UPSC IAS Exam यूपीएससी परीक्षा में हर वर्ष लगभग 10 लाख स्टूडेंट्स आवेदन करते हैं जिसमें सक्सेस रेट 1.5% से भी कम होती है। अंतरराष्ट्रीय एग्जाम आयोजित करने वाली कई बॉडीज ने इसे दुनिया के दूसरे सबसे कठिन एग्जाम का दर्जा दिया है। इस साल भी लगभग 761 पदों के लिए दस लाख से ज्यादा आवेदन प्राप्त हुए। दूसरी ओर पिछले एक दशक के दौरान एक ट्रेंड जो सामने आया वह यह कि यूपीएससी परीक्षा में दबदबा इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स का रहा।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनेल एंड ट्रेनिंग के रिलीज किए गए डेटा के अनुसार ट्रेनिंग के लिए लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन जॉइन करने वाले 2020 बैच के 428 सिविल सर्वेन्ट्स में से 245 यानी 57.25 फीसदी के पास इंजीनियरिंग की डिग्री है। बैच के केवल 84 स्टूडेंट्स यानी 19.6% ऐसे थे जो ह्यूमैनिटीज बैकग्राउंड से थे।
यहां यह जानना भी रोचक है कि सिविल सेवा में चयनित होने वाले इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के ज्यादातर टॉपर्स आईआईटी और एनआईटी से आते हैं। इसी वर्ष सितम्बर में जारी हुए रिजल्ट्स में भी देखा गया कि टॉप 10 में से 4 रैंकर्स आईआईटी से, एक डीटीयू से और एक एमएएनआईटी, भोपाल से था। 2011 और 2015 को छोड़कर पिछले दशक के सभी यूपीएससी सीएसई टॉपर्स इंजीनियर रहे हैं। 9.6 फीसदी स्टूडेंट्स ह्यूमैनिटीज बैकग्राउंड से हैं जिनका सलेक्शन इस साल यूपीएसी में हुआ है।
सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूड टेस्ट
2011 से प्रीलिम्स में सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूड टेस्ट (सीसैट) की शुरुआत ने टेक्निकल बैकग्राउंड के उम्मीदवारों और खासतौर से इंजीनियर्स की इस परीक्षा में रुचि बढ़ाई। इससे पहले होने वाले प्रीलिम्स में जनरल स्टडीज और ऑप्शनल पेपर शामिल किया जाता था। लेकिन सीसैट में उम्मीदवार की लॉजिकल रीजनिंग, एनालिटिकल क्षमता और इंग्लिश लैंग्वेज की नॉलेज को परखता है। इस टेस्ट का पैटर्न जीमैट, कैट, जैट से मेल खाता है जो मुख्य रूप से टेक्निकल स्किल्स को परखते हैं।
एनालिटिकल क्षमता व सिस्टमैटिक अप्रोच
इंजीनियरिंग कॉलेज सख्त और विविध करिकुलम फॉलो करते हैं। आईआईटीज में तो सबसे सीनियर प्रोफेसर्स को सबसे जूनियर स्टूडेंट्स की क्लासेज असाइन की जाती हैं। इससे स्टूडेंट्स को शुरुआत में सही कॅरिअर गाइडेंस मिलता है। इतना ही नहीं बीटेक के दौरान स्टूडेंट को 40 से ज्यादा टेक और नॉन-टेक सब्जेक्ट्स पढ़ने होते हैं और 20 से ज्यादा एग्जाम्स देने होते हैं। इससे उनमें व्यवस्थित अप्रोच और मजबूत एनालिटिकल क्षमता विकसित होती है जो किसी भी प्रतियोगी परीक्षा के लिए अहम साबित होती हैं।
कॉम्पिटीटिव एग्जाम्स का अनुभव
ज्यादातर इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स को कॉम्पिटीटिव एग्जाम्स देने का पूर्व अनुभव होता है। आईआईटी जेईई, बिटसैट आदि एग्जाम्स से गुजर चुके इन ग्रेजुएट्स को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए टाइम मैनेजमेंट, सलेक्टिव स्टडी और पेपर की स्ट्रैटजी बनाने का अनुभव तो होता ही है साथ ही इनकी तैयारी के दौरान वे पेपर सॉल्विंग, नोट्स मेकिंग और कई तरह की टेक्नीक्स अपनाना सीखते हैं जो अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में भी उनके लिए मददगार साबित होती हैं।
पीयर टु पीयर लर्निंग व एल्मनाई नेटवर्क
इंजीनियरिंग कॉलेजों का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यहां स्टूडेंट्स को पीयर टु पीयर लर्निंग का माहौल मिलता है जहां सिविल सर्विसेज एग्जाम की तैयारी करने वाले एस्पिरेंट्स को एक दूसरे से सीखने का मौका भी मिलता है। इसके अलावा टॉप इंजीनियरिंग कॉलेजों में देश का सर्वश्रेष्ठ एल्मनाई नेटवर्क होता है जिनसे बात करके एस्पिरेंट्स तैयारी से जुड़ा गाइडेंस ले सकते हैं और अपनी तैयारी को बेहतर बना सकते हैं।
कब कितने इंजीनियरिंग डिग्री वाले आईएएस
वर्ष: कुल आईएएस: इंजीनियर आईएएस
2011: 149: 66
2012: 170: 81
2013: 180: 63
2014: 180: 91
2015: 180: 102
2016: 180: 74
2017: 180: 82
2018: 180: 70
2019: 180: 27