Republic Day 2023: गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि की परंपरा आरंभ से बरकरार है। वर्ष 1950 से लेकर अब तक भारत के सभी गणतंत्र दिवस समारोह में किसी ना किसी देश के नेता मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होते रहे हैं। इस परंपरा की विशेषताओं पर एक नजर।
बीते 73 वर्षों से बरकरार परंपरा का निर्वाह करते हुए इस साल भी गणतंत्र दिवस के आयोजन में भारत के साथ अच्छे संबंध वाले देश के राष्ट्राध्यक्ष को मुख्य 'अतिथि के तौर पर बुलाया जा रहा है। 26 जनवरी 2023 को 74वें गणतंत्र दिवस पर इस बार मिस्र (इजिप्ट) के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल सिसी मुख्य अतिथि होंगे।
इजिप्ट से रहे हैं पुराने रिश्ते
यह पहला अवसर है जब इजिप्ट के राष्ट्रपति हमारे गणतंत्र दिवस समारोह के चीफ गेस्ट होंगे। भारत और इजिप्ट के रिश्ते ऐतिहासिक रहे हैं। दोनों ही देशों का रिश्ता दुनिया की दो महान सभ्यताओं से है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 16 अक्टूबर को विदेश मंत्री एस जयशंकर के हाथों इजिप्ट के राष्ट्रपति को इस खास अवसर पर मुख्य अतिथि बनाए जाने का निमंत्रण भेजा था, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया। भारत ने हमेशा से इजिप्ट को तरजीह दी है। यही वजह है कि जब भारत जी-20 का अध्यक्ष बना तो अतिथि देश के रूप में इजिप्ट को आमंत्रित किया। इजिप्ट भी इस बात का आभार मानता है और सार्वजनिक तौरपर स्वीकार करता है कि दोनों देश अपने गहरे संबंधों के अतीत का सम्मान करते हैं।
मुख्य अतिथि बनना है सम्मान की बात
आज की तारीख में दुनिया का कोई भी देश और उसका कोई भी ऐसा नेता नहीं है, जो भारत के गणतंत्र दिवस समारोह का मुख्य अतिथि का निमंत्रण पाकर गर्व महसूस ना करे। इसकी वजह यह है कि आज भारत ना केवल विश्व की एक मजबूत अर्थव्यवस्था है बल्कि दुनिया का सबसे मजबूत और विशाल लोकतंत्र भी है। आज दुनिया में भारत की बात का महत्व होता है।
यह अकारण नहीं है कि अब तक के गणतंत्र दिवस समारोह में 90 से ज्यादा विदेशी मेहमान मुख्य अतिथि का सम्मान पा चुके हैं और यह भी एक इतिहास है कि 1950 से लेकर आज तक जब भी किसी देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या किसी दूसरी महत्वपूर्ण शख्सियत को हिंदुस्तान ने अपने गणतंत्र दिवस का मुख्य अतिथि चुना है, तो कभी किसी ने मुख्य अतिथि बनने से इंकार नहीं किया बल्कि इस पर गर्व महसूस किया है।
अब तक भारत के गणतंत्र दिवस समारोह का मुख्य अतिथि बनकर दुनिया के अनेक शक्तिशाली देशों के नेता आ चुके हैं। सबसे पहले 1950 में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णों मुख्य अतिथि बने। 1958 में चीन के मार्शल ए जियानयिंग, 1961 में इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ, 1976 में व्लादिमिर पुतिन और 2015 में अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा भी मुख्य अतिथि के तौर पर समारोह में शामिल हो चुके हैं।
किया जाता है भव्य सत्कार
दुनिया का कोई भी राजनेता भारत के गणतंत्र दिवस समारोह का मुख्य अतिथि इसलिए भी बनना चाहता है, क्योंकि उस खास मेहमान को हमारे यहां इतना सम्मान सत्कार दिया जाता है, जैसा सम्मान दुनिया के किसी भी देश में, किसी भी राजनेता को शायद ही कहीं मिलता हो। उनको जो प्रोटोकॉल हासिल होता है, वह किसी और को नहीं होता।
उन्हें राष्ट्रपति भवन में औपचारिक गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है। उनके सम्मान में राष्ट्रपति के द्वारा स्वागत समारोह आयोजित किया जाता है। महात्मा गांधी की समाधि पर उनसे माल्यार्पण कराया जाता है। उनके सम्मान में प्रधानमंत्री द्वारा दोपहर के भोजन का आयोजन किया जाता है। दरअसल, गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि की यात्रा प्रतीकात्मकता की पराकाष्ठा होती है, क्योंकि उनको भारत के गौरव और खुशी के क्षणों में हिस्सा लेने का अवसर मिलता है।
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