IAS Gunjita Agarwal Success Story: यूपीएससी प्रत्येक वर्ष भारत में सिविल सेवा परीक्षा आयोजित करता है। इसे भारत के सबसे कठिन सरकारी परीक्षाओं में से एक माना जाता है। लाखों उम्मीदवार प्रतिवर्ष अपनी किस्मत आजमाते हैं और उनमें से कई सफलता हासिल भी करते हैं। आज हम यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल कर चुकी ऐसी ही एक उम्मीदवार की सफलता की कहानी बता रहे हैं।
गुंजिता अग्रवाल की यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में सफल होने की प्रेरणादायक यात्रा उम्मीदवारों के दृढ़ संकल्प, कठिन परिश्रम और दृढ़ता का प्रमाण है। एक नहीं, दो नहीं, तीन नहीं बल्कि पांच प्रयासों के बाद, गुंजिता ने यूपीएससी सीएसई 2022 में सफलता हासिल की। यह सफर गुंजिता के लिए सरल नहीं था, उन्होंने 2022 में अखिल भारतीय स्तर पर 26वीं रैंक हासिल की। गुंजिता का सपना है कि वे सरकार के लिए और जनता के हित की दिशा में खुद को पूरी तरह समर्पित करें। इसलिए उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में उपस्थित होने का फैसला किया।
IAS Gunjita Agarwal Success Story
आइए जानते हैं गुंजिता अग्रवाल को थोड़ा और करीब से। इस लेख में हम यूपीएससी आईएएस एआईआर 26 गुंजिता अग्रवाल की सक्सेस स्टोरी बता रहे हैं। जानिए यूपीएससी परीक्षा के दौरान उनकी रणनीति क्या रही।
माता-पिता का अटूट समर्थन और प्रोत्साहन मिला
देश के सबसे कठिन परीक्षा यूपीएससी में सफलता हासिल करना आसान नहीं होता। गुंजिता के परिवार ने उनकी सफलता में अहम भूमिका निभाई। उनके पिता कर्मचारी चयन बोर्ड में सहायक इंजीनियर के रूप में काम करते थे और उनकी माँ एक गृहिणी हैं। गुंजिता कहती हैं कि माता-पिता के अटूट समर्थन और प्रोत्साहन ने उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।
बचपन से लक्ष्य था आईएएस बनना
गुंजिता को बचपन से ही पता था कि वह एक आईएएस अधिकारी बनना चाहती हैं। जब उनके साथी हाई स्कूल के बाद करियर की राह तय कर रहे थे, तब वह अपने लक्ष्य पर केंद्रित रही। अपने लक्ष्य तक पहुंचने और परीक्षा की बेहतर तैयारी के लिए गुंजिता ने परिवार के करीब भोपाल में रहने का फैसला किया।
तीन सालों का समर्पण और पांचवें प्रयास में मिली सफलता
अपने कॉलेज के वर्षों के दौरान, गुंजिता ने यूपीएससी के लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी, लेकिन शैक्षणिक दायित्वों और कॉलेज के कार्यभार के कारण प्रभावी ढंग से अध्ययन करना चुनौतीपूर्ण हो गया। स्नातक होने के बाद, उन्होंने केवल अपनी यूपीएससी सीएसई तैयारी के लिए तीन साल समर्पित करने का एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया।
गुंजिता ने बताया कि मैं 2018 से परीक्षा दे रही हूं, और इससे पहले तक मैं कभी भी प्रारंभिक परीक्षा पास नहीं कर सकी। यह मेरा पांचवां प्रयास था, और मैंने इसे इंडियन स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी में पोस्ट-ग्रेजुएशन पूरा करते समय दिया था। पिछले साल असफल होने के बाद मैंने तकनीकी रूप से यूपीएससी छोड़ दिया था और फैसला किया कि यह मेरा अंतिम प्रयास होगा।
असफलता से सफलता तक
शुरुआती असफलताओं के बावजूद, गुंजिता के दृढ़ संकल्प ने उन्हें यूपीएससी 2022 प्रीलिम्स पास करने में मदद की। हालाँकि, जब तक उन्होंने मेन्स और इंटरव्यू राउंड को सफलतापूर्वक पूरा नहीं किया, तब तक उन्होंने अपनी सफलता को सफलता नहीं समझा। गुंजिता का सपना 22 मई 2023 को पूराहुआ जब यूपीएससी ने सीएसई परीक्षा का अंतिम रिजल्ट जारी किया। लंबे समय की इच्छा ने अब वास्तविकता का रूप ले लिया था। गुंजिता ने एक उत्कृष्ट रैंक हासिल करके अपनी असफलता से सफलता का रास्ता तय किया।
क्यों चुना गुंजिता ने समाजशास्त्र का विषय
आज के समय में हर यूपीएससी उम्मीदवार समाज की दशा को सुधारने और जनहित की दिशा में कार्य करने के लिए यूपीएससी के माध्यम से सरकारी सेवाओं में आने की इच्छा रखते हैं। अखिल भारतीय रैंक 26 हासिल करने वाली गुंजिता अग्रवाल का सपना भी कुछ ऐसा ही है। समाजशास्त्र में गुंजिता की रुचि महिलाओं को सशक्त बनाने, भूख और गरीबी जैसे सामाजिक मुद्दों को जड़ से खत्म करने और जाति व्यवस्था को चुनौती देने के उनके जुनून के साथ जुड़ी हुई है।
गुंजिता एक निष्ठावान आईएएस अधिकारी बन कर देश से जाति व्यवस्था और अन्य सामाजिक मुद्दों को खत्म करना चाहती हैं। उनके मॉक इंटरव्यू ने उन्हें समाज, लोगों और जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में अच्छी तरह से परिचित कराया, क्योंकि यूपीएससी पैनल उम्मीदवारों की उनके पर्यावरण की समझ को गहराई से समझते हैं।
"कहां राजा भोज और कहां गंगू तेली"
अपने एक साक्षात्कार में, गुंजिता से "कहां राजा भोज और कहां गंगू तेली" कहावत के बारे में पूछा गया, जिससे दोनों शख्सियतों के ऐतिहासिक महत्व के बारे में चर्चा हुई। उनसे मिक्स्ड जेंडर क्रिकेट टीम की व्यवहार्यता के संबंध में एक प्रश्न भी पूछा गया, जिसमें समसामयिक मामलों और सामाजिक मुद्दों के बारे में जागरूक होने के महत्व पर जोर दिया गया।
समुदायों और क्षेत्रीय चुनौतियों का समाधान करने को संकल्पित
गुंजिता ने कहा कि एक नौकरशाह के रूप में अपनी यात्रा के दौरान वे विभिन्न राज्यों और समुदायों के सामने आने वाली क्षेत्रीय चुनौतियों का समाधान करने के लिए दृढ़ संकल्पित है। उनका मानना है कि इससे स्थानीय लोग सशक्त होंगे और विकास को बढ़ावा मिलेगा। शिक्षा को महिलाओं और बच्चों के विकास के साथ जोड़ना उनके मुख्य उद्देश्यों में से एक है, क्योंकि वह भारत की समग्र प्रगति को प्रभावित करने की इसकी क्षमता को पहचानती हैं।
गुंजिता अग्रवाल की सफलता की कहानी अनगिनत उम्मीदवारों के लिए प्रेरणा का काम करेगी। यह कहानी उन्हें याद दिलाती है कि दृढ़ता, समर्पण और उद्देश्य की भावना किसी के सपनों को प्राप्त करने के रास्ते में आने वाली किसी भी बाधा को दूर कर सकती है। उनकी यात्रा इस बात का ज्वलंत उदाहरण है कि कैसे सही मानसिकता और अटूट दृढ़ संकल्प के साथ यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा को जीता जा सकता है।
गुंजिता अग्रवाल की सफलता का मूलमंत्र
- सोशल मीडिया से दूरी
- दृढ़ संकल्प
- सेल्फ स्टडी
- आत्मविश्वास
- समय का उचित उपयोग
- खुद ही बनाएं सारे नोट्स
- पाठ्यक्रम संबंधी शंकाओं को दूर करने के लिए इंटरनेट की सहायता ली
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