देश इस समय भयंकर बायु प्रदूषण से जूझ रहा है। हवा का स्तर बार बार गंभीर श्रेणी में पहुंच रहा है और दिवाली के बाद वातावरण में लगातार बढ़ते प्रदूषण की बजह से आम जन मानस सांस से जुड़ी अनेक बिमारियों का सामना कर रहे हैं। वायु प्रदूषण दिल, फेफ़ड़ों, किडनी आदि समस्यायों से जूझ रहे मरीजों के लिए जान लेवा साबित हो रहा है और बच्चों में भी सांस की अनेक बीमारियां देखने में आ रहीं है। वायु प्रदूषण अनेक तरह से पैदा होता है। दिवाली में बड़े स्तर पर पटाखों की बजह से पुरे वातावरण की हवा जहरीली हो जाती है। जिससे देश भर में प्रदूषण पर बहस छिड़ जाती है, लेकिन इसकी बजाय सड़कों पर चलने बाले बाहनों, खनन, तेज आंधी, ईंट भटों की चिमनियों और जनरेटर एवं केमिकल उद्योगों से भी लगातार हवा जहरीली होती है।
देश के अधिकतर शहरों के आसमान में धुएं, धूल, एसिड से भरी जहरीली हबा की परत बार बार खतरनाक स्तर को पर कर रही है तथा अनेक शहरों की हवा सांस लेने लायक नहीं रह गई है। वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर पार कर जाने से अनेक शहरों में स्मोग की घनी चादर छाई छाई हुई है जिससे देखने में भी परेशानी का सामना करना पर रहा है। वायु में प्रदूषण आगामी दिनों में बद से बदतर हो सकता है। हालांकि, वायु प्रदूषण से सेहत को होने बाले नुकसान के बारे में ज्यादातर लोग जागरूक हैं। लेकिन वायु प्रदूषण से बालों, त्वचा, चेहरे और शरीर पर पड़ने बाले खतरनाक प्रभाव से कम ही लोग बाक़िफ़ हैं। वायु प्रदूषण से न केवल आपके शारीरिक स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ता है, बल्कि आपके मस्तिष्क पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है।
शहरो में बढ़ते बायु प्रदूषण से आपको फेफड़ों के रोगों के अलाबा समय से पहले बुढ़ापा, पिगमेंटेशन, त्वचा के छिद्रों में ब्लॉकेज आदि अनेक सौन्दर्य समस्यायें खड़ी हो जाती हैं। ज्यादातर भारतीय शहरों में वाहनों, एसी, धुल और धुएं आदि से आसमान में बनने वाली जहरीली धुंध की चादर से माइक्रोस्कोपिक केमिकल्स की एक परत बन जाती है, जिसके कण हमारे छिद्रों के मुकाबले 20 गुणा ज्यादा पतले होते है। जिसकी वजह से वह हमारी त्वचा से हमारे छिद्रों में प्रवेश कर के त्वचा की नमी को खत्म कर देते हैं। जिससे त्वचा में लालिमा, सूजन और काले दाग हो जाते हैं। वायु में विद्यमान रसायनिक प्रदूषण त्वचा तथा खोपड़ी के सामान्य सन्तुलन को बिगाड़ देते हैं, जिससे त्वचा में रूखापन, लाल चकत्ते, मुहांसे तथा खुजली एवं अन्य प्रकार की एलर्जी एवं बालों में रूसी आदि की समस्यायें उभर सकती है।
वायु प्रदूषण से उत्पन्न होने वाले रोग
1: एलर्जी
धूल ,धुआं, जहरीली गैसों एवं गंध से किसी को, किसी भी उम्र में असहिष्णुता संभव है। जो निम्नवत हैं-
A- स्वसन तंत्र की एलर्जी
एलर्जिकल कफ एंड कोराइज़ा, एलर्जिकल राइनाइटिस, बार बार छींक आना नाक से पतला अथवा गाढ़ा पानी निकलना, ब्रोंकाइटिस,ऐस्थमा, इंफाइसेमा, एवं न्यूमोनिया इत्यादि।
B-त्वचा संबंधी एलर्जी
एलर्जीकल डर्मेटाइटिस, अर्टिकेरिया, एग्जिमा, त्वचा का सूखा, रूखा एवं धब्बेदार हो जाना, पानी भरे फफोले निकल आना, त्वचा और म्यूकस मेंब्रेन में दरारें पड़ जाना, एवं शोथ इत्यादि।
2: पाचन संबंधी गड़बड़ियां-
बुखार के साथ उल्टी ,मिचली, पेट दर्द, दस्त लग जाना, भूख की कमी इत्यादि।
3: न्यूरोलॉजिकल गड़बड़ियां
जहरीली गैसों के कारण विभिन्न प्रकार की तंत्रिका तंत्र संबंधी गड़बड़ियां उत्पन्न हो जाती हैं जिनमें चक्कर आना, बेहोशी किसी एक अंग अथवा पूरे शरीर की लकवा ग्रस्तता, घ्राण एवं श्रवण शक्ति का समाप्त हो जाना, एवं सुस्ती बेचैनी इत्यादि।
4: नेत्र संबंधी रोग
आंखों में जलन एवं गड़न ,कंजेक्टिवाइटिस, दूर अथवा नजदीक दृष्टि दोष ,आंख से पानी निकलना, पलकों का सूज जाना , मोतियाबिंद एवं ग्लाकोमा इत्यादि।
5: होमियोपैथिक औषधियां
ऐमब्रोसिया ए 10 M,पोथास फोटिडा30,सालिडैगो वर्गा 200,सल्फर 1M, बैसिलिनम 1M, स्कूकम चक 30,सैंगुनेरिया कैन200,अमोनियम कार्ब 200,कैली बाईक्रोम, आर्सेनिक एल्बा,यूकेलिप्टस जी Q,नक्स वोमिका200, इपीकाक30, कार्बोवेज200, ब्यूफो राना 200, रोबीनिया30, ऐसपीडोस्पर्मा Q,ऐंटीपाइरिन 200,रेडियम ब्रोम 200 ,यूफ्रेशिया Q एवं 30 तथा मेन्था पिपराटा इत्यादि होम्योपैथिक औषधियां पूर्णतया कारगर सिद्ध होती हैं।