IAS Ayushi Dabas Success Story: कहते हैं सपने आंखों ने नहीं मन से देखें जाते हैं अगर हौसला बुलंद हो, लक्ष्य पाने का जज्बा हो और आपका प्रयास सही दिशा में जाएं तो आपकी जीत सुनिश्चित है। इन सभी शब्दों का सही साबित करने वाली नेत्रहीन आईएएस आयुषी डबास के बारे में हम आज के इस लेख में बात करेंगे।
दिल्ली के सरकारी स्कूल में इतिहास पढ़ाने वाली नेत्रहीन शिक्षिका आयुषी डबास ने 2021 में AIR 48 हासिल कर साबित किया कि आप कैसे नौकरी के साथ भी यूपीएससी की तैयारी कर परीक्षा में सफल हो सकते हैं।
मां ने किया आईएएस बनने के लिए मोटिवेट
आईएएस आयुषी डबास ने एक इंट्रव्यू के दौरान बताया कि उनकी मां चाहती थी की वो आईएएस बनें और उनकी माता ने ही उन्हें आईएएस बनने के लिए मोटिवेट किया। और जब उन्होंने एक टीचर के रूप में सरकारी स्कूल में नौकरी शुरू करी तो डबास ने महसूस किया की कैसे उनकी पोस्ट उनको मौका देती है खुद को सर्व करने की। एक टीचर के रूप में वे बच्चों के लिए बहुत कुछ कर पा रही थी बच्चों को नॉलेज देना, उन्हें अवेयर करना आदि। जिससे उन्हें प्रेरणा मिली की वे एक आईएएस के रूप में यह काम बड़े दायरे में कर पाएंगी।
नौकरी के साथ कैसे की यूपीएससी की तैयारी
नौकरी के साथ परीक्षा की तैयारी करने के लिए सबसे जरूरी है टाइम मैनेजमेंट। किस टाइम कौनसा टॉपिक कवर हो सकता है, स्कूल जाते समय रास्ते में कौनसा टॉपिक पढ़ना है। इसके अलावा, कौनसा काम पहले जरूरी है कौन सा काम बाद में इसके लिए अपनी प्राथमिकता सेट करना। क्योंकि जॉब और तैयारी दोनों को ही 100% देना होता है। इसलिए टाइम मैनेजमेंट करना, चीजों की प्लेनिंग करना बेहद जरूरी है क्योंकि यहीं सब चीजें जॉब के साथ तैयारी दोनों में बैलेंस बनाती हैं।
बिना कोचिंग के की तैयारी
आयुषी डबास जब यूपीएससी की तैयारी कर रही थी तो वे एक सरकारी टीचर भी थी, जिस वजह से जॉब के साथ रेगुलर कोचिंग लेना उनके लिए संभव नहीं था। इसलिए जिस दिन भी उनके स्कूल की छुट्टी होती थी तो वे प्रैक्टिस करने के लिए मेन्स के मॉक टेस्ट देती थी।
आईएएस बनने के लिए खुद को किया आइसोलेट
आयुषी ने बताया की यह बात काफी हद तक ठीक है कि परीक्षा की तैयारी के लिए खुद को आइसोलेट करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि मैनें जॉब की और कोविड टाइम पर बच्चों को घर से भी पढ़ाया लेकिन जिस टाइम आप पढ़ रहे हैं, जो टाइम आपने पढ़ाई के लिए सेट किया है, उस टाइम काफी हद तक आप आइसोलेशन में रहते हैं। आपको कुछ टाइम के लिए पार्टी व अन्य सामाजिक जगहों पर परा छोड़ना होता है ताकि आप अच्छे से तैयारी कर सकें। यह एक लंबा सफर है जिसमें काफी सारे उतार-चढ़ाव आते हैं, डिमोटिवेट करने वाले मूवमेंट्स आते हैं, स्किप करने का मन करता है, छोड़ने का मन होता है की शायद नहीं हो पा रहा तो उस समय खुद को मोटिवेट रखने के लिए, इंस्पायर रखने के लिए, छोड़ न देने के लिए परिवार वालों, और दोस्तों का स्पोर्ट चाहिए होता है और मेरे केस में मेरी तैयारी पूरा टीम वर्क रही, जिस तरह से मुझे जरूरत थी मेरे परिवार वालों ने मुझे स्पोर्ट किया।
5वें प्रयास में पास की परीक्षा
आयुषी डबास ने 2015 में यूपीएससी की तैयारी शुरू की थी और उस समय तैयारी के ऑनलाइन ज्यादा चीजें उपलब्ध नहीं थी। उस समय उनके दोस्त, उनके परिवार वाले सब उनके लिए मोबाइल में बुक्स रिकॉर्ड किया करते थे। जिसे वे रिप्ले करके सुनती थी। फिर जब उन्होंने स्मार्टफोन इस्तेमाल करना सिखा तो उसमें उन्होंने सबसे पहले बुक्स की सॉफ्ट कॉपी पीडीएफ के रूप में पढ़नी शुरू की। और याद रखने योग्य मुख्य बिंदु के नोट्स बनाने शुरू किए।
डबास कहती हैं कि किसी भी इंसान को कभी भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए सबके जीवन में कठिन परिस्थितियां आती हैं। ऐसे दौर में हमें उन लोगों की तरफ देखना चाहिए जो हमें स्पोर्ट करते हैं। और यदि आपकी कोई आलोचना करता है तो उसे ऐसे लें जिससे की हम आगे बढ़ें कोई हमें रोके नहीं। खुद पर विश्ववास रखें अपने सपनों पर विश्वास रखें। बड़े सपने देखें और कोशिश करें उन्हें पूरा करने की।
जरूरत अनुसार करें सोशल मीडिया का उपयोग
ज्यादा सोशल मीडिया यूज करने से काफी चांस होते हैं आपके ध्यान भटकने के। वहीं सोशल मीडिया हमें काफी मदद भी करता है कई चीजों के प्रति में एवेयर रहने में, स्टडी मेटिरियल पढ़ने में, क्रिटिकल आइडिया जनरेट करने में, न्यूज पेपर समझने में तो आप किस तरह सोशल मीडिया का प्रयोग कर रहे हैं उस पर निर्भर करता है। लेकिन अगर आप सिलेबस सामने रखकर सही दिशा में चलते रहे तो व्याकुलता से बचेंगे। सोशल मीडिया का उतना ही यूज करें जितना हमें चाहिए। क्योंकि यूपीएससी की परीक्षा के लिए में किताबों के ज्ञान के अलावा, आसपास में क्या चल रहा है उसकी नॉलेज होना भी जरूरी है।
यूपीएससी उम्मीदवारों के लिए टिप्स
पिछले साल के प्रश्न पत्रों को अच्छे से विश्लेषण करें उससे बहुत मदद मिलती है कि आप जो पढ़ रहे हैं वो सही है या नहीं। आप कितने प्रश्न हल कर पा रहे हैं। बहुत ज्यादा स्रोत को रेफर करने की जगह सीमित स्रोत पर फोकस करें, अच्छे से रिविजन करें, मोक टेस्ट दें, खुद को मोटिवेट रखें एनसीआरटी बुक्स पढ़ें बाकि अध्ययन सामग्री की लिस्ट तो ऑनलाइन उपलब्ध है ही। तैयारी के समय एक बात पर विशेष ध्यान दें कि नकारात्मक विचारों को अपने ऊपर हावी न होने दें।
इंटरव्यू राउंड का अनुभव
डबास ने बताया की मेरा इंटरव्यू राउंड अनुभव बहुत अच्छा रहा। मेरा इंटरव्यू लेने वाले सब लोग बहुत स्पोर्टिंग थे, मुझसे अधिकतर प्रश्न मेरे डिटेल फॉर्म से ही पूछे गए थे जैसे कि मेरी होबी म्यूजिक सुनना, डॉ कलाम की किताबें पढ़ना, मेरे ऑप्शनल विषय से प्रश्न, मेरे टीचिंग प्रोफेशन से, जीएस से थे कोई आउट ऑफ द बॉक्स प्रश्न नहीं था।
आगे की प्लेनिंग
आयुषी- मेरी पहली प्राथमिकता रहेगी जहां भी मेरी पोस्टिंग हो वहां एजुकेशन फॉर ऑल मिशन मोड को लेकर में काम करूं। सभी बच्चें स्कूल जरूर आएं। खासकर जो बच्चें डिफरेंटली एबल्ड है उनके माता-पिता को एवेयर करना, टेक्नोलॉजी के यूज को लेकर, जितने भी सोशल बैरियर हैं उनको तोड़कर वे स्कूल आएं और एवेयर हो।