10 लाइनों में जानिए भारतेंदु हरिश्चंद के बारे में, पढ़ें उनका जीवन परिचय

भारतेंदु हरिश्चंद हिंदी साहित्य के महानायक और आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह माने जाते हैं। उनका जन्म 9 सितंबर 1850 को वाराणसी के एक समृद्ध वैश्य परिवार में हुआ था। उनके पिता गोपालचंद्र स्वयं एक कवि थे, जिनका साहित्यिक प्रेम भारतेंदु के बचपन से ही उनके जीवन में समाहित हो गया। साहित्य के प्रति उनके रुझान ने उन्हें बचपन में ही लेखन की ओर प्रेरित किया।

10 लाइनों में जानिए भारतेंदु हरिश्चंद के बारे में, पढ़ें उनका जीवन परिचय

भारतेंदु ने अपनी पहली कविता सात साल की उम्र में लिखी, और यह शुरुआत उनके जीवन के साहित्यिक सफर की दिशा निर्धारित कर गई। उन्होंने संस्कृत, हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी में गहरी पकड़ बनाई और हिंदी को साहित्यिक संवाद की प्रमुख भाषा बनाने के लिए प्रयास किए।

10 लाइनों में जानिए भारतेंदु हरिश्चंद के बारे में..

1. भारतेंदु हरिश्चंद का जन्म 9 सितंबर 1850 को वाराणसी (बनारस) में एक प्रतिष्ठित वैश्य परिवार में हुआ था।
2. उन्होंने आधुनिक हिंदी साहित्य के जनक के रूप में ख्याति प्राप्त की और हिंदी भाषा के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई।
3. भारतेंदु ने साहित्य के साथ-साथ समाज सुधार और राजनीतिक जागरूकता के लिए भी कार्य किया, जिससे वे एक सामाजिक सुधारक के रूप में जाने जाते हैं।
4. उनकी प्रमुख रचनाओं में नाटक और कविताएं शामिल हैं, जिनमें "अंधेर नगरी," "भारत दुर्दशा," और "वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति" प्रसिद्ध हैं।
5. पत्रकारिता में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा, जहाँ उन्होंने हिंदी पत्रिकाओं जैसे "कवि वचन सुधा" और "हरिश्चंद्र मैगज़ीन" का संपादन किया।
6. उन्होंने हिंदी को साहित्य और संवाद की भाषा के रूप में लोकप्रिय बनाने का कार्य किया और इसे सरल और सुगम बनाया।
7. भारतेंदु ने समाज सुधारक के रूप में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया, जैसे बाल विवाह और दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई।
8. वे राष्ट्रवादी और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समर्थक थे और अंग्रेजी शासन की आलोचना भी की।
9. भारतेंदु को 'भारतेंदु' की उपाधि हिंदी साहित्य में उनके योगदान के कारण मिली, जिसका अर्थ है 'भारत का चंद्रमा'।
10. उनका निधन 6 जनवरी 1885 को मात्र 34 वर्ष की आयु में हुआ, लेकिन इतने कम समय में उन्होंने हिंदी साहित्य को समृद्ध किया और अमिट छाप छोड़ी।

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English summary
Bharatendu Harishchandra is considered the great hero of Hindi literature and the father of modern Hindi literature. He was born on 9 September 1850 in a rich Vaishya family of Varanasi. His father Gopalchandra himself was a poet, whose love for literature got absorbed in Bharatendu's life since his childhood. His inclination towards literature inspired him towards writing in his childhood itself.
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