जियोइंफॉर्मेटिक्स में पीएचडी कैसे करें (Career in PHD Geoinformatics)

डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी इन जियोइंफॉर्मेटिक्स 3 से 5 साल तक की अवधि का डेक्टरेट लेवल का फुल-टाइम कोर्स है। जियोइंफॉर्मेटिक्स यानि की भू-सूचना विज्ञान वह विज्ञान और तकनीक है जो भूगोल, कार्टोग्राफी, जियोसाइंस और इंजीनियरिंग की संबंधित शाखाओं की समस्याओं के समाधान के लिए सूचना विज्ञान के बुनियादी ढांचे का विकास और उपयोग करता है। इस कोर्स में मुख्य रूप से शोध और थीसिस अनुसंधान के साथ-साथ प्रस्तुति भी शामिल है।

चलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको पीएचडी जियोइंफॉर्मेटिक्स से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी से अवगत कराएंगे कि आखिर जियोइंफॉर्मेटिक्स में पीएचडी के करने के लिए एलिजिबिलिटी क्या होनी चाहिए। इसका एडमिशन प्रोसेस क्या है, इसके लिए प्रमुख एंट्रेंस एग्जाम कौन से हैं, इसे करने के बाद आपके पास जॉब प्रोफाइल क्या होंगी और उनकी सैलरी क्या होगी। भारत में जियोइंफॉर्मेटिक्स में पीएचडी करने के लिए टॉप कॉलेज कौन से हैं और उनकी फीस क्या है।

जियोइंफॉर्मेटिक्स में पीएचडी कैसे करें

• कोर्स का नाम- डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी इन जियोइंफॉर्मेटिक्स
• कोर्स का प्रकार- डॉक्टरेट डिग्री
• कोर्स की अवधि- 3 से 5 साल
• एलिजिबिलिटी- मास्टर डिग्री
• एडमिशन प्रोसेस- एंट्रेंस एग्जाम/ मेरिट बेस्ड
• कोर्स फीस- 10,000 से 2,55,000
• अवरेज सैलरी- 2 से 8 लाख तक
• जॉब प्रोफाइल- डाटा स्पेशलिस्ट, फैकल्टी, रिसर्च असिस्टेंट, जीआईएस इंजीनियर, पोस्टडॉक्टोरल साइंटिस्ट, सीनियर रिसर्चर, कार्टोग्राफर, सर्वेयर आदि।
• जॉब फील्ड- कार्टोग्राफी, अनुसंधान, संचालन, डेटा प्रबंधन, सॉफ्टवेयर प्रबंधन, डेटा विशेषज्ञता आदि।

पीएचडी जियोइंफॉर्मेटिक्स: एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया
• इच्छुक उम्मीदवार के पास जियोइंफॉर्मेटिक्स या उससे संबंधित विषयों में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए।
• पीएचडी जियोइंफॉर्मेटिक्स में एडमिशन लेने के लिए उम्मीदवार के पास मास्टर डिग्री में न्यूनतम 55% अंक होना आवश्यक है।
• आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को 5% अंकों की छूट दी जाती है।
• इसके साथ ही, उम्मीदवार को एंट्रेंस एग्जाम में भी विश्वविद्यालय के मानकों तक स्कोर करना होता है, जो या तो विश्वविद्यालय द्वारा स्वयं या यूजीसी-नेट जैसी राष्ट्रीय परीक्षाओं द्वारा आयोजित की जाती हैं।

पीएचडी जियोइंफॉर्मेटिक्स: एडमिशन प्रोसेस
किसी भी टॉप यूनिवर्सिटी में पीएचडी जियोइंफॉर्मेटिक्स कोर्स में एडमिशन लेने के लिए, उम्मीदवारों को एंट्रेंस एग्जाम देने की आवश्यकता होती है। एंट्रेंस एग्जाम में पास होने के बाद पर्सनल इंट्रव्यू होता है और यदि उम्मीदवार उसमें अच्छा स्कोर करते हैं, तो उन्हें स्कोलरशिप भी मिल सकती है।

पीएचडी जियोइंफॉर्मेटिक्स के लिए भारत के टॉप कॉलेजों द्वारा अपनाई जाने वाली एडमिशन प्रोसेस निम्नलिखित है

चरण 1: रजिस्ट्रेशन

  • उम्मीदवार ऑफिशयल वेबसाइट पर जाएं।
  • ऑफिशयल वेबसाइट पर जाने के बाद आवेदन फॉर्म भरें।
  • आवेदन फॉर्म को भरने के बाद ठीक तरह से जांच लें यदि फॉर्म में गलती हुई तो वह रिजक्ट हो सकता है।
  • मांगे गए दस्तावेज अपलोड करें।
  • आवेदन पत्र सबमिट करें।
  • क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड से ऑनलाइन फॉर्म की फीस जमा करें।

चरण 2: एंट्रेंस एग्जाम

  • यदि उम्मीदवार पीएचडी जियोइंफॉर्मेटिक्स में एडमिशन लेने के लिए टॉप यूनिवर्सिटी का लक्ष्य रखते हैं, तो उनके लिए एंट्रेंस एग्जाम क्रेक करना अत्यंत आवश्यक है। जिसके लिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस पूरी हो जाने के बाद एडमिट कार्ड जारी किए जाते हैं। जिसमें की एंट्रेंस एग्जाम से संबंधित सभी जानकारी दी जाती है जैसे कि एग्जाम कब और कहां होगा, आदि।
  • बता दें कि पीएचडी इन जियोइंफॉर्मेटिक्स के लिए एडमिशन प्रोसेस यूजीसी- नेट, गेट आदि जैसे एंट्रेंस एग्जाम पर निर्भर करती है। योग्य उम्मीदवारों का चयन आगे इंट्रव्यू के आधार पर किया जाता है।

चरण 3: एंट्रेंस एग्जाम का रिजल्ट

एंट्रेंस एग्जाम हो जाने के कुछ दिन बाद उसका रिजल्ट घोषित किया जाता है जिसके लिए, छात्रों को नियमित रूप से विश्वविद्यालय की वेबसाइटों और सोशल मीडिया हैंडल की जांच करके खुद को अपडेट रखना चाहिए।

चरण 4: इंट्रव्यू एंड एनरोलमेंट

  • एंट्रेंस एग्जाम में पास होने वाले छात्रों को यूनिवर्सिटी द्वारा इंट्रव्यू में उपस्थित होने के लिए कहा जाएगा - या तो ऑनलाइन (स्काइप, गूगल मीट, ज़ूम) या ऑफ़लाइन छात्रों को यूनिवर्सिटी परिसर में बुलाकर।
  • इस दौरान, अन्य सभी एलिजिबिली क्राइटेरिया को क्रॉस चेक किया जाता है, और यदि छात्र इंटरव्यू में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो उन्हें डॉक्टरेट स्तर पर जियोइंफॉर्मेटिक्स का अध्ययन करने के लिए एडमिशन दिया जाता है।

पीएचडी जियोइंफॉर्मेटिक्स: सिलेबस

  • प्रिंसिपल्स ऑफ रिमोट सेंसिंग एंड जीआईएस
  • डेवलेपमेंट एंड रिमोट सेंसिंग एंड जीआईएस
  • रिसर्च मैथेडलॉजी
  • कार्टोग्राफी स्टडी
  • प्रैक्टिकल
  • प्रेजेंटेशन एंड रिपोर्ट
  • रिव्यू एंड राइटिंग ऑफ रिसर्च पेपर

कॉलेज फक्लटी आमतौर पर छात्रों को उनके स्वतंत्र शोध कार्य में सहायता करते हैं, जबकि अधिक अनुभव प्राप्त करने के लिए छात्र सहायक के रूप में अपने प्रोफेसरों के अधीन काम करना चुन सकते हैं। ऐसा करने से उन्हें इस बात की बेहतर समझ होगी कि पीएचडी पूरी करने के बाद अगर वे प्रोफेसर बनना चाहते हैं तो उन्हें किस तरह का काम करना होगा।

पीएचडी जियोइंफॉर्मेटिक्स: टॉप कॉलेज और उनकी फीस

  • मैसूर विश्वविद्यालय- फीस 35,550
  • पंजाब विश्वविद्यालय, जालंधर- फीस 3,450
  • एमिटी यूनिवर्सिटी, नोएडा- फीस 50,000
  • भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान, देहरादून- फीस 74,500
  • आईआईटीएम, केरल- फीस 1,00,000
  • एसजीवीयू, जयपुर- फीस 55,960

पीएचडी जियोइंफॉर्मेटिक्स: जॉब प्रोफाइल और सैलरी

  • जीआईएस इंजीनियर- सैलरी 4,00,000
  • रिसर्च- सैलरी 6,00,000
  • प्रोफेसर- सैलरी 5,11,000
  • सर्वेयर- सैलरी 3,80,000
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English summary
Doctor of Philosophy in Geoinformatics is a doctoral level full-time course of 3 to 5 years duration. Geoinformatics is the science and technology that develops and uses the infrastructure of information science to solve problems in geography, cartography, geoscience and related branches of engineering. The course mainly consists of thesis and thesis research as well as presentation.
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