे "कलाम राजू सेंटट" के नाम से जाना गया। इस आविष्कार से 2012 में अंतर्राष्ट्रिय इम्पलांटेबल उपकरणों की कीमत में गिरावट आई। इसके माध्यम से उन्होंने स्वास्थ्य सेवा को सुलभ बनाने का कार्य किया।
6. कलाम राजू टैबलेट
कलाम के कई आविष्कारों में से एक है कलाम राजू टैबलेट। कलाम राजू सेंटट के बाद उन्होंने सोमा राजू के साथ एक बार फिर मिलकर कलाम राजू टैबलेट का निर्माण किया। इस टैबलेट के निर्माण का उद्देश्य समान्य अभ्यास कल्याण और प्रोफेशनल कल्याण को आपात स्थिति में प्रतिक्रिया के लिए तयार किया करना था।
7. लाइटवेट कैलिपर्स
ऑर्थोसिस कैलिपर्स का आविष्कार करने के लिए डॉ एपीजे अब्दुल कलाम और उनके सहयोगियों ने कठी महनत की। इस तरह से फ्लोरिंग रिस्पॉन्स कैलिपर्स की गति में सुधार हुआ और न्यरोलॉजिकल परेशानियों से जुझने वाले पीड़ितों के लिए सहायक बना। इससे बच्चों को आसानी से बिना किसी की सहायता के चलने में सहायता मिली और उन्हें अपने पैरों पर खडें होने का मौका मिला।
8. प्रोजेक्ट डेविल एंड प्रोजेक्ट वैलिएंट
1970 में कलाम ने बैलिस्टिक मिसाइलों के निर्माण के लिए दो प्रस्तावों डेविल एंड प्रोजेक्ट वैलिएंट का निरीक्षण किया जो कि एसएलवी प्रणाली की क्षमताओं पर निर्भर करता है। इस योजना के लिए उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने गुप्त तौर पर नकदी आवंटित करने के लिए कलाम द्वारा दिए निर्देशों का पालन करते हुए अपने विवेकाधीन अधिकार का इस्तेमाल किया था।