विजुअल आर्ट से अभिप्राय है अपने विचारों, भावों तथा संवेदनाओं को विभिन्न प्रयोगों के द्वारा सरलता से आकर्षक बनाकर प्रस्तुत करना। विजुअल आर्ट के अन्तर्गत पेंटिंग, म्यूरल, टेक्सटाइल कला, प्रिन्ट मेकिंग, कमर्शियल आर्ट, इलस्ट्रेशन, एनिमेशन, टाइपोग्राफी, फोटोग्राफी, छपाई कला, पॉटरी, स्कल्पचर आदि आते हैं। विजुअल आर्ट इन दिनों काफी लोकप्रिय करियर विकल्पों में से एक है। इसकी अलग-अलग विधाएं आपको करियर में नया मुकाम देगी। आइये जानते हैं, विजुअल आर्ट में करियर कैसे बनाएं।
टाइपोग्राफी कला- टाइपोग्राफी अर्थात लेखन की कला । इस कला के अंतर्गत अक्षरों की बारीकियाँ जैसे उनकी बनावट उनकी विशिष्टïता व शैली इत्यादि की खोज पर ध्यान दिया जाता है। इस विधि के अंतर्गत छात्र अपनी विशिष्ट लिखावट शैली व नई फॉन्ट इजाद कर सकते हैं। इसी के अंतर्गत कैलीग्राफी कला भी आती है।
म्यूरल कला- सामान्यत इसे दीवारों पर बनाई गई पेंटिंग के रूप में समझा जाता है। पुरानी परम्परा यानी रंगों की सहायता से दीवारों पर पेंटिंग बनाने से हटकर सोचने व क्रियान्वित करने के ट्रेंड ने इसे बहुआयामी बना दिया है। अब टाइल्स/टेराकोटा/सीमेंट/बालू/ग्लास/प्लास्टिक/लोहे व स्टील इत्यादि माध्यमों से परमानेंट म्यूरल बनाए जाते हैं।
इलस्ट्रेशन कला- इलस्ट्रेशन कला अर्थात रेखाचित्र, जो कि किसी कहानी, लेख या विचार की सजीवता प्रस्तुत करते हैं। सामान्यत: इस कला को सीखकर छात्र बच्चों की किताबों, कामिक्स बुक्स,पत्रिकाओं इत्यादि के साथ-साथ वर्तमान समय के सबसे रुचिपूर्ण शब्द एनिमेशन कला की ओर बढ़ते हैं। वास्तविक रूप में यह काफी धैर्य व समय के उपयोग की कला है, जिससे एनिमेशन फिल्मों इत्यादि में रोजगार की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं। इसमें इलस्टे्रशन के साथ-साथ कम्प्यूटर पर उपलब्ध एनिमेशन सॉफ्टवेयरों के उपयोग पर खास ध्यान देना होता है। इसी के अंतर्गत कार्टूनिंग कला भी आती है।
ग्राफिक्स कला (प्रिंटमेकिंग)- यह छपाई कला की प्राचीनतम विधि है, जिसे प्राचीन समय से लेकर आज तक उचित सम्मान मिला है। हम अपनी रचनात्मक कलाओं का प्रदर्शन पारम्परिक तरीके जैसे जिंक की प्लेट/लाइम स्टोन/वुड/कास्ट/लिनेन एवं सिल्क के साथ विभिन्न धरातलों पर उकेरकर मशीन तथा स्याही की सहायता से पेपरों पर प्रिंट द्वारा करते हैं। वर्तमान समय में कई नवीन कलाकारों ने इस विषय पर गैर पारम्परिक प्रयोगों के जरिए उच्च कोटि का कार्य करके इसकी प्रामाणिकता को और सिद्ध व जनोपयोगी बनाने का प्रयास किया है।
टेक्सटाइल कला- इस कला के अंतर्गत सामान्यत: ड्राइंग की गहन जानकारी के अलावा कपड़े पर अपनी कला को प्रस्तुत करने के तरीके को सिखाया जाता है। बाँधनी कला अर्थात राजस्थानी शैली की साडिय़ाँ व डुपट्टे, बनारसी साडिय़ाँ इत्यादि इस कला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
पेंटिंग- चित्रकला अर्थात पेटिंग बनाने की कला की सहायता से सम्मानजनक तथा रचनात्मक जीविका चलाई जा सकती है। इसकी शुरुआत स्केचिंग जैसी विधा से करनी होती है। इसके उपरांत मानव शरीर/ प्राकृतिक दृश्यों/स्टिल लाइफ इत्यादि को चित्रित करने की सुंदर कला सीखनी होती है। इन्हें हम विभिन्न धरातलों जैसे कई तरह के पेपर व केनवॉस पर पारंपरिक व नवीन माध्यमों जैसे वाटर कलर/ तैल रंगों/ पोस्टर कलर/चारकोल/ पेंसिल इत्यादि की सहायता से चित्रित करने की अनवरत प्रक्रिया की ओर बढ़ते रहते हैं। चार वर्षीय डिग्री कोर्स करने के उपरांत दो वर्षीय पोस्ट ग्रेजुएशन कोसों में चित्रकला के तहत विभिन्न पारम्परिक व नए माध्यमों जैसे कम्प्यूटर तक का उपयोग करके उस पर विस्तृत रूप से अपने विषय अनुसार मूर्त व आमूर्त कला का गंभीर प्रयोगात्मक अध्ययन किया जाता है।
इस विषय से संबंधित कला इतिहास व अन्य विषयों का अध्ययन विजुअल आर्ट पाठ्यक्रम में कराया जाता है। सामान्यत: सभी संस्थानों में यह एक चार वर्षीय पाठ्यक्रम है। प्रथम वर्ष में संस्थान में विजुअल आर्ट्स के सभी पाठ्यक्रम पढ़ाए जाते हैं। उनका अध्ययन करना होता है जिसे फाउंडेशन कोर्स कहा जाता है। तत्पश्चात प्राप्तांक व मेरिट के आधार पर अपने विषय का तीन वर्षीय स्पेशलाइजेशन कोर्स करना होता है। इसे बीएफए (बैचलर इन फाइन आर्ट्स) या बीवीए (बैचलर इन विजुअल आर्ट्स) कहते हैं।
तत्पश्चात यदि रूचि हो व आपको अपने अध्ययन व कला के क्षेत्र में और नवीन प्रयोगों को भी सीखना हो तो दो वर्षीय पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स जिसे एमएफए (मास्टर इन फाइन आर्ट्स) या एमवीए (मास्टर इन विजुअल आर्ट्स) कहते हैं कर सकते हैं। इसके अन्तर्गत सामान्यत: गाइड सिस्टम के तहत शिक्षण संस्थान में कार्यरत अध्यापकों के रजिस्टे्रशन कराकर किसी एक या दो विषयों पर काफी गूढ़ व प्रयोगात्मक अध्ययन करना होता है। इसके उपरांत आप चाहें तो इस विषय में पीएचडी भी कर सकते हैं।
सामान्यत: बीएफए या बीवीए करने के उपरांत आप स्कूली स्तर के अच्छे कला शिक्षक, सरकारी संस्थानों में कलाकार व फोटोग्राफर इत्यादि बन सकते हैं। स्नातकोत्तर या पीएचडी करने के उपरांत सरकारी व प्रायवेट महाविद्यालय /विश्वविद्यालयों में कला शिक्षक बन सकते हैं जिसमें आप लेक्चरर/रीडर व प्रोफेसर तक के पदों पर आसीन हो सकते हैं। लेकिन यह एक सामान्य पहलू है। इसका रचनात्मक पहलू स्वतंत्र कलाकार बनने में ज्यादा है। इसके अलावा विज्ञापन संस्थानों/आर्ट गैलरीज/ प्रकाशन के क्षेत्र व फिल्मों के क्षेत्र में /फोटोग्राफी/एनिमेशन फिल्मों इत्यादि में अपार रोजगार उपलब्ध हैं।
विजुअल आर्ट का कोर्स कराने वाले प्रमुख संस्थान
फैकल्टी ऑफ फाइन आट्र्स, जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली
कॉलेज ऑफ आर्ट, चंडीगढ़
फैकल्टी ऑफ फाइन आट्र्स, एम.एस. विश्वविद्यालय, वडोदरा।
सर जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट, मुंबई
भारतीय कला विद्यालय, पुणे
महात्मा गाँधी फाइन आट्र्स कॉलेज, औरंगाबाद
श्रीमती नाथीबाई दामोदर ठाकरसे वुमन यूनिवर्सिटी, मुंबई
कॉलेज ऑफ फाइन आटर््स एंड क्राफ्टस, कला भवन, विश्व भारती विश्वविद्यालय, शांतिनिकेतन, पश्चिम बंगाल
इसके अलावा भी देश के कई कॉलेजों में विजुअल आर्ट के अध्ययन की सुविधा उपलब्ध है