Independence Day 2022: अरुणा आसफ अली के जीवन के 10 रोचक तथ्य

भारत को आजाद हुए 75 साल हो चुकें है और भारत अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। इस साल (2022) भारत अपना 76वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। इस उपलक्ष में हम भारत की आजादी में योगदान देने वालों को याद न करें ऐसा हो ही नहीं सकता है। भारत को स्वतंत्रता दिलाने में कई सेनानीयों का योगदान है जिनके बारे में लोग ज्यादा नहीं जानते। उनका नाम कहीं गुमनामी में खो सा गया है। इस स्वतंत्रता दिवस आइए इन सेनानीयों के बारे में जाने।

स्वतंत्रता संग्राम से अपने योगदान के लिए ग्रैंड ओल्ड लेडी के नाम से जाने जाने वाली अरूणा आसफ अली का जन्म 16 जुलाई 1909 कालका हरियाणा ब्रिटिश इंडिया में एक बंगाली ब्राहमिण परिवार में हुआ था। वह एक शिक्षक और राजनीतिक कार्यकर्ता थी। उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन और भूमिगत आंदोलन मे अपना योगदान दिया था। उनकी बाहदुरी और समर्पण के लिए उन्हें नायिका और ग्रैंड ओल्ड लेडी की उपाधि दी गई। आइए इस स्वतंत्रता दिवस अरुणा आसफ अली के जीवन के कुछ रोचक तथ्यों के बारे में जाने।

Independence Day 2022: अरुणा आसफ अली के जीवन के 10 रोचक तथ्य
  1. अरुणा आसफ अली नें बीए की डिग्री प्राप्त करने के बाद कलकत्ता के गोखले मेमोरियल स्कूल में एक शिक्षिका के तौर पर काम किया। उसके बाद उनकी मुलाकात कांग्रेस पार्टी के नेता आसफ अली से हुई। जो इलाहाबाद कांग्रेस पार्टी के नेता थे।
  2. अरुणा और आसफ अली शादी करना चाहते थे। धर्म और उम्र में 20 साल का फर्क होने की वजह से अरुणा के माता-पिता इस शादी के खिलाफ थे। लेकिन फिर भी अपने माता-पिता के खिलाफ जाके 1928 में उन्होंने आसाफ अली से शादी की।
  3. अरुणा आसफ अली ने 9 अगस्त को गोवालिया टैंक मैदान में काग्रेंस का झंडा फहराया। उनके इस कदम ने इस आन्दोलन की शुरूआत मार्क की। 1942 के स्वतंत्रता के इस आन्दोलन के दौरान उनकी बाहदुरी के लिए उन्हें नायिका का दरजा दिया गया।
  4. 1942 में भूमिगत आंदोलन की शुरूआत हुई और उसी दौरान राम मनोहर लोहिया के साथ मिलकर उन्होंने कांग्रेस पार्टी की मासिक पत्रिका का संपादन किया जिसका नाम "इंकबाल" था। 1944 में आए पत्रिका के एक अंक में उन्होंने देश के सभी युवाओं से हिंसा-अहिंसा की बातों को भूला कर क्रांति में शामिल होने को कहा।
  5. अरुणा आसफ अली और जयप्रकाश नारायण जैसे नेताओं को "गांधी के राजनीतिक बच्चे, लेकिन कार्ल मार्क्स के हालिया छात्रों के तौर पर देखा जाता था।"
  6. विरोध प्रदर्शन और आंदोलनों से परेशान होकर ब्रिटिश सरकार ने अरुणा आसफ अली को पकड़ने के लिए 5000 रुपये का इनाम तक रखा था। उसी दौरन अरुणा आसफ अली की बीमारी की खबर पाकर महात्मा गांधी ने उन्हें अपने हाथों से लिखा हुआ एक खत भेजा। महात्मा गांधी द्वारा भेजे हुए इस खत को उन्होंने अपने ड्राइंग रूम में संजोया।
  7. स्वतंत्रता आन्दोलन में उनके योगदान के लिए उन्हें ग्रैंड ओल्ड लेडी के नाम से संबोधित किया गया।
  8. अरुणा आसफ अली कांग्रेस की स्दस्या थी लेकिन समाजवाद पर कांग्रेस की प्रगति से निराश होकर उन्होंने 1948 में सोशलिस्ट पार्टी में जाने का फैसाला लिया। कुछ समय बाद उन्होंने इस पार्टी को भी छोड़ा दिया।
  9. 1950 में अरुणा आसफ अली भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हुई। 1954 में उन्होंने भाकपा की महिला शाखा और भारतीय राष्ट्रीय संघ बनाने के लिए 1956 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी भी छोड़ दी।
  10. वर्ष 1958 में अरुणा आसफ अली दिल्ली की पहली मेयर चुनी गईं। 1975 के आपातकाल के दौरान कई आपत्तियों का सामना करने के बावजूद भी वह इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के साथ जुड़ी रहीं। 29 जुलाई 1996 को 87 वर्ष की आयु में अरुणा आसफ अली ने आखिरी सांस ली।
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English summary
Aruna Asaf Ali is a teacher, political and a publisher. She has been part of 'Quit India Movement'. For her bravery she earned the tittle of 'Grand Old Lady'
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